बेरूत: सीरिया के पूर्वी घोउटा स्थित एक स्कूल में हुए हवाई हमले में 15 बच्चों और 2 महिलाओं की मौत हो गई. सभी लोग बम से बचने के लिए स्कूल के बेसमेंट में छिपे हुए थे. ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने बताया कि घोउटा में विद्रोहियों के कब्जे वाले प्रमुख क्षेत्र अरबीन में हवाई हमला हुआ, जहां सरकारी बल पिछले एक महीने से लगातार हमले कर रहा है।
Monitor: Air strike on #Syria's #Ghouta kills 15 children sheltering in school pic.twitter.com/Sp1yOyY9FR
— Al Arabiya English (@AlArabiya_Eng) March 19, 2018
ब्रिटेन स्थित निगरानी संस्था के प्रमुख रमी अब्देल रहमान ने कहा, ‘एक हवाई हमले के दौरान तीन मिसाइलें स्कूल पर गिरीं, जिसके बेसमेंट का इस्तेमाल बम से बचने के लिए किया जाता था.’ उन्होंने कहा कि बचाव कर्मी अब भी जीवित बचे लोगों की तलाश कर रहे हैं।
15 children have died in an air strike in Eastern #Ghouta as they sought shelter in a school basement https://t.co/KsPOTx6im0 #SafeSchools
— Their News (@theirnews) March 20, 2018
रूसी हमले में 46 लोगों की मौत हो गई थी
बीते सप्ताह ही दमिश्क के पास विद्रोहियों के कब्जे वाले शहर पर सेना और रूसी हवाई हमले में कम से कम 46 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, उत्तरी सीरिया में कुर्द के कब्जा वाले शहर पर हमले में कम से कम 22 लोग मारे गए थे. कुल मिलाकर हवाई हमले में कम से कम 68 नागरिकों की मौत हुई थी. सीरिया में 7 सालों से गृह युद्ध छिड़ा हुआ है. जंग पर नजर रखने वाले संगठन ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने कहा है कि दमिश्क के पास विद्रोहियों के कब्जा वाले पूर्वी घौटा में सीरियाई और रूसी विमानों ने कफ्र बाटना में बमबारी की।
An #airstrike on a school in #Syria's Eastern #Ghouta late on Monday killed 15 children and two women who were using its basement as a bomb shelter, a monitor said. https://t.co/NX33NqCz7J
— Firstpost (@firstpost) March 20, 2018
मिलिशिया ने सैन्य अभियान तेज किया
सीरियाई सुरक्षा बलों ने पूर्वी घौटा में अपना अभियान तेज करते हुए विद्रोहियों के गढ़ वाले सबसे बड़े शहर का संपर्क काट दिया है. पिछले एक महीने के दौरान 1000 से ज्यादा नागरिक मारे जा चुके हैं. सरकारी सैनिकों और सहयोगी मिलिशिया ने 18 फरवरी को पूर्वी घौटा के लिए अपना सैन्य अभियान शुरू किया और आधे से ज्यादा हिस्से में बढ़त बना ली थी. हिंसा रोकने का वैश्विक आह्वान भी बेअसर रहा. ‘बांटो और आक्रमण करो’ की रणनीति के तहत हमला करते हुए विद्रोहियों के क्षेत्रों पर कब्जा किया गया.