भारत से मुसलमानों का हज़ारों साल पुराना नाता है इसी कारण इस मिट्टी से मुहब्ब्त दिल ओ जान से मुहब्ब्त करता है,लेकिन कुछ लोग मुसलमानों के देश प्रेम और वफ़ादारी पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं और अपमान करते हैं सच्चे वफादार देशप्रेमी मुसलमानों का,और देश पर कुर्बान होने वाले शहीदों का।
आज हम एक ऐसे सच्चे देश प्रेमी की कहानी आपके सामने लेरहे हैं जिसने पाकिस्तान के प्रस्ताव और उसके ऑफर को ठुकरा दिया था,और अपने सच्चे हिन्दोस्तानी होने का परिचय देते हुए भारतीयों का सीना फ़खर से चौड़ा कर दिया था।
सैयद मुश्ताक़ अली
विदेशी सरजमीं पर भारत के लिये पहला टेस्ट शतक लगाने वाले सलामी बल्लेबाज सैयद मुश्ताक अली ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, जिसमें उन्होंने इस खिलाड़ी से पाकिस्तान की नागरिकता लेने का आग्रह किया था। मुश्ताक के बेटे गुलरेज अली ने उस वाकये को याद करते हुये बताया कि बंटवारे के बाद 1948 में भुट्टो ने उनके पिता को पाकिस्तान की नागरिकता लेने के लिये कहा था।
भुट्टो ने दिया था यह ऑफर
दरअसल, मुश्ताक को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से उनके देश की नागरिकता लेने का प्रस्ताव दो बार मिला था। गुलरेज ने कहा, मेरे पिता ने मुझे एक बार बताया था कि उन्हें जुल्फिकार अली भुट्टो ने आमंत्रित किया था,अगर मेरी याददाश्त सही है तो यह वाकया 1947-48 का है जब उन्हें पाकिस्तान जाकर वहां रहने का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि ऐसा प्रस्ताव दूसरी बार 70 के दशक में मिला था जब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात के लिये शिमला आये थे। उन्होंने दोनों बार इस प्रस्ताव को शिष्टतापूर्वक यह कहते हुये ठुकरा दिया कि भारत मेरा घर है, इसने मुझे सब कुछ दिया है और मैं अपनी पूरी जिंदगी यहीं रहूंगा। उन्होंने कहा कि भुट्टो के सम्मान मुश्ताक ने गुलरेज के बेटे अब्बास अली का उपनाम जुल्फी रखा है।
क्रिकेट कोच हैं गुलरेज
गुलरेज और अपने दादा की तरह अब्बास अली ने भी घरेलू क्रिकेट में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने भारत ए की ओर से 1998 में पाकिस्तान का दौरा भी किया है। अब्बास ने दो साल पहले प्रथम श्रेणी क्रिकेट को अलविदा कहा है। वह राज्य की सीनियर टीम के क्षेत्ररक्षण कोच है और खिलाड़ियों को सैयद मुश्ताक अली टी-20 टूर्नमेंट की तैयारी कर रहे है।
मुश्ताक (90 वर्ष) का जन्म 1914 में हुआ और उन्होंने 1934 से 1952 तक 11 टेस्ट मैच खेले है। उन्होंने 1936 में ओल्ड ट्रैफर्ड 112 रन की पारी के दौरान विजय मर्चेंट के साथ पहले विकेट के 203 रन जोड़े। 2005 में उनका निधन हो गया।