साहित्य

#poetessprachimishra : कवित्री प्राची मिश्रा की रचनायें पढ़िये, जो आज है वो कल नहीं होगा और जो कल था…

Prachi Mishra

Bangalore, India

From Satna

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नैनों के धारे धारे पर
कुछ ऐसा बंधन लिख डाला
बह निकला जो आंसू बनकर
कुछ ऐसा संगम लिख डाला
तुम दूर रहो या पास रहो
बनकर जोगन की आस रहो
महके जो सांसों में प्रति क्षण
कुछ ऐसा चंदन लिख डाला
© प्राची मिश्रा
#poetessprachimishra

Prachi Mishra
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कोई दीन हीन गमगीन समझ बैठे तो
बोलो हम क्या ही करें
हर कलाकार की कला अमोल
कोई चोकर भूसा समझ बैठे तो
बोलो हम क्या ही कहें
कर जतन अनेकों बड़ी लगन से
कविता एक बनाई
दिन बीता था सोच में डूबे रात की नींद गंवाई
चुन चुन कर शब्दों के मोती माला बनी कमाल
कोई कांटों का जंजाल समझ बैठे तो
बोलो हम क्या ही करें
सिर धुनते स्याही के बच्चे रचते छांह प्रकाश
कागज ओढ़ बिछा कर सोते खुला भाव आकाश
चांदी के टुकड़ों की आशा किसको नहीं सताती
तन पर बंधी आग की गठरी किसको नहीं जलाती
मैं भी बस अपना काम हूं करता
कोई बेईमान समझ बैठे तो
बोलो हम क्या ही करें।
© प्राची मिश्रा
#poetessprachimishra #हिंदीसाहित्य

Prachi Mishra
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वक्त हमारे हिसाब से नहीं बदलता, हमें वक्त के हिसाब से बदलना पड़ता है, यही प्रकृति का नियम है, जो आज है वो कल नहीं होगा और जो कल था उसे हम आज में नहीं ला सकते, इसलिए बेहतर यही है की अपने समय का सदुपयोग करें हर एक पल को बेहतर ढंग से जिएं, दूसरों की देखा देखी में स्वयं को नाहक परेशान ना करें, क्योंकि आपको जो भी प्राप्त होगा वो आपके प्रयत्न से ही प्राप्त होगा और जो प्रयत्न से भी प्राप्त नहीं हो पाएगा उस पर संतोष करना ही एक मात्र विकल्प है।

जो संतुष्ट है वो ही सुखी है इस नियम को जीवन में लागू करें, कम में गुजारा करना भी बहुत सी मुसीबतों को टाल सकता है हमेशा याद रखिए,हमारा जीवन एक कोरा कागज़ है इस पर आप जो भी लिखेंगे वही आपका भविष्य बन जाएगा, हां एक बात ध्यान रहे इस कागज़ पर कुछ भी लिख कर मिटाने की इजाजत नहीं इसलिए जो भी लिखें सोच समझकर लिखें।

अच्छा सोचें, अच्छा खाएं, अच्छी संगत करें,योग करें, पर्याप्त नींद लें, अच्छी किताबें पढ़ें,परिवार के साथ समय बिताएं और सबसे जरूरी दिन में एक बार खुलकर हंसे बाकी सब धीरे धीरे बेहतर होता जायेगा।

© प्राची मिश्रा