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यूक्रेन की राजधानी और अन्य शहरों पर रूस के भीषण हमले : रिपोर्ट

यूक्रेन की राजधानी कीव सहित अनेक शहरों पर रूस के हमलों से कितना जानी और माली नुक़सान हुआ यह तो अभी मालूम नहीं हो सका लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतीन ने यह पैग़ाम ज़रूर दे दिया कि अगर यूक्रेन ने रूस के इंफ़्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाकर अब तक चले युद्ध के आयाम बदलने की कोशिश की तो मास्को की तरफ़ से कठोर हमले होंगे।

सोमवार के हमलों से रूस ने दरअस्ल यूक्रेन को यह पैग़ाम देने की कोशिश की है कि इंफ़्रास्ट्रक्चर पर कोई भी हमला नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

क्रीमिया को रूस से जोड़ने वाले पुल पर गत शुक्रवार को बड़ा धमाका हुआ था। बताया जाता है कि पुल पर विस्फोटकों से भरे ट्रक पर ड्रोन से मिसाइल फ़ायर किया गया जिसके नतीजे में बहुत भीषण धमाका हो गया और पुल को काफ़ी नुक़सान पहुंच गया। नुक़सान इतना ज़्यादा है कि इसकी मरम्मत में दो महीने का समय लग सकता है।

इस हमले के बाद से ही अटकलें थीं कि यूक्रेन ने दरअस्ल यह हमला करके रूस को उकसाने वाली कार्यवाही की है। हालांकि यूक्रेन ने पुल पर होने वाले धमाके की ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं की है लेकिन रविवार को एक अहम मीटिंग में रूसी राष्ट्रपति पुतीन ने कहा कि इसमें कोई शक है ही नहीं कि यह हमला यूक्रेन की इंटेलीजेन्स ने किया है।

सच्चाई यह है कि यूक्रेन पश्चिमी देशों विशेष रूप से अमरीका की भयानक साज़िश के चक्कर में पड़कर बड़े भयानक दलदल में फंस गया है। यूक्रेन का 18 प्रतिशत भाग रूस का हिस्सा बन चुका है। हालांकि यूक्रेन का कहना है कि वह अपने सारे इलाक़े रूस के क़ब्ज़े से आज़ाद करवाएगा।

यूक्रेन की जंग के प्रभाव केवल इसी इलाक़े तक सीमित नहीं हैं बल्कि इसका असर विश्व स्तर पर देखा जा रहा है। जंग शुरू होते ही विश्व में खाद्यान्न की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका से बहुत सारे देश परेशान हो गए वहीं दूसरी ओर पूरे यूरोप में ऊर्जा का संकट खड़ा हो गया।

जैसे जैसे सर्दी का मौसम नज़दीक आ रहा है यूरोपीय देशों में चिंताएं गहराती जा रही हैं क्योंकि रूस से गैस की सप्लाई बंद हो गई है।

इस तरह देखा जाए तो यूक्रेन युद्ध के बड़े भयानक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं और यह सब कुछ उस जुए का नतीजा है जो अमरीका खेलना चाहता है। अमरीका दरअस्ल वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा है। वाशिंग्टन की कोशिश है कि रूस बोरिस येल्तसीन के ज़माने वाली स्थिति में लौट जाए और विश्व मंच या इलाक़े के स्तर पर प्रभावी खिलाड़ी की भूमिका में न रहे अमरीका को इसके लिए एक अच्छ रास्ता यह नज़र आ रहा है कि रूस को यूक्रेन की जंग में इस तरह उलझा दिया जाए कि वह सामरिक और आर्थिक दोनों आयामों से कमज़ोर हो जाए।

मगर टीकाकार कहते हैं कि हालात उस रुख़ पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं जिस रुख़ पर अमरीका आगे ले जाना चाहता है और इसका नुक़सान केवल अमरीका को नहीं बल्कि उन सारे देशों को पहुंच रहा है जो अमरीका के इस खेल में शामिल हुए हैं बल्कि नुक़सान वे देश भी उठा रहे हैं जिनका इस खेल से कुछ लेना देना नहीं है।