सेहत

सेक्स टूरिज्म, यहां देह व्यापार करने वाली महिलाएं गलियों में अपने ग्राहकों को रिझाने में जुट जाती हैं : रिपोर्ट

बहुत से सैलानी विदेशों में सेक्स का रोमांच ढूंढने जाते हैं. शौक को पूरा करने के लिए ये लोग पैसे देने को तैयार होते हैं. धीरे-धीरे सेक्स टूरिज्म बड़ी समस्या बन रही है, लेकिन कई देश इस समस्या को हल करने से कतरा रहे हैं.

स्पेन में मायोर्का के प्लाया डे पाल्मा में जैसे-जैसे रात होनी शुरू होती है, सड़क पर अलग तरह की रौनक छा जाती है. माहौल कामुक होना शुरू हो जाता है. देह व्यापार करने वाली महिलाएं गलियों में अपने ग्राहकों को रिझाने में जुट जाती हैं. यहां ज्यादातर महिलाएं नाइजीरिया की होती हैं. ये समुद्र तट से कुछ सौ मीटर की दूरी पर खुलेआम लोगों को अपनी सेवाएं देती हैं. इनके ज्यादातर ग्राहक वे होते हैं जो यहां छुट्टियां मनाने आते हैं.

सहायता संगठन मेडिकोज डेल मुंडो का लक्ष्य इस द्वीप पर यौनकर्मियों के अधिकारों को मजबूत करना है. इस संगठन से जुड़े रोकियो लोपेज कहते हैं, “पर्यटकों की वजह से मायोर्का में देह व्यापार लगातार बढ़ रहा है.” गर्मियों के दौरान यहां सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं. इस मौसम में मायोर्का में यौनकर्मियों की संख्या अक्सर दोगुनी हो जाती है.


सैलानियों को लुभाते रेड लाइट एरिया
विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि सेक्स टूरिज्म दुनिया के लगभग हर देश में फैला हुआ है. संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड्स से लेकर मायोर्का तक, हर जगह सेक्स टूरिज्म ने लोगों को आकर्षित किया है. सहायता संगठन ‘ब्रेड फॉर द वर्ल्ड’ की इकाई टूरिज्म वॉच से जुड़ी आंत्ये मोंशहाउजन कहती हैं, “कुछ लोगों के लिए यात्रा का मकसद ही सेक्सुअल एडवेंचर करना होता है. एम्सटर्डम के रेड लाइट एरिया जैसी जगहों पर पर्यटक इस एडवेंचर के लिए ही आते हैं”

सिर्फ स्पेन में, वेश्यावृत्ति अरबों डॉलर का कारोबार है. देश भर में दसियों हजार महिलाएं इस पेशे से जुड़ी हुई हैं. हालांकि, कानूनी रूप से व्यवस्थित नहीं होने की वजह से इन महिलाओं की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल पाता है. एसोसिएशन फॉर द प्रिवेंशन, रीइंटीग्रेशन एंड केयर ऑफ प्रॉस्टिट्यूटेड वीमेन (एपीआरएएमपी) के मुताबिक, पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा देह व्यापार स्पेन में होता है. दुनिया में, देह व्यापार के मामले में थाईलैंड और प्यूर्टो रिको के बाद तीसरे स्थान पर स्पेन है. यह एक बड़ी वजह है जिसके कारण काफी संख्या में पर्यटक इन जगहों पर आते हैं. मायोर्का में यह बात साफ तौर पर देखने को मिलती है.

मोंशहाउजन कहती हैं, “वहां सामाजिक नियंत्रण कम होता है. लोग शराब पीते हैं. छुट्टियों में होने की वजह से खुलकर जिंदगी जीते हैं.” आखिर लोग छुट्टियों में यही चाहते हैं. वे रोजमर्रा की जीवनशैली से दूर होना चाहते हैं. कुछ समय के लिए बिना किसी दबाव के जीना चाहते हैं. मोंशहाउजन का यह भी कहना है, “पर्यटन के क्षेत्र में, हमें पर्यटक और स्थानीय आबादी के बीच काफी ज्यादा आर्थिक असमानता देखने को मिलती है. इस वजह से स्थानीय लोगों की पर्यटकों पर निर्भरता बढ़ती है और उनका शोषण होता है, जो अनैतिक है.”

