#Punjab में #Gurdaspur के सीमावर्ती कस्बे फतेहगढ़ चुडियां के ग्राम पराचा के एक साधारण परिवार की बच्ची #GurnoorKaur नियम से गुरबानी और जापजी साहिब का पाठ करती है. गुरनूर को 10 गुरुओं के नाम, जाझारू खालसा और उनके द्वारा बोले गए गुरबानी के कई छंद ज़ुबानी याद हैं.
गुरनूर के पिता, गुरजाप सिंह गांव में दूध की डेयरी चलाते हैं और मां, सिमरनजीत कौर गृहिणी हैं. गुरनूर को यह शिक्षा अपने माता-पिता से ही मिली है. खासकर कि उनकी मां ने उन्हें इस राह पर आगे बढ़ाया है. माता-पिता से मिली सीख गुरनूर के माता-पिता का कहना है कि हर बच्चे को अपने माता-पिता या घर के बड़े-बुजुर्गों से और बाद में समाज से संस्कार मिलते हैं. लेकिन शुरुआत अच्छी हो तो बच्चा कभी भटकता नहीं है. इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को हमेशा से सही राह पर चलने की सीख दी.
उन्होंने बताया कि जब गुरनूर ढाई साल की थी तब से ही उसने गाना शुरू कर दिया था और डेढ़ साल की लगातार मेहनत के बाद वह ईश्वर की कृपा से इतना अच्छा पाठ करने लगी है कि दूसरों को प्रेरणा दे रही है. गुरनूर को देखकर अब अन्य बच्चे भी गुरुद्वारा साहिब में जाकर पाठ करते हैं. सिमरनजीत कौर और गुरजाप सिंह का कहना है कि हमारे बच्चे सिख इतिहास को भूल रहे हैं. उन्हें सिख इतिहास की जानकारी देने की बहुत ज़रूरत है और उन्हें गुरबानी से जोड़ने की भी बहुत आवश्यकता है.