साहित्य

सादगी व्यक्ति को आंतरिक शक्ति प्रदान करती है, बुद्धि बल और विवेक को बढ़ाती है : लक्ष्मी सिन्हा की रचना

Laxmi Sinha
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अपनी आवश्यकताओं व इच्छाओं में संतुलन बिठाना,
सीमित संसाधनों में प्रसन्न रहना और स्वभाविक एवं
सहज रहना ही सादगी है। सादगी व्यक्ति को आंतरिक
शक्ति प्रदान करती है। बुद्धि बल और विवेक को बढ़ाती
है। मनुष्य की प्रतिष्ठा और चरित्र का निर्माण करती है।
सादगी का सबसे बड़ा लाभ यही है कि मनुष्य के कार्यों
में गुणवत्ता आती है। जीवन संतोषप्रद और सार्थक
होती है। सादगी भरे जीवन में ही सुकून है। संप्रति
मनुष्य के दुखी रहने का एक मुख्य कारण सादा जीवन
उच्च विचार की जीवनशैली से दूर होते जाना और
दिखावे की जिंदगी जीने की होड़ है।आधुनिक बनने की
होड़ में समाज में दिखावे का बोलबाला बढ़ रहा है।
दूसरों से कथित बेहतर दिखाने के प्रयास में वह अपने
का प्रयास करना जो हम वास्तव में हैं नहीं, वही
दिखावा है।दिखावे की मुख्य वजह इच्छाओं का बढ़ना
है।दूसरों की दृष्टि में अच्छा बनने के लिए झूठा दिखावा
करना कदापि उचित नहीं।हम दूसरे लोगों को प्रसन्न या
प्रभावित करने के लिए जन्म नहीं लिए हैं। व्यक्ति की
सादगी दंर्शाती है कि वह भौतिक संसाधनों को सीमित
महत्त्व देती है। सादगीपसंद लोग समझते हैं कि उन्हें
केवल, अनावश्यक लोभ की परित्याग कर अपनी
आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करनी चाहिए और
प्रत्येक भौतिकवादी वस्तु के पीछे भागने से बचना
चाहिए। सादगी भरे जीवन का आशय है कम खरीदना,
कम उपयोग करना और स्वयं को उन चीजों के प्रति
समर्पित करना, जो खुद के लिए और मानव समाज
के लिए महत्वपूर्ण है। दैनिक जरूरतों को चरणबद्ध
रूप से कम कर लेना एक मुश्किल निर्णय आवश्यक
होती है, किंतु उसके बाद आप असीम संतुष्टि की
अनुभूति भी करने लगते हैं। प्रसिद्ध दर्शनिक सुकरात
ने भी कहा है कि हमारी आवश्यकताएं जितनी कम
होती है, हम ईश्वर के उतने ही निकट होते जाते हैं।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(बिहार)