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“क…क.. कुछ…कुछ नहीं”…लेकिन तुम्हारी काजल भरी बड़ी-बड़ी आँखों से डरकर दोबारा हिम्मत ही नहीं हुई…
Rashi Singh ============== सीढ़ियों से उतरती अपनी भीगी लटों को माथे से हाथों से संभालने की बेमानी कोशिश करती ललिता को नीचे खड़ा माही एकटक देखे जा रहा था। “क्या हुआ? ” ललिता ने हंसते हुए पूछा तो वह झेंप गया। “क … क.. कुछ.. कुछ नहीं। ” वह हकलाते हुए बोला। “देख तो ऐसे […]
मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है….नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है : उमेश विश्वकर्मा ‘आहत’ की दो ख़ूबसूरत ग़ज़लें पढ़िये!
Umesh Vishwakarma Aahat ================ बहरे- मुतकारिब मुसमन सालिम अर्कान= फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़्तीअ= 122, 122, 122, 122 क़ाफ़िया= (आ- स्वर) रदीफ़= भी नहीं है ग़ज़ल * मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है । नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है । * कभी दोस्ती में दग़ा भी नहीं है । मगर ये […]
वो रात इत्तेफाक़ से ख़्वाबों में आ गए…..By-शकील सिकंद्राबादी
Shakeel Sikandrabadi ============== · ग़ज़ल हम ये समझ रहे थे के फूलों में आ गए लेकिन वफाएँ कर के तो काँटों में आ गए हक़ का सवाल पूछने झूटों में आ गए आईना ले के आप भी अन्धों में आ गए मग़रूर हुस्न वालों की चालों में आ गए आशिक़ मिज़ाज लौग थे बातों में […]