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मारवाड़ की रुठी रानी उमादे….इतिहास के पन्नों में अमर हो गई…..

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आईए आज बात करते हैं
मारवाड़ की रुठी रानी उमादे की..एक ऐसी रानी जो पुरी ऊम्र अपने पति से नाराज रही, रूठी रही और मारवाड़ राजस्थान में रूठी रानी के रुप में इतिहास के पन्नों में अमर हो गई..

जैसलमेर के भाटी राजपूत राजा लुणकरण जी एक अत्यंत खुबसूरत और समझदार पुत्री थी जिसका नाम उमादे था..जिसका विवाह जोधपुर मारवाड़ के ही प्रतापी राजा राव मालदेव जी के साथ हुआ था…मालदेव जी जैसा मारवाड़ में कोई ऐसा राजा नहीं हुआ और उसने कुल 52 युद्ध लडे सब मे विजय हासिल हुई.. बात 1532 ई की है…उमादे ने राव मालदेव को पति के रूप में पाकर बहुत खुश थी.. शादी हो गई..सुहागरात के समय राव मालदेव मित्रो के साथ शराब की महफ़िल में बेठ गए…उमादे रानी..काफी देर तक राव मालदेव जी का इन्तजार करती रही जब नहीं आने पर रानी उमादे ने अपने शादी में साथ में दी हुई दासी भारमली को राव मालदेव बुलाने भेजा.. राव मालदेव ने दासी भारमली को नशे में चुर रानी उमादे समझ लिया और अपने पास बैठा दिया…जब दासी भारमली को भी काफी देर हो गई तो स्वयं रानी उमादे राव मालदेव का पता लगाने उनके कक्ष में गई… रानी उमादे ने दासी भारमली को राव मालदेव अपने पास देखा तो रानी उमादे क्रोधित हो गई.. सुबह जब राव मालदेव जी का नशा उतरा तो अपनी गलती का अहसास हो गया और रानी उमादे से माफी मांगी.. पर रानी उमादे रूठ ग गई थी.. रानी उमादे ने जोधपुर छोड़कर वापिस जैसलमेर पिता के पास आ गई और राव मालदेव को कहा की आप मेरे लायक नहीं हो.. राव मालदेव ने खुब सन्देश भीजवाए पर रानी उमादे रूठ चुकी थी.. बाद में राव मालदेव को शेरशाह सुरी से युद्ध भी करना पड़ा.. युद्ध में जाने से पहले एक बार अपनी रानी उमादे से मिलना चाहते थे.. रानी उमादे एक बार तो तैयार हो गई फिर वापिस मना कर दिया.. इससे महान प्रतापी राजा राव मालदेव जी को आघात पहुँचा… इसका असर गिरी सुमेल के युद्ध में हुआ.. राव मालदेव जी वो युद्ध हार गए.. और वीरगति को प्राप्त हो ग ए… जब रठी रानी उमादे को समाचार प्राप्त हुए तो खुब रोई और अपने पति राव मालदेव जी की पगड़ी को साथ लेकर उनके साथ ही सती हो गई.. तो दोस्तों यह है अपने राजपूतों के स्वाभिमान और एक क्षत्राणी की कहानी..
रुठी रानी उमादे….
(फोटो में रुठी रानी उमादे)⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️