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फ़िलिस्तीन पर अवैध क़ब्ज़ा करने वाले ज़ायोनी शासन के साथ किसी तरह का संबंध नहीं रखा जाना चाहिए : रिपोर्ट

 

इराक़ की जनता हमेशा से इसबात पर ज़ोर देती आई है कि फ़िलिस्तीन पर अवैध क़ब्ज़ा करने वाले ज़ायोनी शासन के साथ किसी तरह का संबंध नहीं रखा जाना चाहिए।

गत 26 मई 2022 को इराक़ की संसद ने एक क़ानून पास किया जिसमें यह कहा गया कि इस्राईल से रिश्ते रखना और सहयोग करना ग़ैर क़ानूनी है। इसे इराक़ के भीतर और बाहर बड़ी कवरेज मिली।……उस समय इराक़ के संसद सभापति अलहलबूसी ने कहा कि इराक़ी संसद ने साहसिक क़दम उठाते हुए ज़ायोनी शासन से कोई भी संबंध रखे जाने का विरोध का क़ानून पास करके दर हक़ीक़त फ़िलिस्तीन के बारे में इराक़ी जनता की सोच और इच्छा को प्रतिबिंबित किया जिस पर हमें फ़ख़्र है……इस क़ानून के अनुसार इस्राईल से रिश्ते रखने की हर कोशिश को अपराध माना जाएगा।….सुन्नी धर्मगुरू का कहना था कि फ़िलिस्तीन का मसला बुनियादी मसला है, इस्राईल से रिश्ते स्थापित करना केवल फ़िलिस्तीनी जनता का अपमान नहीं बल्कि बल्कि यह धार्मिक स्थलों का अपमान और इस्लामी जगत के साथ ग़द्दारी है। हमारे ऊपर दबाव तो बहुत डाला जा रहा है लेकिन हमें हरगिज़ पीछे नहीं हटना चाहिए।…..इराक़ी सांसद का कहना था कि इराक़ की जनता पूरी तरह बेदार है इस क़ानून से साबित हुआ कि इराक़ के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि दोस्त कौन है और दुश्मन कौन है। मुझे यक़ीन है कि रेज़िस्टेंस फ़्रंट के शहीदों के ख़ून की बरकत से ज़ायोनी शासन हरगिज़ इस इलाक़े में कुछ भी हासिल नहीं कर सकेगी। इराक़ी संसद में इस क़ानून का पास होना आसान नहीं था। इराक़ में अमरीका की एम्बेसी को पूरी दुनिया में अमरीका की सबसे बड़ी एम्बेसी का दर्जा हासिल है इस दूतावास ने इराक़ के अलग अलग धड़ों पर दबाव डाला कि यह क़ानूनी इराक़ी संसद से पास न होने पाए। अमरीका ने इराक़ का क़ब्ज़ा करके जो कोशिशें की उनमें एक यह थी कि इस्राईल से इराक़ के संबंध स्थापित हो जाएं लेकिन इराक़ियों ने इसकी अनुमति नहीं दी इराक़ी जनता का कहना हे कि बैतुल मुक़द्दस को आज़ादा कराया जाना चाहिए और फ़िलिस्तीनी संगठनों को एकजुट करना चाहिए।

बग़दाद से आईआईआईबी के लिए जलाल ख़ालेदी की रिपोर्ट