कश्मीर राज्य

जम्मू-कश्मीर : पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की घोषणा के विरोध में गुर्जर बकरवाल समुदाय का 500 किलोमीटर लंबा मार्च शुरू!

जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने की घोषणा के विरोध में गुर्जर बकरवाल समुदाय मार्च कर रहा है.

समुदाय ने कुपवाड़ा से कठुआ तक 500 किलोमीटर लंबा मार्च शुरू किया है, जिसमें जम्मू और कश्मीर के सभी 20 जिलों को कवर किया जाएगा. ट्राइबल बचाओ मार्च, 4 नवंबर को कुपवाड़ा से शुरू हुआ था.

ये मार्च बुधवार, 9 नवंबर को श्रीनगर पहुंच गया है और कल पुलवामा के लिए रवाना होगा.

इस मार्च का आयोजन गुर्जर बकरवाल ज्वाइंट एक्शन कमेटी के बैनर तले 40 गुर्जर युवकों ने किया है. ये लोग आदिवासी गांवों में जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि इस घोषणा का उनके भविष्य पर कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा.

गृह मंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की घोषणा की थी.

जम्मू -कश्मीर गुर्जर-बकरवाल जॉइंट एक्शन कमिटी के आर्गेनाइजर गुफ़्तार चौधरी ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया कि सरकार ने जिस तरह से ऊँची जातियों के लोगों को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा दिया गया है, उससे उनकी सरकारी नौकरियों और शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.

गुफ़्तार ने बताया, “कुछ दिन पहले जी. डी कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लास्सेस में सिफारिश की गई कि ऊँची जाति के लोगों को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा दिया जा रहा है. इन्में जम्मू के गुप्ता, महाजन और मुसलमानों की ऊँची जाती सईद को शामिल किया जा रहा है. ये सब कुछ संविधान का उल्लंघन है.

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माजिद जहांगीर

बीबीसी हिंदी के लिए, श्रीनगर से