हाल के दिनों में मायोर्का पुलिस ने सड़क पर होने वाले देह व्यापार से जुड़े मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की. इस कार्रवाई के बाद यह निर्भरता साफ तौर पर देखने को मिली. मानव तस्कर झूठे बहाने करके महिलाओं को स्पेन लाए थे और फिर उन्हें दसियों हजार यूरो का कर्ज चुकाने के लिए इस धंधे में उतरने को मजबूर किया.

सहायता संगठन मेडिकोज डेल मुंडो के मुताबिक, स्पेन में देह व्यापार करने वाली 95 फीसदी महिलाएं आप्रवासी हैं जिन्हें देश में स्थायी तौर पर रहने की अनुमति नहीं है. इस वजह से वे कोई नियमित काम भी नहीं कर सकती हैं. रोकियो लोपेज कहते हैं, “ऐसा कहना बिल्कुल गलत है कि इन महिलाओं ने अपनी मर्जी से वेश्यावृत्ति का रास्ता चुना. दरअसल, इनके पास कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था.”

बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा
सेक्स टूरिज्म तब सबसे बड़ी समस्या बन जाती है, जब इसमें नाबालिगों का शोषण शामिल हो जाता है. ऐसा दुनिया के कई देशों में होता है. बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था ईसीपीएटी की जोसफिन हैमन मुताबिक, यह समस्या सिर्फ पीडोफाइल (बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार) अपराधियों से जुड़ी हुई नहीं है. वह कहती हैं, “ऐसे पर्यटकों की संख्या काफी है जो विदेशों में घुमने के दौरान मौका मिलने पर इस तरह का अपराध करने से नहीं चुकते. कोरोना वायरस महामारी के कारण यह समस्या और विकराल होगी. इसकी वजह यह है कि हाल के वर्षों में कई परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हुई है. उनकी आमदनी कम हुई है. इस वजह से बच्चों को लेकर खतरे बढ़ रहे हैं.”

हैमन कहती हैं, “पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के बीच सेक्स टूरिज्म के मुद्दे को लेकर अब जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन यौन शोषण अभी भी ऐसा मुद्दा है जिस पर काफी लोग बात नहीं करना चाहते हैं. अगर इसमें नाबालिगों का शोषण भी शामिल है, तब भी कई लोग इस समस्या का हल नहीं करना चाहेंगे.”


भारी जुर्माना
टूरिज्म वॉच से जुड़ी आंत्ये मोंशहाउजन को भी लगता है कि पर्यटन क्षेत्र को अपनी खोई पहचान दुबारा पाने की जरूरत है. वह कहती हैं, “शायद ही कोई देश, कोई पर्यटन स्थल सीधे तौर पर इस मुद्दे से निपटना चाहता है.” कोई भी देश यह खतरा नहीं उठाना चाहता कि उसकी पहचान सेक्स टूरिज्म डेस्टिनेशन के तौर पर हो.

मायोर्का में होने वाले देह व्यापार पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है. प्लाया डे पाल्मा में मौजूद टॉपलेस बार के साथ ही ऐसी अन्य जगहें खुलेआम ग्राहकों को आकर्षित करने का काम करती हैं. पुलिस ने भी खुद को सड़कों पर कभी-कभार की निगरानी तक ही सीमित कर लिया है. रोसियो लोपेज कहते हैं, “जागरूकता बढ़ाने के लिए अभी बहुत काम किया जाना बाकी है, खासकर पर्यटकों को लेकर. हालांकि, जल्द ही कुछ बड़ा बदलाव हो सकता है. स्पेन की सरकार आपराधिक कानूनों को और कठोर बनाने की योजना बना रही है, ताकि भविष्य में यौनकर्मियों की सेवा लेने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा सके.”

