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गुरु गोबिन्द सिंह जी का लासानी इतिहास ——By-Meghraj Singh

Meghraj Singh
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गुरु गोबिन्द सिंह जी का लासानी इतिहास ——
1699 में अमृत तियार करके गुरु गोबिन्द सिंह जी ने एक खालसा पंथ सजाया ।
अमृत पिलाकर कमजोर गरीब और मजलूमों को गुरू ने बेख़ौफ़ और ताक़तवर बनाया ।
सच्चे और ईमानदार सिखों को गुरु गोबिन्द सिंह ने अपना पुत्र बनाया ।
एक वाहेगुरु को जो मानेगे सिख उसको ही गुरू ने पूर्ण खालसा बताया ।
अमृत की ताक़त से ही गुरू ने एक एक सिख को एक एक लाख दुश्मन के साथ लड़वाया ।
अमृत और तलवार की ताक़त से सिखों ने जंग के मैदान में दुश्मनों को मार गिराया ।
शहीद तो होते रहे सिख जंग के मैदान में पर एक भी क़दम पीछे नहीं हटाया ।बादशाह बन कर लड़े मैदान ए जंग में सिख खालसे ने अमिट इतिहास बनाया ।


बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह जी का लासानी इतिहास—-
अजीत सिंह पाँच सिखों को साथ लेकर 10 लाख को फ़ौज से टकराए ।अजीत सिंह की तलवार के सामने दुश्मन दौड़ते नज़र आएँ ।
अजीत सिंह की बहादुरी को देखकर दुश्मन बहुत ज़्यादा घबराएँ ।
शहादत का जाम पी गए अजीत सिंह पर दुश्मन अजीत सिह को जीत ना पाए ।
जुझार सिह ने जंग के मैदान में पूरी ताक़त से क़दम बढ़ाएं ।
जुझार सिंह की ताकत को देख कर दुश्मन कर रहे थे हाए हाए ।
जो दुश्मन आए थे जुझार सिह के सामने वह एक भी बच ना पाए ।
शहीद हो गये जुझार सिह पर जुझार सिह हार पर वापस नहीं आए ।
बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी का लासानी इतिहास—-
माता गुज़री और बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिह को गंगू ब्राह्मण ने पकड़वाए ।
सरहिंद के अंदर माता गुज़री और बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को दुश्मनों ने बहुत सताए ।
बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिह को दुश्मन भी अपने आगे झुका ना पाएँ ।
ज़िंदे दीवार में चिनवाकर बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिह गंगू ब्राह्मण ने मुग़लों से शहीद करवाए ।
शरीर थे छोटे छोटे बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के पर काम बड़े बड़े कर गए ।
बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के कारनामे को देख कर दुश्मन भी हिल गए ।
पाँच तत्व के शरीर को शहीद करवाकर बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह वाहेगुरु मे मिल गए ।
सदियों सदियों तक याद की करेगी दुनियाँ बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ऐसा इतिहास लिख गए ।
माता गुज़री ज़ी का लासानी इतिहास —-
माता गुज़री का इतिहास है दुनिया में सबसे न्यारा ।
लाखों मुसीबतें आयी ज़िंदगी में फिर भी हौसला नहीं हारा ।
पति गुरू तेग बहादुर जी को दिल्ली भेजा मानवता की रक्षा के लिए ।
बेटे गोबिन्द राय को बब्बर शेर बनाया दुश्मनों को सबक़ सिखाने के लिए ।
फिर दुखों की आँधी आयी जिसने घरबार सब कुछ उजाड़ दिया ।
सरसा नदी के किनारे आकर वक़्त ने परिवार को अलग अलग कर दिया ।
माता गूजरी बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के परिवार से अलग हो गए ।
अपने रसोइए गंगू ब्राह्मण के घर जाकर रात को आराम से सो गए ।
पैसे के लालच कारण गंगू ब्राह्मण ने गोबिन्द सिंह जी के बच्चों को मुग़लों को पकड़वाया ।
झुकना नहीं है किसी दुश्मन के आगे यह माता गुज़री ने बच्चों को सिखाया ।
माता गूजरी जी की बात मानकर बच्चो दुश्मनों के आगे झुके नही पर शहीद हो गए ।
माता गुज़री जी रब रजा में रहकर हमेशा के लिए ज्योति ज्योत समा गए।
ख़ुद सच के रास्ते पर चलकर माता गूजरी ने बच्चों को भी सच के रास्ते पर चलना सिखाया ।
मेघराज सिह नमन करता है माता गुज़री जी के चरणों में जिन्होने अंतिम साँस तक सच का साथ निभाया ।
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( M S Khalsa)