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इज़राईल से जँग के मूड में तय्यब एर्दोगान-हुई तय्यारियाँ शुरू,इज़राईल घुटने टेकने लगा

नई दिल्ली: तय्यब एर्दोगान फिलिस्तीन में होने वाले क़त्लेआम पर बड़े दुखी है जिसके कारण उन्होंने ओआईसी की बैठक बुलाकर तमाम मुस्लिम राष्ट्रों से इस मुद्दे पर चिंतन मंथन करने की अपील करी थी।पूरी दिलचस्पी और हमदर्दी के साथ एकजुट होकर तमाम मुस्लिम राष्ट्रों ने इज़राईल के इस काम की कड़ी आलोचना करी है।

तय्यब एर्दोगान ने कहा फिलिस्तीनियों की रक्षा के लिये अंतरराष्ट्रीय सेना का गठन किया जाना चाहिए,ताकि इज़राईल को उसकी भाषा मे जवाब दिया जासके और फिलिस्तीन के अधिकारों की रक्षा हो सके इसके लिये एर्दोगान ने तमाम मुस्लिम राष्ट्रों को सहयोग करने की बात कही।

तुर्की द्वारा इस्लामिक कॉरपोरेशन संगठन के अध्यक्ष के रूप में एर्दोगान ने तुर्की में एक आपत्काल बैठक बुलाई थी,जिसमें तमाम सदस्य देशों ने भाग लिया था,जिसमें फिलिस्तीनियों के प्रति इजरायल के आक्रामकता के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने के लिए मुस्लिम जगत एक हो जाए. तुर्की ने मुस्लिम जगत से आग्रह किया वह फिलिस्तीनियों को उनका हक दिलाने के लिए इजराइल के खिलाफ आवाज़ उठाये।

डेली सबह के मुताबिक, OIC शिखर सम्मेलन में फिलीस्तीनी प्रधान मंत्री रमी हमदल्लाह, जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय, ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी, अफगान राष्ट्रपति अशरफ घनी, कुवैती अमीर सबा अल-अहमद अल-जबर अल-सबा और मौरीटानियन राष्ट्रपति मोहम्मद वलिद अब्दुलअज़ीज़ की शिरकत की उम्मीद है।

अरब दुनिया, मुख्य रूप से खाड़ी राजतंत्रों की भागीदारी का स्तर अभी तक ज्ञात नहीं है, हालांकि पिछले साल दिसंबर में यरूशलेम पर आपातकालीन बैठक प्रतिभागियों द्वारा बहुत कम स्तर के प्रतिनिधिमंडल के कारण चिह्नित की गई थी। “इस क्षेत्र में अरब नेता अधिकतर इस क्षेत्र में यू.एस. समर्थन के साथ अपना प्रभाव बनाए रखते हैं।

ओआईसी ने शिखर सम्मेलन के बाद एक बयान में घोषित किया कि पूर्व जेरूसलम “कब्जे के तहत” फिलिस्तीन की राजधानी थी और अमेरिका से शांति प्रक्रिया वापस लेने और अपने जेरुसलम के फैसले से पीछे हटने का आग्रह किया। हालांकि, दिसंबर के शिखर सम्मेलन में उच्च स्तरीय भागीदारी की कमी की अध्यक्षता राष्ट्रपति रसेप तय्यिप एद्रोगान ने की थी।

एर्दोगान ने फिर दोहराया की फिलिस्तीन मुद्दा दुनियाभर के मुसलमानों से जुड़ा है। इस मुद्दे पर मुस्लिम जगत को एकजुट होकर इजराइल के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहए, तभी फिलिस्तीन के हालात बहार हो सकेंगे।