श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष व सांसद डॉक्टर फारूक अब्दुल्लाह ने अफगानिस्तान के राज्य क़ंदूज़ के मदरसा पर बमबारी की निंदा करते हुए मासूम हुफ्फाजुल कुरान, बच्चों और उलेमा ए किराम को मारने की कार्रवाई को इंसानी अधिकार की सबसे बुरी खिलाफवर्जी और सबसे बड़ा आतंकवाद करार दिया है।
इस नरसंहार पर विश्व समुदाय की चुप्पी पर जबरदस्त चिंता व्यक्त करते हुए डॉक्टर फारूक अब्दुल्लाह ने कहा कि खुद को समृद्ध समुदाय जतलाने वालों ने इस बुरे घटना पर बोलना भी गंवारा नहीं किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग की आड़ में अमेरिका सबसे ज्यादा आतंकवाद कर रहा है।
उन्होंने पीड़ित परिवारों और मृत बच्चों के माता पिता के साथ दिली श्रधांजली और हमदर्दी ज़ाहिर करते हुए कहा कि कश्मीर के लोग इस बड़े सदमे में बराबर का हिस्सेदार है। उन्होंने दुनिया में मुसलमानों पर हो रहे ज़ुल्म की निंदा करते हुए कहा कि बदकिस्मती से मुसलमानों के दुश्मन एकजुट हो गए और मुसलमान एक दुसरे के खिलाफ खड़े हैं।
सोमवार को देर रात अफगानिस्तान के राज्य क़ंदूज़ के शहर दश्त आर्ची के मदरसे पर हुए एक हवाई हमले में मदरसे में शिक्षा हासिल कर रहे सैकड़ों बच्चे शहीद होगए हैं,जिस वजह पूरी दुनिया में एक मातम सा छाया हुआ है,लेकिन इन मासूम बच्चों की मौत पर और भयानक हादसे पर मीडिया ने दोगला रवैय्या इख्तियार किया हुआ है,जिस कारण सवाल उठना तो लाज़मी है।
अमेरिका के इशारों पर चलने वाली अफगानिस्तानी सरकार का कहना है कि मदरसे में तालिबान की ख़ुफ़िया मीटिंग चल रही थी जिनको खत्म करने के लिये उन्होंने हमला किया था जिसमें तालिबान के अहम नेता भी शामिल थे इसलिए वहां हमला करके तालिबानी आतंकवादियों को मार दिया गया।
अफगानिस्तान की रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जनरल मोहम्मद रादमनश का कहना है कि हमले के समय मदरसे में कोई छात्र मौजूद नहीं था और जो छात्र मरे हैं वह हवाई हमले के बाद होने वाली फायरिंग में मारे गए हैं, मगर क़ंदूज़ के जनता का कहना है कि अफगानिस्तान की सरकार का दावा बिलकुल झूठा है और जिस समय हवाई हमला हुआ उस समय मदरसे में कुरान हिफ्ज़ करने वाले छात्रों की दस्तारबंदी चल रही थी।