J&K Terrorist attack: जम्मू कश्मीर के सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) कहते हैं, पाकिस्तान यह कह कर खुद का बचाव करता है कि देखिये साहब, हमने तो बॉर्डर पर सीज फायर कर रखा है। दूसरी तरफ जो मोर्चा खुला है, उससे वह मुंह फेर लेता है…
जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस से चार दिन पहले आतंकवादियों ने राजौरी से लगभग 25 किलोमीटर दूर पारगल स्थित सैन्य शिविर पर आत्मघाती हमले को अंजाम दिया है। सुरक्षा बलों ने दोनों आतंकियों को मार गिराया, लेकिन इस कार्रवाई में भारतीय सेना के चार जवान भी शहीद हो गए। अगले दिन 12 अगस्त की सुबह आतंकियों ने बांदीपोरा में बिहार के एक श्रमिक की हत्या कर दी। दोपहर को अनंतनाग के बिजबेहरा इलाके में दहशतगर्दों द्वारा सीआरपीएफ/पुलिस नाका पार्टी पर फायरिंग की गई। एक पुलिसकर्मी घायल हुआ है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जारी सुरक्षा बलों के ऑपरेशनों को करीब से देख रहे एक शीर्ष अधिकारी बताते हैं, देखिये दो बातें हैं। एक, घाटी में मौजूद स्थानीय एवं विदेशी आतंकियों का खात्मा करना और दूसरा, ‘ब्रेनवॉश’ की पाठशाला से निकलने वाले ‘फिदायीन’ भर्ती को रोकना। अभी ये दोनों ही काम अधूरे हैं। केवल यह सोचकर कि घाटी में पत्थरबाजों पर नकेल कस गई है, निश्चिंत होकर नहीं बैठा जा सकता। जम्मू-कश्मीर में लगभग 140 सक्रिय आतंकियों की मौजूदगी है। इनमें 55 लोकल हैं तो 80 से ज्यादा विदेशी यानी पाकिस्तानी से आए आतंकी हैं।
तिलमिलाया पाकिस्तान, अब तैयार कर रहा ‘फिदायीन’ …
सुरक्षा बलों के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, आतंकियों पर लगातार प्रहार हो रहा है। इस बात को दहशतगर्दी की पाठशाला चलाने वाला पाकिस्तान भी अच्छी तरह जानता है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मनशेरा, कोटली व मुजफ्फराबाद इलाके में आतंकियों के दर्जनभर ट्रेनिंग कैंप हैं। यहां पर पांच सौ से अधिक आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। सीमा पार करने के लिए लॉन्चिंग पैड पर करीब 160 आतंकी तैयार बैठे हैं। इस साल अभी तक 135 से अधिक आतंकी मारे गए हैं। इनमें विदेशी आतंकियों की संख्या 36 हैं, बाकी स्थानीय आतंकी हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है। आतंकी संगठन जैसे लश्कर और जैश, अब आतंकियों का ‘संपूर्ण ब्रेनवॉश’ कर उन्हें आत्मघाती दस्तों में ढाल रहे हैं। वजह, एनकाउंटर में आतंकियों का लगातार मारे जाना है। सुरक्षा बलों का प्रयास है कि घाटी में आतंकी घटनाएं शून्य तक पहुंच जाएं, तो दूसरी ओर दहशतगर्दों को पाल रहा पड़ोसी चाहता है कि वहां सुरक्षा बलों पर अटैक में तेजी लाई जाए। हालांकि एनकाउंटर में जिस तेजी से आतंकी मारे जा रहे हैं, उससे अब ये संगठन अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव ला रहे हैं। एक ही हमले में सुरक्षा बलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए, इसके लिए ‘फिदायीन’ दस्ते तैयार किए जा रहे हैं। इस दस्ते में ‘संपूर्ण ब्रेनवॉश’ वाले आतंकी होते हैं।
बॉर्डर पर सीज फायर है, मगर यहां तो मोर्चा खुला है
