दुनिया

पाक सैन्य बलों ने बंधकों को मुक्त कराने के लिए बोला धावा, टीटीपी के सभी 33 आतंकियों को ढेर किया : भारत का नाम क्यों ले रहा है पाकिस्‍तान : रिपोर्ट

पेशावर/इस्लामाबाद,20 दिसंबर (भाषा) पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकवाद-रोधी केंद्र में दो दिनों से कुछ लोगों को बंधक बनाए जाने के मामले में वार्ता विफल होने के बाद सुरक्षा बलों ने मंगलवार को धावा बोल दिया और सभी 33 आतंकियों को मार गिराया।.

बंधक संकट को समाप्त करने के लिए सरकार और प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच वार्ता विफल होने के बाद शुरू किए गए बचाव अभियान में विशेष बलों के दो कमांडो भी मारे गए।.

 

 

दुश्‍मन तहरीक-ए-तालिबान, फिर भारत का नाम लेकर क्‍या चाल चल रहा पाकिस्‍तान

इस्‍लामाबाद: पिछले दिनों पाकिस्‍तान ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक डॉजियर में आतंकवाद के लिए भारत को दोषी ठहरा दिया है। देश के गृहमंत्री राणा सनाउल्‍ला ने कहा है कि भारत, लश्‍कर-ए-तैयबा के फाउंडर हाफिज सईद की हत्‍या कराना चाहता है। जो डॉजियर पाक की तरफ से सौंपा गया है उसमें दावा किया गया है कि भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ ने आतंकियों का इतना बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है कि वह अब पाकिस्‍तान को बर्बाद करने में लग गया है। इसी महीने जब देश के नए आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने नियंत्रण रेखा (LoC) का दौरा किया तो उन्‍होंने कसम खाई कि वह दुश्‍मन से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कुछ भी करेंगे। एक इंच टुकड़ा भी दुश्‍मन के हाथ नहीं लगने देंगे।

दिल दहलाने वाला हमला
टीटीपी यूं तो करीब एक दशक से सक्रिय है लेकिन दिसंबर 2014 में हुए एक आतंकी हमले ने इसके खतरनाक मंसूबों के बारे में बताया। 16 दिसंबर 2014 को पेशावर स्थित आर्मी पब्लिक स्‍कूल पर हुए आतंकी हमले में 132 बच्‍चों समेत 149 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद पाकिस्‍तान की सरकार ने आतंकियों से निबटने का एक पूरा प्‍लान तैयार किया। इसमें स्‍पेशल मिलिट्री कोर्ट्स से लेकर जिहादियों को मौत की सजा तक देना भी शामिल किया गया।

फिर से मजबूत हुआ टीटीपी
अमेरिका की तरफ से मिले ड्रोन्‍स क वजह से पकिस्‍तान ने सफलतापूर्वक खैबर पख्‍तून्‍ख्‍वां में कई टॉप जिहादी कमांडर्स को ढेर किया और उनका नियंत्रण कमजोर किया। एक बार फिर टीटीपी यह साबित करने में लग गया है कि वह काफी मजबूत हो चुका है। आए दिन पाकिस्‍तान की सेना को निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन देश के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह बात भी काफी हैरान करने वाली है कि जब टीटीपी सिर उठा रहा था तो पाकिस्‍तान पूरी तरह से शांत बैठा था।

आतंकियों के साथ समझौता
देश के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह बात भी काफी हैरान करने वाली है कि जब टीटीपी सिर उठा रहा था तो पाकिस्‍तान पूरी तरह से शांत बैठा था। 9/11 के विशेषज्ञ दाउद खाटक की मानें तो पाकिस्‍तान की सेना अक्‍सर आतंकियों के साथ सहज महसूस करती आई है। सेना ने जिहादियों को सीमा सटे क्षेत्रों का नियंत्रण लेने की मंजूरी दी।

साल 2004 में आतंकी नेम मोहम्‍मद वाजिर के साथ सेना ने एक समझौता साइन किया था। इस आतंकी ने पाकिस्‍तान की सेना के साथ यह वादा किया था कि उसके आतंकी भारत में बिल्‍कुल पाकिस्‍तान के परमाणु बम की तरह तबाही फैला देंगे। सरकार ने जिहादियों के सरगना फजलउल्‍ला के साथ एक शांति समझौता साइन किया। यह वही आतंकी है जिसने साल 2014 में पेशावर में आर्मी स्‍कूल पर आतंकी हमला किया था। सरकार ने इस हमले से छह महीने पहले ही उसके साथ यह समझौता साइन किया था।

आतंकियों का समर्थन
इस शांति समझौते के बाद भी सरकार की तरफ से आतंकियों को समर्थन मिलता रहा। ले. जनरल (रिटायर्ड) अहमद शुजा पाशा जो साल 2008 से 2012 तक आईएसआई के मुखिया थे, उन्‍होंने तो टीटीपी के आतंकी फजल हयात को एक सच्‍चा देशभक्‍त तक करार दे डाला था। परवेज मुशर्रफ की जगह पाकिस्‍तान की सेना की कमान संभालने वाले जनरल अश्‍फाक कियानी ने भी हमेशा टीटीपी के आतंकियों का समर्थन किया। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जब साल 2013 में पाकिस्‍तान की सत्‍ता संभाली तो उन्‍होंने आतंकियों के साथ बातचीत पर जोर दिया। इसी तरह से साल 2018 में पीएम बनने वाले इमरान खान ने भी वार्ता का समर्थन किया।

युद्धविराम खत्‍म
29 नवंबर को जब जनरल आसिम मुनीर पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ बने तो उससे ठीक एक दिन पहले यानी 28 नवंबर को टीटीपी ने सरकार के साथ हुआ सीजफायर समझौता खत्‍म कर दिया। यह कदम उसके इरादों को बताने के लिए काफी था। अनिश्चित काल के लिए युद्धविराम तो खत्‍म हुआ ही साथ ही साथ टीटीपी ने आतंकियों से देशभर में हमले करने का फरमान जारी कर दिया। संगठन की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि मुजाहिद्दीनों के खिलाफ पूरे देश में सैन्‍य अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में उसके आतंकियों के लिए यह जरूर हो गया है कि जहां कहीं भी वह हमले कर सकते हैं, करते रहें।

पाकिस्‍तान बनता रहेगा निशाना
टीटीपी पिछले एक दशक से भी ज्‍यादा समय से पाकिस्‍तान को निशाना बनाने में लगा हुआ है। इस संगठन की मांग है कि देश में इस्‍लामिक कानून लागू किया जाए। साथ ही वह सरकार पर अपने कई बड़े आतंकियों की रिहाई के लिए भी दबाव डाल रहा है। टीटीपी यह भी चाहता है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों के विलय के फैसले को पलट दिया जाए। 16 नवंबर को ही टीटीपी ने लक्‍की मरवात जो पेशावरी से 200 किलोमीटर दूर है, वहां पर पुलिस चौकी को निशाना बनाया है। इस हमले में पुलिस के छह जवान मारे गए थे। टीटीपी ने हाल ही में आतंकी हमले तेज कर दिए हैं। साथ ही अब वह कबायली क्षेत्रों के अलावा दूसरे हिस्‍सों को भी निशाना बनाने में लग गया है।