लखनऊ: निर्दोष रहते हुए भी सैकड़ों मासूमों की जान बचाने वाले बीआरडी हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील अहमद 8 महीने जेल में गुज़ार कर आये हैं,जबकि सरकार की नाकामी के चलते हुए हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई नही हो पाई थी जब ऑक्सीजन की कमी पाई गई और बच्चे दम तोड़ने लगे तो कफ़ील अहमद ने निजी तौर पर भागदौड़ करके सीलेण्डर इकठ्ठा किये थे।
जिसके बाद मीडिया ने कफ़ील अहमद को हीरो बना दिया था ये बात शायद सत्ताधारी लोगों को पसन्द नही आई और उन्होंने सारा दोष कफ़ील अहमद के ऊपर ड़ाल दिया और उन पर इलाज में लापरवाही सहित कई सारे मुक़दमे चलाये।
डॉक्टर कफ़ील ने यूपी प्रेस क्लब में आयोजित मेडिकल प्रोफेशन ओक्मिनेटमेंट टू दी ह्यूमानिटी के बैनर तले एक कार्यक्रम में विशेष मेहमान के तौर पर शिरकत करी और अपने विचार भी रखे।
डॉ कफील खान ने संबोधित करते हुए कहा कि हर अच्छे काम में कांटे होते हैं। हमें उन काँटों को मोहम्मद साअ के बताए हुए अखलाक से ही दूर करना होगा। उसके आलावा दुनिया की सभी मुश्किलों का जवाब बेहतर शिक्षा है। जिसके जरिए हम एक समृद्ध समाज के बेहतर इन्सान बन सकते हैं।
उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के उन 48 घंटों का ज़िक्र करते हुए कहा कि मैं कैसे उन बच्चों को मरते हुए देख सकता था, जहां सिर्फ एक डॉक्टर की बात नहीं थी। बल्कि एक इंसान की बात थी, हम कैसे उन बच्चों को खो सकते थे। जिन्होंने अभी उस दुनियां में ऑंखें खोलीं थीं।
उस मां की कितनी हसरतें रही होंगी। जिसका बच्चा मुद्दतों बाद पैदा हो। हमने इंसानियत के बढ़ावा के लिए उन मासूम बच्चों को बचाने की हर संभव कोशिश की। लेकिन अफ़सोस हमें किस चीज़ की सज़ा दी गई, हमें नहीं मालूम। जहाँ हमें और हमारे परिवार पर अत्याचार का पहाड़ ढाया गया।