नई दिल्ली:रमज़ान उल मुबारक के पवित्र महीने में दिनभर रोज़ेदार रोज़े से रहते हैं और रात में रमज़ान के महीने की विशेष नमाज़ तरावीह पढ़ते हैं,देशभर की तमाम मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ होती है इसके अलावा लोग बरकत के लिये अपने घरों होटलों पर भी तरावीह में क़ुरआन मुक़म्मल करवाते हैं।
भारतीय राष्ट्रपति भवन की मस्जिद में रात क़ुरआन शरीफ पूरा हुआ जिसकी दुआ में भाग लेने के लिये भारतीय महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ सिंह कोविंद मस्जिद में पहुँचे दुआ में भाग लिया,तथा इस अवसर पर राष्ट्रपति ने भी दो शब्द कहे।
'खतम शरीफ' के मौके पर राष्ट्रपति कोविन्द ने राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित मस्जिद में जाकर सम्मान व्यक्त किया। pic.twitter.com/NwBp37GuIj
— President of India (@rashtrapatibhvn) June 1, 2018
राष्ट्रपतिभवन की मस्जिद में हर साल तरावीह में क़ुरआन पाक पुरा होने पर राष्ट्रपति भाग लेते रहे हैं,राष्ट्रपति भवन परिसर में बनी इस मस्जिद में देश के मुस्लिम राष्ट्रपति नमाज़ पढ़ने आते रहे हैं जिनमें डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन,फखरुद्दीन अली अहमद,डॉक्टर ऐपीजे अब्दुल कलाम आदी के नाम शामिल हैं।
राष्ट्रपति भवन की मस्जिद की पुरानी रिवायत है कि रमजान पर ‘खत्म शरीफ’ के मौके पर राष्ट्रपति इधर अवश्य आते हैं। रमजान में सभी मस्जिदों में कुरआन सुनाई जाती है। वह जिस दिन मुकम्मल होती है, उसे ‘खत्म शरीफ’ कहते हैं। इस दिन राष्ट्रपति मस्जिद में पहुंचकर इमाम साहब को पगड़ी पहनाते हैं। उन्हें उपहार भी देते हैं। इस मौके पर राष्ट्रपति भवन में रहने वाला स्टाफ और उनके परिजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहते हैं।
इस मस्जिद का कोई नाम तो नहीं है, पर इसे राष्ट्रपति भवन मस्जिद कह सकते हैं। ये सन 1950 के आसपास बनी थी। यानी जब राष्ट्रपति भवन (पहले वायसराय भवन) सन 1931 तक बनकर तैयार हुआ, तब यहां पर मस्जिद नहीं थी। इसके वास्तुकार एडवर्ड लुटियन ने मस्जिद के लिए कोई जगह नहीं दी थी। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद की पहल पर राष्ट्रपति भवन परिसर में मंदिर-मस्जिद बने। संभवत: चर्च या गुरुद्वारे के लिए कोई जगह इसलिए आवंटित नहीं की गई होगी क्योंकि राष्ट्रपति भवन के ठीक बाहर गुरुद्वारा रकाबगंज और नार्थ एवेन्यू कैथडरल चर्च हैं
इनके बनने से राष्ट्रपति भवन परिसर में रहने वाले स्टाफ को सुविधा अवश्य हो गई। एक अनुमान के मुताबिक, राष्ट्रपति भवन के भीतर करीब 500 परिवार रहते हैं। मस्जिद की एंट्री राष्ट्रपति भवन के विलिंगडन क्रिसेंट गेट से होती है। इसे गेट नंबर 31 भी कहा जाता है। इस मस्जिद के पहले इमाम हाफिज हसीनउद्दीन साहब थे। उनका सन 2005 में निधन हो गया था। वह इस्लामिक विद्वान भी थे। लगभग सभी राष्ट्रपति किसी खास मसले पर सलाह लेने के लिए भी उन्हें बुला लिया करते थे। वह श्रीमती इंदिरा गांधी के सरकारी आवास 1, सफदरजंग रोड में भी जाते थे।
ईद पर इस मस्जिद में जश्न का माहौल रहता है। राष्ट्रपति की तरफ से सारे स्टाफ को मिठाइयां बांटी जाती हैं। इमाम साहब के लिए इधर परिवार के साथ रहने की भी व्यवस्था है। लेकिन उनके शादीशुदा बच्चों को, सुरक्षा कारणों से यहां रहने की मनाही है। इमाम साहब की सैलरी की व्यवस्था यहां रहने वाले स्टाफ के सहयोग से ही होती है।