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बिछुड़ने से पहले का दिन….
संजय नायक ‘शिल्प’ =========== चन्द्ररूपायनम ( बिछुड़ने से पहले का दिन….) “पार्वती, जो हो रहा है उसे रोक दो , अब रूपा ने हद पार कर दी है।” रूपा के पिताजी ने माँ से कहा। ” किया क्या है रूपा ने? ” ” अरे , मुझसे पूछती हो..?? पूरा शहर जानता है रूपा ने क्या […]
उलझा हुआ इंसान…..जो वो कर रहा है वो बदमाशी है, ग़लत है!
Tajinder Singh ============= उलझा हुआ इंसान….. एक छोटा बच्चा रसोई में घुस आटा बिखेर रहा था। माँ कहीँ व्यस्त थी। अचानक माँ ने देखा तो दूर से ही डांट लगाई। बच्चा हड़बड़ा गया और वहां से भाग निकला। एक छोटे बच्चे को भी धीरे धीरे सही गलत का ज्ञान हो जाता है। वो जानता है […]
“अरे, क्या गुफ़्तगू चल रही है मेरे बिना”
रात के आठ बजने वाले थे. श्रीयंत सड़क की भीड़ से उलझा हुआ कार ड्राइव करता हुआ ऑफिस से घर जा रहा था, पर दिमाग़ में विचारों का घमासान व दिल में भावनाओं की उठापटक जारी थी. ऑफिस में रिनी का फोन आया था कि कियान की तबीयत ठीक नहीं लग रही. डॉक्टर को दिखाना […]