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भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प पर संसद में भारतीय रक्षा मंत्री के बयान पर हंगामा, विपक्ष ने किया वॉकआउट!

9 दिसम्बर को अरुणाचल प्रदेश स्थित तवांग सेक्टर के यांगत्से में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प पर भारतीय रक्षा मंत्री ने संसद में बयान दिया है।

भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि चीनी सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाक़े में, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफ़ा तौर पर बदलने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय सैनिकों ने इसे नाकाम कर दिया।

सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि इस झड़प में दोनों तरफ़ के सैनिक घायल हुए हैं।

सिंह ने यह भी कहा कि इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं, लेकिन किसी सैनिक की मौत नहीं हुई है।

इससे पहले जून 2020 में पूर्वी लद्दाख़ के गलवान इलाक़े में हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए थे।

गलवान के बाद यह पहला मौक़ा है, जब चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने हैं। घटना के बाद से विपक्ष, सरकार पर हमलावर है।

संसद में विपक्ष ने सरकार के ख़िलाफ़ तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे लगाए और संसद को इतनी महत्वपूर्ण घटना से बेख़बर रखने के लिए सरकार की आलोचना की। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी सासंदों ने संसद से वॉकआउट भी किया।

9 दिसम्बर की घटना पर भारतीय रक्षा मंत्री ने 13 दिसम्बर को संसद में बयान दिया।

इस झड़प को लेकर भारतीय मीडिया में दावा किया जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने जैसे ही टेम्परेरी वॉल पर लगी तारबंदी को तोड़कर भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की, भारतीय सैनिकों ने जमकर मुक़ाबला किया और चीनी सैनिकों को पीछे धकेल दिया।

उसके बाद 11 दिसंबर को फ़्लैग मीटिंग हुई और मसला शांत हुआ। विवाद वाली जगह से फ़िलहाल दोनों देशों की सेनाएं हट गई हैं।

एएफ़पी की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस घटना पर चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारी और वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता लॉन्ग शाओहुआ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारतीय सैनिकों ने अवैध तरीक़े से बॉर्डर क्रॉस किया और चीनी सैनिकों के रास्ते में आ गए, जिससे दोनों ओर से विवाद बढ़ गया। चीनी सेना ने पेशेवर तरीक़े से मानकों के तहत मज़बूत जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद सीमा पर हालात स्थिर हुए।