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नाबालिग से रेप मामले में मदरसे और मौलवी को बदनाम करने पर रवीश कुमार ने BJP आईटी सेल को लगाई लताड़

देश के मशहूर पत्रकार रवीश कुमार अपनी बेबाकी और निडरता के लिये मशहूर हैं,भरतीय जनता पार्टी के दुष्प्रचार की पोल खोल कर रख देते हैं,जिसके कारण बीजेपी के नेतागण रवीश कुमार को पसन्द नही करते हैं और उन्हें ट्रोल करने की कोशिश करते हैं,गाज़ियाबाद का एक मदरसा इन दिनों बड़ी चर्चाओं में है,जहां के जिम्मेदार को इस केस में दोषी साबित करने के लिये ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगाया जारहा है,जिस पर रवीश कुमार ने लिखा है…….

“लगता है आई टी सेल के पास वाक़ई कोई काम नहीं। चार दिनों से अभियान चला रखा है कि दिल्ली से सटे ग़ाज़ीपुर में एक नाबालिग़ लड़की के साथ बलात्कार की घटना पर चुप हूँ। क्योंकि उसमें एक आरोपी मौलवी है। लड़की ने पहले इसका नाम नहीं लिया था मगर अब पुलिस ने जाँच पड़ताल के बाद मौलवी को धर लिया है और पोक्सो लगा दिया है। मेरा चुप रहने का सवाल ही नहीं। बोलें न बोलें, बलात्कार के मामले में बात एक ही है। जाँच हो, जल्दी जाँच हो और सज़ा भी जल्दी हो। मैं फाँसी की बात कभी नहीं करता। न संत के लिए और न मौलवी के लिए। अब आई टी सेल मेंटालिटी को दिल्ली पुलिस के क़ाबिल अफ़सरों पर यक़ीन नहीं था तो ये उनकी समस्या थी। उन्हें गृहमंत्री से कहना था कि कमिश्नर को हटा दें।

रवीश कुमार ने आगे लिखा है कि ” हक़ीक़त यह है कि दिल्ली पुलिस पहले दिन से इस मामले में काम कर रही थी। वैसे हमने बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने वाले आसाराम पर भी नहीं लिखा। इसका मतलब नहीं कि आसाराम के लिए तिरंगा लेकर सड़क पर ज़िंदाबाद करने चले गए हैं। कठुआ मामले में तिरंगा लेकर आरोपी के पक्ष में लोग और वक़ील निकले थे। पुलिस के साथ धक्कामुक्की की गई और जयश्री राम के नारे लगे। इसका विरोध क्या उन लोगों ने भी किया था जो ग़ाज़ीपुर बलात्कार कांड के बहाने ख़ुद को इंसाफ़ पसंद बता रहे हैं? उन्नाव में एक साल से बलात्कार के आरोपियों को कौन बचा रहा था?

विधायक के पक्ष में कौन सभा कर रहा था और पुलिस पीड़िता की मदद कर रही थी या विधायक की? उन्नाव की पीड़िता के लिए कौन मोमबत्ती लेकर निकला था? हम हर बार न लिख सकते हैं और न लिखेंगे। हमारा हर मामले में एक ही स्टैंड है।मीडिया ट्रायल न हो। पुख़्ता जाँच हो और सज़ा मिले। मौलवी
हो तो जल्दी सज़ा मिले और संत हो तो थोड़ी देर से मिले ताकि बड़े बड़े नेता उनके साथ नाच सकें और फ़ोटो खींचा सकें, बाद में कह सकें कि हमको तो पता भी नहीं था। हम तो संत के यहाँ जाते थे। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मुझे क्यों गाली दे रहे हैं? गृहमंत्री और पुलिस की नाकामी पर भी मैं ही गाली सुनूँ ?

कहीं ऐसा तो नहीं कि गाली देने वालों को लग रहा था कि ये सरकार सिर्फ़ मेरी सुनती है। तो ये बात शराफ़त से कह सकते थे, मैं सरकार को सुना देता। भाषा तो ठीक रखो नौजवानों। सबका स्क्रीन शॉट लगा दूँगा तो जवाब देते नहीं बनेगा। मतलब बीमारी में दफ़्तर नहीं जाएँगे तो उसका भी हिसाब लोगे? कमाल है। अब जब मौलवी धरा गया है तो उम्मीद है कि पुलिस जाँच में तेज़ी बनाए रखेगी जिस तरह से अभी उसकी रफ़्तार है। आई टी सेल आप नौजवानों को बर्बाद कर रहा है। समय रहते सतर्क हो जाएँ। ।

रवीश कुमार की फ़ेसबुक वॉल से