दुनिया

चीन को रूस न समझें पश्चिमी देश, नाटो को चीन ने बड़ी चेतावनी दी!

रूस और यूक्रेन में भीषण युद्ध के बीच नाटो के महासच‍िव जेन्‍स स्‍टोल्‍टेनबर्ग ने चीन को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। जेन्‍स ने कहा कि पुतिन का यूक्रेन पर हमला यह दिखाता है कि लोकतांत्रिक देशों को क्‍यों चीन के साथ करीबी रिश्‍ता बनाने से बचना चाहिए।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, नाटो के महासच‍िव जेन्‍स स्‍टोल्‍टेनबर्ग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ‘सर्वसत्‍तावादी ताक़तों पर निर्भर होना ख़तरनाक है।’ उन्‍होंने विभिन्‍न देशों से अपील की है कि वे अपने महत्‍वूपर्ण और राष्‍ट्रीय इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर जैसे बंदरगाह, रेलवे और 5जी नेटवर्क में चीनी कंपनियों को हिस्‍सेदारी नहीं दें। जेन्‍स ने कहा, ‘अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं जब रूस के साथ गैस ख़रीदने को शुद्ध रूप से कामर्शियल मैटर समझा जाता था। वास्‍तव‍िकता है कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है। यह हमारी सुरक्षा से जुड़ा मामला है। बिजनस भी राजनीति है। हमें इस अन्‍य सर्वसत्‍तावादी शासकों के साथ इस ग़लती को नहीं दोहराना चाहिए। कम से कम चीन तो नहीं।’ नाटो प्रमुख ने कहा, ‘हमें यह नहीं मानना चाहिए कि प्रत्‍येक लाभ का प्रॉजेक्‍ट केवल फ़ायदे के लिए ही अंजाम दिया जाना चाहिए।’ वहीं पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या यूरोपीय देश अमेरिका के पिठ्ठू के तौर पर काम नहीं करते हैं तो उन्होंने इसपर चुप्पी साध ली।

नाटो महासचिव ने कहा कि कम अवधि के आर्थिक हितों को मूलभूत राष्‍ट्रीय हितों से बढ़कर नहीं होना चाहिए।’ उन्‍होंने चीन और रूस के बीच बढ़ते गठजोड़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनकी सेनाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं। चीन और रूस के बीच आर्थिक सहयोग भी बढ़ रहा है। नार्वे के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके जेन्‍स ने यह भी चेतावनी दी कि रूस को कम आंकना बहुत ही ख़तरनाक होगा। उन्‍होंने आशंका जताई कि यूक्रेन में रूस की जीत न केवल यूक्रेनी जनता के लिए विनाशकारी होगी, बल्कि पुतीन की जीत हमारे लिए भी ख़तरनाक होगी। उन्‍होंने कहा, ‘इससे सर्वाधिकारवादी नेताओं को यह संदेश जाएगा कि यदि वे सैन्‍य ताक़त का इस्‍तेमाल करते हैं तो उन्‍हें वह मिल जाएगा जो वह चाहते हैं। यह हमें और ज़्यादा ख़तरे में ला देगा। इससे शांति ख़त्‍म हो जाएगी अगर दमन और क्रूरता की स्‍वतंत्रता तथा लोकतंत्र पर जीत होती है। नाटो के मुखिया ने कहा कि यूक्रेन युद्ध का ख़ात्‍मा वार्ता की मेज़ पर ही हो सकता है।