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यूरोपीय संघ ने पुतिन की ओर से दी गई ‘परमाणु हथियार की धमकी’ को गंभीरता से लेने को कहा है, युद्ध ‘ख़तरनाक पल’ में पहुंच गया है : रिपोर्ट

यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से दी गई ‘परमाणु हथियार की धमकी’ को गंभीरता से लेने को कहा है.

यूरोपीय संघ के विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के उच्च प्रतिनिधि और यूरोपीय संघ के उपाध्यक्ष जोसेफ बोरेल फॉन्टेल्स ने बीबीसी की मुख्य अंतरराष्ट्रीय संवाददाता लीस डुसेट से कहा कि यह युद्ध अपने ‘ख़तरनाक पल’ में पहुंच गया है.

उनका ये बयान रूस की ओर से रिज़र्व सेना की आंशिक लामबंदी और यूक्रेन के चार इलाकों पर क़ब्ज़ा करने के बाद आया है. पुतिन ने कहा कि वह अपने नागरिकों की रक्षा के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे.

पुतिन को युद्ध भूमि पर नाकामी का सामना करना पड़ा है. यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई के बाद उनकी सेना को क़दम पीछे खींचने पड़े हैं.

बोरेल फॉन्टेल्स ने कहा, “निश्चित रूप से ये एक ख़तरनाक पल है क्योंकि रूस की सेना को एक किनारे धकेल दिया गया है और पुतिन की प्रतिक्रिया- परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी- बहुत ही ख़राब है.”

उन्होंने कहा, “विश्लेषक एकमत हैं कि जब से यूक्रेन पर रूस का हमला हुआ है तब से ऐसे सात मौके आए हैं जब पुतिन की सेना बैकफुट पर आई है.” उनका कहना है कि लेकिन “निश्चित तौर पर इसका ऐसा राजनयिक समाधान किया जाना चाहिए जिसमें यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता कायम रहे.”

वे कहते हैं, “ऐसा नहीं हुआ तो हम युद्ध तो ख़त्म कर लेंगे, लेकिन शांति कायम नहीं हो सकेगी और हमें आगे एक और युद्ध देखना पड़ेगा.”

इस हफ़्ते देश के नाम अपने संबोधन में व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उनके देश के पास “कई विनाशकारी हथियार” हैं और “हम सभी मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे”, पुतिन ये भी कहा, “मैं धौंस नहीं दे रहा हूं.”

बोरेल कहते हैं, “जब कोई ये कहता है कि वो धौंस नहीं दे रहा तो आपको उसे गंभीरता से लेना चाहिए.”

अपने उसी संबोधन में राष्ट्रपति पुतिन ने एलान किया कि उन तीन लाख रूस के लोगों को जिन्होंने अनिवार्य सैन्य सेवा की ट्रेनिंग ले रखी है उन्हें बुलावा भेजा जाएगा. जिसके बाद वहां विरोध हुए और सीमा पर भेजे जाने से बचने के लिए कुछ लोगों के देश छोड़ कर जाने की रिपोर्ट भी आई.

ये सब यूक्रेन के उस बयान के बाद आया जिसमें कहा गया कि वो आठ हज़ार वर्ग किलोमीटर का अपना इलाका रूसी सेना से वापस लेने में कामयाब हो गया है.

अब रूस उन चार क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में अपनी तरह का जनमत संग्रह करवा रहा है कि वहां के लोग क्या चाहते हैं. यूक्रेन ने इसे क़ब्ज़ा करने की कोशिश बताते हुए कड़ी निंदा की है और ख़बरें हैं कि रूस के सैनिक घर घर जाकर लोगों से इस जनमत संग्रह पर वोट ले रहे हैं.

बीबीसी की मुख्य अंतरराष्ट्रीय संवाददाता लीस डुसेट का नज़रिया

यूक्रेन ने इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना दबदबा कायम किया है क्योंकि ये बेहद खर्चीला युद्ध चलता ही जा रहा है और इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा. यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख अप्रत्याशित रूप से दुखी दिखे.

उन्होंने अपनी बेचैनी को साझा किया. वो जहां भी जा रहे हैं वहां यही सुन रहे हैं. छुट्टी पर गए दोस्तों से लेकर इस हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल हो रहे दुनिया भर के नेताओं तक उनसे ये पूछ रहे हैं कि ये युद्ध कब ख़त्म होगा. उन सब ने एक ही बात कही, “इस युद्ध को रोको, हम अपने बिजली के बिल नहीं दे पा रहे हैं.”

बोरेल सार्वजनिक रूप से वो कहने को तैयार थे जो कई लोग निजी तौर व्यक्त करते हैं कि यूरोप और उसके सहयोगी इस युद्ध के नैरेटिव को नियंत्रित करने में जूझ रहे हैं. रूस ये नज़रिया बना रहा है कि उसके ख़िलाफ़ यूरोपीय प्रतिबंध उनकी इस परेशानी की वजह है.

रूस की नई और चिंतित करने वाली धमकी, जिसमें परमाणु हथियारों की बात भी शामिल है, वो लोगों का ध्यान खींच रही है.

बोरेल समेत पश्चिम के कई नेताओं का मत इस संघर्ष में कई दूरगामी परिणामों को लेकर स्पष्ट है. इनमें यूक्रेन के नेताओं समेत कई अन्य नेता भी शामिल हैं.

बोरेल इस बात को ख़ारिज करते हैं कि यूरोपीय संघ के हथियारों की आपूर्ति कम हो रही है. वो कहते हैं कि उसे (ईयू को) यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी रखना चाहिए. वो ये भी कहते हैं कि राष्ट्रपति पुतिन और उनके सहयोगियों के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध और राजनयिक गतिविधियों को भी जारी रखना चाहिए.

वो मानते हैं कि इस युद्ध की वजह से ऊर्जा की बढ़ती कीमत चिंता का विषय है.

स्पेन के राजनेता बोरेल कहते हैं, “मेरे देश के लोग मुझे गैस की कीमत बताते हैं, वो अपना काम जारी नहीं रख सकते. वो कहते हैं कि हम अपना बिजनेस नहीं चला पा रहे.”

वो ये भी कहते हैं कि ऐसी ही चिंता अफ़्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिणपूर्व एशिया के नेताओं ने भी जताई है.

बोरेल ने पुतिन से बातचीत के ज़रिए समाधान तक पहुंचने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा, “टैंगो डांस के लिए आपको दो लोगों की ज़रूरत होती है.”

जो भी मॉस्को गए, क्रेमलिन में पुतिन से बात करने गए, वो सभी एक समान जवाब के साथ लौटे, “मेरे (पुतिन के) सैन्य उद्देश्य हैं, और अगर मुझे अपने ये सैन्य उद्देश्य हासिल नहीं हुए तो मैं लड़ाई जारी रखूंगा.”

वे कहते हैं, “निश्चित रूप से ये चिंताजनक लक्ष्य है लेकिन हमें यूक्रेन का समर्थन करना जारी रखना चाहिए.”