केन्या के सेक्स टूरिज्म में फंसती भारत, नेपाल और पाकिस्तान की लड़कियां

मर्दों से भरे नाइटक्लबों में बॉलीवुड के गीत, उन पर थिरकतीं भारत, नेपाल और पाकिस्तान की लड़कियां. भारतीय उपमहाद्वीप की गरीब लड़कियां केन्या में सेक्स टूरिज्म का शिकार बन रही हैं.

नेपाल में ब्यूटी पॉर्लर में काम करने वाली शीला को केन्या में एक नौकरी का प्रस्ताव मिला. तनख्वाह सात गुना ज्यादा बताई गई. काम था, केन्या के एक नाइट क्लब में नाचना. नाच को नाम दिया गया कल्चरल डांस.

नेपाल के गांव से आने वाली 23 साल की शीला को डांस का कोई अनुभव नहीं था. नौकरी का प्रस्ताव देने वाले ने कॉन्ट्रैक्ट के पेपर भी नहीं दिखाए. क्लब के मालिक के बारे में कुछ नहीं बताया गया. बुजुर्ग मां बाप के खर्चे, मेडिकल बिल और मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में जख्मी भाई के इलाज के खातिर शीला ने 60,000 केन्याई शिलिंग्स (600 अमेरिकी डॉलर) की नौकरी के लिए हामी भर दी. सैलरी के अलावा मुफ्त रहने, खाने पीने और ट्रांसपोर्ट का वादा भी किया गया था.

शीला आखिरकार पूर्वी केन्या के मोम्बासा शहर में पहुंच गई. काम शुरू होते ही शीला पशोपेश में पड़ गई, “जैसा मैंने सोचा था वैसा बिल्कुल नहीं था.” शीला को मर्दों से भरे नाइटक्लब में रात नौ बजे से सुबह चार बजे तक नाचना पड़ रहा था. उसे बॉलीवुड जैसा लटके झटकेदार डांस करना पड़ रहा था.

शीला के दूसरे ख्वाब भी एक के बाद एक चकनाचूर हो रहे थे, “मुझसे कहा गया था कि हर जगह जाने के लिए मेरे साथ एक ड्राइवर होगा. लेकिन काम के अलावा फ्लैट से निकलने नहीं दिया गया, मेरे पास पासपोर्ट या फोन भी नहीं था.”


यह हालत सिर्फ शीला की नहीं थी. भारत, नेपाल और पाकिस्तान की दर्जनों लड़कियां केन्या में नाइटक्लबों की दुनिया में ऐसे ही फंसी हुई थीं. सबको व्यस्कों के मनोरंजन वाले क्लबों में बॉलीवुड स्टाइल डांस करना था. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पुलिस के मुताबिक कई लड़कियों को गैरकानूनी ढंग से काम पर लगाया गया था.

नेपाल के मानवाधिकार कमीशन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक केन्या और उसके पड़ोसी तंजानिया में 2016 और 2017 में 43 नेपाली महिलाएं थीं. अप्रैल 2019 में पुलिस ने कई ठिकानों पर छापा मार कर शीला समेत 11 लड़कियों को आजाद कराया.

मोम्बासा क्लब के मालिक आसिफ आमिराली अलीभाई जेठा पर मानव तस्करी से जुड़े तीन मामले दर्ज किए गए. आसिफ कनाडाई-ब्रिटिश नागरिक है. उसने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि सभी लड़कियों को कानूनी ढंग से नौकरी पर रखा गया. किसी से यौन उत्तेजना फैलाने वाला डांस नहीं कराया गया, ना ही यौन शोषण किया गया. डांस सिर्फ सांस्कृतिक नृत्य था.

भारतीय राज्य महाराष्ट्र के डांस बारों की तरह केन्या के कई शहरों में ऐसे नाइटक्लब खुल चुके हैं. राजधानी नैरोबी, मोम्बासा और किसुमू में ऐसे डांस बार कुकुरमुत्ते की तरह फैले हुए हैं. पुलिस और मानव तस्करी का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक इन क्लबों में लड़कियों को सेक्स के लिए गुलाम बनाकर भी रखा जाता है. महिलाओं की शुरूआत में एडवांस के तौर पर पैसा दिया जाता है और फिर उस कर्ज के बदले उनसे उत्तेजक डांस करवाया जाता है. कुछ मामलों में उन्हें क्लाइंट के साथ सेक्स करने के लिए मजबूर भी किया गया.