जम्मू कश्मीर के सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) कहते हैं, पाकिस्तान यह कह कर खुद का बचाव करता है कि देखिये साहब, हमने तो बॉर्डर पर सीज फायर कर रखा है। दूसरी तरफ जो मोर्चा खुला है, उससे वह मुंह फेर लेता है। आईएसआई ने घाटी में अंडर ग्राउंड वर्कर और ओवर ग्राउंड वर्करों की अच्छी खासी संख्या खड़ी कर रखी है। सुरक्षा बलों के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती हैं। ये लोग, सुरक्षा बलों से सीधे तौर पर नहीं टकराते हैं, बल्कि टारगेट किलिंग को अंजाम देते हैं। इनमें अकेले पुलिस कर्मी, नाका पार्टी या सिविलियन पर निशाना साधा जाता है। पुलिस इन लोगों तक पहुंच रही है।
साल 2018 में पकड़े गए संदिग्ध/आतंकियों की संख्या 184 थी। 2019 में 164, 2020 में 251, 2021 में 146 और इस साल जून तक ऐसे 172 लोगों को पकड़ा गया है। पाकिस्तान, सीज फायर की आड़ में घुसपैठ कराने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देता। भारतीय सुरक्षा बलों ने गत वर्षों में सीमा पार से होने वाली कई बड़ी घुसपैठ को नाकाम किया है। बतौर अनिल गौर, यहां पर दो तरह से काम होना चाहिए। एक तो आतंकियों के मददगार पूरी तरह खत्म हों और दूसरा, इनकी नई भर्ती पर अंकुश लगे। अगर ऐसा हो जाता है कि तो उसके बाद सुरक्षा बलों के सामने केवल वही आतंकी बचेंगे, जो सीमा पार से आए हैं। उन्हें तो सुरक्षा बलों द्वारा किसी न किसी एनकाउंटर में खत्म कर दिया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की भर्ती
वर्ष आतंकी
2018 187
2019 121
2020 181
2021 142
2022 70 (जुलाई तक)
वर्ष आतंकी मारे गए
2018 185
2019 148
2020 215
2021 146
2022 125 (जून तक)
आतंकी/संदिग्ध पकड़े गए
वर्ष पकड़े गए संदिग्ध/आतंकी
2018 184
2019 164
2020 251
2021 146
2022 172 (जून तक)
आतंकियों के पास से जब्त घातक हथियार
साल जब्त हथियार
2018 242
2019 192
2020 360
2021 201
2022 160 (जून तक)
युवाओं को गुमराह होने से रोकने के प्रयास हो रहे हैं
शीर्ष अधिकारी बताते हैं, घाटी में आतंकी संगठनों द्वारा युवाओं का ब्रेनवॉश न किया जा सके, इसके प्रयास हो रहे हैं। सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस, ये सभी अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। यहां बड़ी दिक्कत है कि स्थानीय लोगों से पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पाता। ब्रेनवॉश कौन कर रहा है, कहां पर होता है, ये सब लोगों के बीच ही होता है, लेकिन वे सुरक्षा बलों को खबर तक नहीं देते। हालांकि पत्थरबाजी के दौर में भी ऐसी दिक्कतें सुरक्षा बलों के सामने आई थीं, लेकिन बाद में जब इसका मैकेनिज्म बना तो पत्थरबाज युवक पीछे हट गए। गुमराह होकर आतंकी संगठनों में भर्ती होने वाले युवाओं के साथ अब कुछ वैसा ही किया जाएगा। सुरक्षा बल, इससे वाकिफ हैं कि घाटी में पाकिस्तानी आतंकियों की खासी तादाद है। आने वाले समय में आतंकियों की भर्ती और ब्रेनवॉश वाली पाठशालाओं पर पूर्णत: अंकुश लग जाएगा। सोशल मीडिया की भूमिका पर भी पुलिस की नजर है। अभी तो सुरक्षा बलों का मकसद है कि बचे हुए आतंकियों के आत्मघाती दस्तों को जल्द से जल्द खत्म किया जाए।