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विम्मो बूआ…
विम्मो बूआ … विम्मो तो हम उन्हें प्यार से बुलाते हैं उनका पूरा नाम था विमला । जब कभी मैं जाड़े के दिनों मे हौस्टल से घर वापस आती वे अम्मा के कहे अनुसार अंगीठी सुलगा कमरे में रख जाती सारा कमरा धुएं से भर जाता मेरी आंखें कड़वा जाती और मैं चिल्लाती , ” […]
या इलाही फ़ैसला कर दे….
या इलाही फ़ैसला कर दे रात को रौशन कर दे मजधार में फंसी है किश्ती को साहिल कर दे रोक ले आफ़त को रहमत से ग़नी कर दे मुसाफ़िर की दूर है मंज़िल सफ़र के वास्ते सामां कर दे मुश्किल है बड़ी. जाने तू ज़िन्दगी, आसां कर दे परिंदे की आरजू सुन क़ैद से आज़ाद […]
ठिकाने ग़म भी मिरा अब मिरे सिवाय लगे।। मैं चाहता भी यही हूँ कि तेरी हाय लगे।। – दाग़ अलीगढ़ी की चंद ग़ज़लें पढ़िये!
दाग़ अलीगढ़ी ============= आह में बदलती हैं सिसकियाँ भी खुलती हैं।। देखना दिसम्बर में सर्दियाँ भी खुलती हैं।। रफ़्ता रफ़्ता बनता है इश्क़ कीमती मोती, चाहतों की चोटों से सीपियाँ भी खुलती हैं।। जब सियासी रक़्क़सा हुक़्म दे तो क़दमों में, तख्तों-ताज गिरते हैं पगड़ियाँ भी खुलती हैं।। राज़ भी बहुत दिन तक राज़ रह […]