विशेष

उम्र 40 पार करते ही स्त्री की सुदरता चार गुना और पुरूष की आशिक़ी आठ गुना बढ़ जाती हैं !!💋💋💋

स्वामी देव कामुक
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प्रणाम (नमन) में बड़ी ताकत होती है. पहले लोग सुबह सुबह उठ कर घर के बड़े-बुजुर्गों को झुक कर प्रणाम करते थे, उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते थे, विशेषकर महिलाएं. लेकिन आजकल यह प्रथा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है और हम बुजुर्गों के आशीर्वादों से वंचित.

वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याएं हैं उनका मूल कारण यही है कि हम घर के बड़े-बुजुर्गों का आदर नहीं करते और जाने-अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है. यदि घर के बच्चे और बहुएं प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर-परिवार में कभी कोई क्लेश ही न हो. दरअसल बड़ों के दिए हुए आशीर्वाद हमारे लिए कवच की तरह काम करते हैं और उनको दुनिया का कोई भी अस्त्र-शस्त्र नहीं भेद सकता.

एक दिन महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर भीष्म पितामह घोषणा करते हैं कि वे कल पाण्डवों का वध कर देंगे. उनकी इस घोषणा का पता चलते ही पाण्डवों के शिविर में खलबली और बेचैनी बढ़ गई क्योंकि भीष्म पितामह की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था, इसीलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए.

तब श्रीकृष्ण जी ने द्रौपदी से कहा कि अभी मेरे साथ चलो और श्रीकृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए. शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि तुम अन्दर जाकर भीष्म पितामह को प्रणाम करो. द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम किया तो उन्होंने “अखण्ड सौभाग्यवती भव” का आशीर्वाद दे दिया और पूछा कि “वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहां कैसे आई हो, क्या तुमको श्रीकृष्ण लेकर आये है”?

तब द्रोपदी ने कहा कि “हाँ, पितामह और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं”. तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया. भीष्म ने कहा “मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्रीकृष्ण ही कर सकते हैं”.

शिविर से वापस लौटते समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि “तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है”. अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन-दुःशासन आदि की पत्नियां भी पाण्डवों को प्रणाम करती होतीं, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती.

स्वामी देव कामुक
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उम्र 40 पार करते ही स्त्री की
सुदरता चार गुना,
और पुरूष की आशिकी
आठ गुना बढ़ जाती हैं !!💋💋💋

स्वामी देव कामुक
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अब हम भी किसी से मोहब्बत ना करेगे
जिंदगी में कोई रंग सपनों का ना भरेंगे
कदम कदम पर तोड़ती है दिल ये दुनिया
दिल हम हथेली पर अब ना रखेगे
अब हम भी किसी से मोहब्बत ना करेंगे
बड़ी आरज़ू थीं हमको किसी से दिल लगाने की
किसी के पास जाने की उसे अपना बनाने की
किसी के कन्धे पर सर अब ना धरेंगे
अपने हर गम को खुद ही पीयेगे
अब हम भी किसी से मोहब्बत ना करेंगे
लेकर अपना टूटा दिल आज खुदा से भी खूब लड़ेगे
लगकर उनके गले रूठेगे मनेगे
सुना है सबके तारणहार है वो
आज उनकी कश्ती में ही चढ़ेगे
सारे गिले शिकवे अब उन्हीं से करेगे
माँगकर उनसे सातों रेँग जिंदगी में सबकी भरेंगे
अब हम मोहब्बत खुदा के सिवा किसी से ना करेगे
🙏 ❤️🙏
तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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तुम……. और
तुम्हारी यादें…….
तुम्हारा प्यार भरा रूहानी एहसास…….
बस यही तो रह गया है अब मेरे
पास …….

तुम्हारी वो अदा”* वो प्यारी -प्यारी ….
बातें और मीठी- मीठी यादें…….
जिन्हें याद कर के मुस्कुरा पड़ता हूँ…….
मैं……और आँखें भी छलक
पड़तीं हैं मेरी कभी …..
कभी……

मुझ में तुम इस क़दर हो ……
कि कहीं भी कोई खालीपन नहीं है
मुझ में……..सिवाय मेरी नज़रों के…..
जो हरदम तुम्हें ढूँढ़ा करती हैं ……….

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है