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पी चिदंबरम ने कहा, “राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का ये कहना ग़लत है कि ”संसद सर्वोच्च है”,,,वो संविधान है जो सर्वोच्च है!

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान को गलत बताते हुए कहा कि संविधान सर्वोच्च है ना कि संसद.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा था कि न्यायिक मंचों से ‘किसी की हावी होने की कोशिश और सार्वजनिक दिखावा’ सही नहीं है. इन संस्थानों को पता होना चाहिए कि उन्हें कैसे काम करना है.

P. Chidambaram
@PChidambaram_IN
The Hon’ble Chairman of the Rajya Sabha is wrong when he says that Parliament is supreme. It is the Constitution that is supreme.

The “basic structure” doctrine was evolved in order to prevent a majoritarian-driven assault on the foundational principles of the Constitution.

P. Chidambaram
@PChidambaram_IN

Suppose Parliament, by a majority, voted to convert the parliamentary system into a Presidential system. Or repeal the State List in Schedule VII and take away the exclusive legislative powers of the States. Would such amendments be valid?

P. Chidambaram
@PChidambaram_IN
After the NJAC Act was struck down, nothing prevented the Government from introducing a new Bill.

The striking down of one Act does not mean that the “basic structure” doctrine is wrong.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम प्रणाली को लेकर कही गई बात पर जगदीप धनखड़ ने ये बयान दिया था.

राजस्थान के जयपुर में 83वीं ऑल इंडिया प्रेजाइडिंग ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (एनजेएसी) विधेयक को रद्द करने की आलोचना की.

साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले की आलोचना की कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है लेकिन उसके मूलभूत ढांचे में नहीं.

इस पर पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, “राज्यसभा के माननीय सभापति का ये कहना गलत है कि संसद सर्वोच्च है. वो संविधान है जो सर्वोच्च है. मूलभूत ढांचे का सिद्धांत इसलिए आया ताकि संविधान के मूलभूत सिद्धांतों पर बहुमत से चलने वाली सरकार के हमलों को रोका जा सके.”

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, “मान लीजिए, अगर बहुमत के ज़रिए संसदीय प्रणाली को ख़त्म करके राष्ट्रपति प्रणाली लागू कर दी जाती है या सातवीं अनुसूची में राज्य को दिए अधिकारों को ख़त्म कर दिया जाए. क्या ऐसे संशोधन वैध होंगे?”

उन्होंने कहा, “एनजेएसी अधिनियम के रद्द होने के बाद सरकार को नया बिल लाने से किसी ने नहीं रोका था. एक अधिनियम के रद्द होने का मतलब ये नहीं है कि मूलभूत ढांचे का सिद्धांत गलत है.”

चिदंबरम ने कहा कि उपराष्ट्रपति के विचार संविधान को चाहने वालों के लिए चेतावनी है कि आगे क्या-क्या खतरें हैं.