नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरिवाल ने मुसलमानों का वोट तो थोक के भाव लिया था लेकिन अब उनकर हित के लिये फुटकर में भी कोई काम नही होरहा है,आम आदमी पार्टी अपने आपको सेक्यूलर पार्टी दिखाने के चक्कर मे नज़र अंदाज कर रही है ऐसा कई जगहों पर देखा गया है।
मुस्लिम मुद्दो पर अरविंद केजरीवाल जान बचाते हुए नज़र आते हैं और वो इस बात से शायद घबराते हैं कि उन पर मुसलमानों कर् मुख्यमंत्री होने का ठप्पा न लग जाये, जिससे उनकी छवि पर कोई फर्क पड़े।
दिल्ली के सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में का करने वाले में मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिये अल्पसंख्यक आयोग ने जुमें की नमाज़ पढ़ने की मोहलत के लिये एक प्रस्ताव पेश किया था लेकिन दिल्ली सरकार ने उस पर को फैसला लिया है वो बहुत ही निराशाजनक है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार का कहना है कि स्कूल की अवधि के दौरान अब राजधानी दिल्ली में मुस्लिम शिक्षकों को जुमे की नमाज अदा करने की इजाजत नहीं मिलेगी। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। इससे पहले शिक्षकों ने आयोग से शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए जाने देने का आग्रह किया था।
डीएमसी के अध्यक्ष जराफुल इस्लाम खान ने बताया कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने लिखित प्रतिक्रिया में कहा है कि शिक्षक शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने के लिए अपनी कक्षाओं को छोड़कर नहीं जा सकते, क्योंकि इससे विद्यार्थियों के हितों को नुकसान पहुंचता है। खान ने बताया कि शिक्षा विभाग ने कहा है कि नियमों में ढील नहीं दी जा सकती और दोपहर एक बजे से शुरू होने वाली कक्षा के लिए शिक्षकों को दोपहर 12:45 बजे तक स्कूल पहुंचना होगा।
शिक्षकों ने जुमे की नमाज के लिए मांगी थी इजाजत
इससे पहले शिक्षकों ने आयोग से शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए जाने देने का आग्रह किया था, जिसके बाद इस संबंध में शिक्षा विभाग और तीनों नगर निगमों की प्रतिक्रिया मांगी गई थी। खान ने कहा कि नगर निगमों ने इस संबंध में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
निश्चित राशि देकर अदा कर सकते नमाज
जराफुल इस्लाम खान ने कहा कि शिक्षकों ने मुझसे कहा कि 1954 में केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार, कर्मचारी अपने वेतन से एक निश्चित राशि देने के बाद नमाज अदा करने जा सकते हैं। हमने गृह विभाग को इस संबंध में लिखा है कि क्या इस नियम को अभी भी लागू किया जा सकता है। खान के अनुसार, गृह मंत्रालय से इस संबंध में अभी जवाब नहीं आया है।