मानवाधिकार संगठन इक्वेलिटी नाऊ की वकील अनीता न्यानजोंग के मुताबिक मानव तस्करी से आजाद हुई ज्यादातर महिलाएं अपने सच्चे अनुभव पूरी तरह नहीं बताती हैं. अनीता कहती हैं, “ज्यादातर पीड़ित लड़कियां गरीब रुढ़िवादी परिवारों से आती हैं, वहां इन चीजों को लोकलाज से जोड़कर देखा जाता है. पीड़ित महिलाओं को भले ही सेक्स के लिए बाध्य किया जाए, तब भी वे कुछ नहीं बोलती हैं. तस्कर उन्हें पहले ही बता देते हैं कि इस बारे में बात मत करना वरना तुम्हें देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किया जाएगा.”

केन्या में बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाओं और लड़कियों को भी यौन व्यापार में धकेला जाता है. देश में सेक्स टूरिज्म उद्योग का रूप ले रहा है. केन्या में करीब 3,28,000 लोग गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं. औसतन निकाला जाए तो 143 लोगों के बीच एक गुलाम है. यह आंकड़े वाक फ्री फाउंडेश के ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के हैं.

ऐसी रिपोर्टों के बाद हाल के समय में मुजरा बारों में पुलिस ने छापेमारी भी की है.

केन्या के डायरेक्टरेट ऑफ क्रिमिनल इंवेस्टीगेशंस के अधिकारी के मुताबिक, “छापेमारी से हमें पता चला कि केन्या में तस्करों के काम करने के तरीका क्या है. विदेशों में इनके एजेंट हैं जो महिलाओं की भर्ती करते हैं. सांस्कृतिक डांसर के रूप में नौकरी दी जाती है. एक महीने की तनख्वाह एडवांस में दी जाती है. लेकिन जैसे ही वे यहां पहुंचती हैं वैसे ही उनकी आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है. उनसे अश्लील और यौन उत्तजेना पैदा करने वाला डांस करवाया जाता है और अक्सर उन्हें ग्राहकों के साथ सेक्स करने के लिए बाध्य भी किया जाता है.”

ज्यादातर लड़कियों को दक्षिण एशिया के टूरिस्ट वीजा पर तीन महीने के लिए केन्या लाया जाता है. शीला समेत 11 लड़कियों को नौ महीने के दौरान केन्या लाया गया. उनकी फ्लाइट भारत और इथियोपिया से बुक कराई गई. अदालत में गवाही के दौरान 16 से 34 साल की इन महिलाओं ने बताया कि वे सिर्फ एक हैंडबैग के साथ केन्या आई थीं. एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों को उन्होंने बताया कि वे परिवार या मित्र से मिलने आई हैं.

महिलाओं से कहा गया था कि अगर वे हर रात अच्छे से नाचेंगी तो उन्हें हर महीने 4,000 डॉलर तक टिप मिल सकती है. 20 साल की मीना कहती हैं, “हमें टिप नहीं दी गईं वे बॉस की मिली. टॉप परफॉर्मेंस वाली लड़कियों टारगेट पूरा करने पर 20,000 से 50,000 (200 से 500 डॉलर) का बोनस दिया जाता था.”

बचाई गई लड़कियों के मुताबिक उन्हें इस ढंग से रखा गया कि उन्हें कभी कमरे और क्लब की सटीक लोकेशन तक पता नहीं चली. छापेमारी के बाद आजाद कराई गई 24 साल की सोनिया बिलखते हुए कहती है, “यह बहुत ही बुरा था. मुझे यहां कभी नहीं आना चाहिए था. यह एक बड़ी भूल थी, मैं बस किसी तरह घर लौटना चाहती हूं. मैं अब कभी केन्या नहीं आऊंगी.”

ओएसजे/एनआर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)