उत्तर प्रदेश राज्य

डॉ कफ़ील खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी ज़मानत-7 महीनों से जेल में थे बन्द

लखनऊ: गोरखपुर के एक अस्पताल में मासूमों की मौत के मामले में डॉ.कफील खान को बुधवार (25 अप्रैल) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। बता दें कि यहां के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीते साल ऑक्सीजन की कमी से मासूमों की मौत हो गई थी। खान को इसी मामले में दो सितंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था। खान के परिवार ने जमानत को लेकर पिछले सात महीनों में छह अलग-अलग बार याचिकाएं दी थीं।

गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद डॉ. कफील ने एक खत लिखा था इस खत में उन्होंने लिखा है कि बड़े स्तर पर हुई प्रशासनिक नाकामी के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया गया. 18 अप्रैल को लिखा गया ये खत उनकी पत्नी शबिस्ता ने शनिवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पूरी मीडिया को जारी किया।

दो सितंबर 2017 से जेल में बंद डॉ. कफील ने कई गंभीर आरोप लगाने के साथ-साथ एक बार फिर से खुद को बेगुनाह बताया।डॉ. कफील खान ने खत में लिखा है कि 10 अगस्त की उस भयानक रात जब व्हाट्सएप पर मुझे ऑक्सीजन खत्म होने की खबर मिली, तो फौरन मैंने वो सब किया जो एक डॉक्टर, पिता और देश के जिम्मेदार नागरिक को करना चाहिए. ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे बच्चों को बचाने की मैंने पूरी कोशिश की।

मैंने सभी लोगों को फोन किया, मैंने खुद ऑक्सीजन का ऑर्डर किया. मुझसे जो कुछ हो सकता था, मैंने वो सब किया. मैंने एचओडी, बीआरडी के प्रिंसिपल, एक्टिंग प्रिंसिपल, गोरखपुर के डीएम सभी को कॉल किया. सभी को स्थिति की गंभीरता के बारे में बताया. मैंने अपने दोस्तों को भी फोन कर उनसे मदद ली।

बच्चों की जान बचाने के लिए मैंने गैस सिलेंडर सप्लायर से मिन्नतें तक कीं. मैंने कुछ पैसों का इंतजाम कर कहा कि बाकी पैसा सिलेंडर मिल जाने के बाद पे कर दिया जाएगा. मैं बच्चों को बचाने के लिए एक वार्ड से दूसरे वार्ड भाग रहा था. पूरी कोशिश कर रहा था कि कहीं भी ऑक्सीजन सप्लाई की कमी न हो. आसपास के अस्पताल से सिलेंडर का इंतजाम करने के लिए मैं खुद गाड़ी चलाकर गया।