साहित्य

इस प्रकार बिना किसी आडंबर और दिखावे के उसे अंत में मोक्ष और ईश्वर प्राप्ति हो जाएगी : लक्ष्मी सिन्हा का लेख पढ़िये!

Laxmi Sinha
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ईश्वर हमारे शरीर में ही विद्यमान हैं। हम उसे अपने कर्म
और सोच द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।:-,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
संसार में हर मनुष्य की इच्छा है कि उसे ईश्वर की प्राप्ति
हो।इस प्राप्ति का मार्ग केवल ज्ञान द्वारा जाना जा सकता
है। इसके लिए मनुष्य को पहले स्वयं के बारे में जानना
जरूरी होता है। प्रत्येक जीव प्रकृति के पांच महाभूतों_
अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी तथा आकाश से निर्मित है।
इसके साथ शरीर में पांच ज्ञानद्रियां_आंख, कान, नाक,
जीभ, एवं त्वचा, पांच कर्मेंद्रियां-हाथ, पैर, मुंह, गुदा एवं
लिंग और चार अंत:करण-मन, बुद्धि, चिंत्त एवं अहंकार
होती है। इसके विषय होते हैं-इच्छा, द्वेष, सुख, दुख,
कामनाएं, क्रोध, मोह इत्यादि है। मनुष्य इसके जरिये
अपने कर्म क्षेत्र में कार्य करता है। इसी के साथ शरीर में
ब्रह्म स्वयं भी विराजमान रहते हैं, जो इस कर्म क्षेत्र के
ज्ञाता के रूप में रहते हैं। ब्रह्म संसार के समस्त प्राणियों
में ज्ञात के रूप में हर समय मौजूद हैं।वे जीव के सारे
क्रियाकलापों को बिना कोई दखल दिए देखते रहते हैं।
इसलिए परम ब्रह्म पूरे संसार के ज्ञाता है। साफ है कि
ईश्वर हमारे शरीर में ही विद्यमान हैं। हम उसे अपने कर्म
और सोच द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। भगवान ने गीता में
कहां है,जो अपने सारे कर्मों को मुझे समर्पित करके तथा
अविचलित भाव से मेरी भक्ति और पूजा करते हैं एवं
अपने चित्त को मुझ पर स्थिर करके निरंतर मेरा ध्यान
करते हैं वे मुझे शीघ्र प्राप्त कर लेते हैं। इसी प्रकार मैं
उन्हें जीवन-मृत्यु के संसार से शीघ्र मुक्त करके उन्हें
मोक्ष प्रधान करता हूं। मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है।
उसे अपने विवेक द्वारा अपने इंद्रिय विषयों को नियंत्रण
करते हुए कर्म करना चाहिए और कर्म का फल ईश्वर को
समर्पित करते हुए अपने जीवन-यात्रा पुरी करनी चाहिए।
साथ में अपने चित्त को हमेशा ईश्वर में स्थित करके भक्ति
करनी चाहिए । इस प्रकार बिना किसी आडंबर और
दिखावे के उसे अंत में मोक्ष और ईश्वर प्राप्ति हो जाएगी।
ईश्वर की प्राप्ति ही हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(बिहार)