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भीमा कोरेगांव मामले में कवि और लेखक वरवर राव को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल आधार पर ज़मानत दी

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कवि और लेखक वरवर राव को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल आधार पर ज़मानत दी है.

वरवर राव पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन के साथ कथित संबंधों के लिए भीमा कोरेगांव मामले में यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि वरवर राव संवैधानिक आधार पर ज़मानत के हकदार नहीं हैं क्योंकि उनके कृत्य समाज और राज्य के हित के ख़िलाफ़ हैं.

वहीं कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता की मेडिकल स्थिति में इतने समय तक सुधार नहीं हुआ है कि ज़मानत की सुविधा जो पहले दी गई थी उसे ख़त्म कर दिया जाए. परिस्थितियों की समग्रता को देखते हुए अपीलकर्ता मेडिकल आधार पर ज़मानत का हकदार है.

वरवर राव लंबे समय से मेडिकल आधार पर ज़मानत की मांग कर रहे थे. इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने मेडिकल आधार पर उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया था.

वरवर राव पर क्या है आरोप?

1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत जश्न मनाया जा रहा था. इस कार्यक्रम में हिंसा भड़क गई और एक व्यक्ति की जान चली गई थी.

हर साल पहली जनवरी को भीमा कोरेगांव में दलित समुदाय बड़ी संख्या में जुटकर उन दलितों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने 1818 में पेशवा की सेना के ख़िलाफ़ लड़ते हुए अपने प्राण गंवाए थे.

वरवर राव और कई अन्य लोगों पर हिंसा प्रायोजित करने के आरोप लगे थे जिसके बाद वरवर राव को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था.

लाइव लॉ के मुताबिक़ इस साल 13 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 82 साल के वरवर राव को मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए अस्थायी ज़मानत की अवधि तीन महीने बढ़ा दी थी.

इसके बाद 19 जुलाई 2022 को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत याचिका को 10 अगस्त तक बढ़ाने का आदेश दिया था.