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दिल्ली की जक़ात फाउंडेशन से यह 26 मुस्लिम युवा बने आईएएस और आईपीएस अफसर

दिल्ली: 2017 की यूपीएससी का फाईनल रिज़ल्ट आगया है जिसमें मुसलमानों की संख्या भी सन्तुष्ट करने वाली है,अब लगने लगा है कि मुस्लिम युवा अपने भविष्य के लिये चिंतित हैं और पढ़ाई लिखाई की तरफ ध्यान दे रहे हैं,सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमान राजनैतिक शैक्षिक रूप से देश मे दलितों से भी ज़्यादा पिछड़ा हुआ है उसको इन क्षेत्रों में रिज़र्वेशन की ज़रूरत है।

युवा मुस्लिम प्रतिभाओं को बाहर दुनिया के सामने लाने के लिये और उनके सपनों को पँख देने के लिये दिल्ली में एक ट्रेनिंग सेंटर चलाया जाता जिसका नाम ज़कात फाउंडेशन है,जहां पर आईएस और आईपीएस के लिये बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है ,और साथ रहने खाने पीने पढ़ने की तमाम सहूलियात दी जाती हैं।

2017 के यूपीएससी के परिणामों में ज़कात फाउंडेशन से ट्रेनिंग लेने वाले 26 मुस्लिम युवाओं के भी नाम शामिल हैं,जिन्हें यूपीएससी के एग्ज़ाम को क्लियर करने के लिये ज़कात फाउंडेशन की तरफ से कोचिंग दी गई थी,पिछले वर्ष भी ज़कात फाउंडेशन की तरफ से 16 युवाओं ने देश का सबसे बड़ा एग्ज़ाम क्लियर किया था।

जक़ात फाउंडेशन की मदद से आईएएस और आईपीएस बनने वाले युवाओं में सबसे अधिक यूपी और केरल से 9-9 युवा हैं. जबकि जम्मू-कश्मीर से तीन और महाराष्ट्र-बिहार से 2-2 युवा हैं. पिछले साल के मुकाबले इस बार लड़कियों की संख्या कम है. पिछले साल जहां 4 लड़कियों ने जक़ात की मदद से ये परीक्षा पास की थी तो इस बार ये संख्या सिर्फ 2 है. लेकिन सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारियों के लिए जक़ात फाउंडेशन की मदद पाना आसान नहीं है।

जक़ात फाउंडेशन के अध्यक्ष डाक्टर सैय्यद जफर महमूद से. जो खुद भी सिविल सर्विस से रिटायर्ड हैं।जफर महमूद बताते हैं कि आमतौर पर अप्रैल के आखिरी रविवार को हम राष्ट्रीय स्तर पर लिखित परीक्षा कराते हैं. ये परीक्षा दिल्ली में होती है. तीन सेंटर श्रीनगर, मल्लापुरम (केरल) और कोलकाता में हम खुद जाकर परीक्षा लेते हैं।

लिखित परीक्षा का पेपर सिविल सर्विस की प्री परीक्षा में आने वाले प्रश्नों के स्तर का होता है. परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों का सिविल सर्विस के रिटायर्ड और सर्विस कर रहे अधिकारियों का पैनल इंटरव्यू लेता है. लिखित परीक्षा के लिए नवंबर में आन लाइन आवेदन लिए जाते हैं।

डॉ. जफर का कहना है कि एक बैच के लिए हम 50 लड़कों का चुनाव करते हैं. लेकिन लड़कियों के लिए सीट की कोई सीमा नहीं है. लिखित परीक्षा और इंटरव्यू पास करने के बाद चाहें जितनी लड़कियां कोचिंग के लिए आ सकती हैं. हालांकि अभी तक एक बैच में 10 से 12 लड़कियां आती हैं, जिसमें से तीन से पांच लड़कियां कामयाब हो रही हैं।

डॉ. जफर का कहना है कि दिल्ली में हमारे पास चार हॉस्टल हैं. सबसे पहले हम चुने गए लड़के-लड़कियों को दिल्ली की कुछ अलग-अलग कोचिंग में दाखिला दिलाते हैं. इसका खर्च जक़ात फाउंडेशन ही उठाती है. कोचिंग में पढ़ाई करने के बाद शुरू होती है जक़ात फाउंडेशन की पढ़ाई।

डॉ. जफर का कहना है कि वो जब एएमयू में पढ़ते थे वो खुद और उनके कई दोस्त सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहते थे. लेकिन मदद करने वाला कोई कोचिंग सेंटर नहीं था. दूसरा ये कि मैं खुद भी सच्चर कमेटी में रहा था. रिपोर्ट में जो हाल मैंने देखा तो उसके बाद लगा कि वाकई सिविल सर्विस की तैयारी कराने के लिए इस तरह का कोई सेंटर होना जरूर चाहिए।