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नेतन्याहू द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों की लगातार अवहेलना के परिणामस्वरूप दुनिया अधिक ख़तरनाक और अस्थिर हो गई है : बर्नी सैंडर्स

पार्सटुडे – एक अमेरिकी सीनेटर ने कहा है कि इज़रायल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतन्याहू द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों की लगातार अवहेलना के परिणामस्वरूप दुनिया अधिक ख़तरनाक और अस्थिर हो गई है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के वरमोंट से स्वतंत्र सीनेटर “बर्नी सैंडर्स” ने एक बयान में कहा कि इज़रायली शासन के प्रधानमंत्री “बिनयामिन नेतन्याहू” की इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के खिलाफ युद्धप्रेमी कार्रवाइयों ने दुनिया में अधिक अस्थिरता पैदा कर दी है।

उन्होंने कहा: ईरान पर उनका एकतरफा और अवैध हमला पूरी तरह क्षेत्रीय युद्ध का ख़तरा बढ़ा देता है।

सैंडर्स ने चेतावनी दी: “संयुक्त राज्य अमेरिका को स्पष्ट करना चाहिए कि हम नेतन्याहू द्वारा शुरू किए गए किसी अन्य युद्ध में शामिल नहीं होंगे। हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर इस संघर्ष को बढ़ने से रोने और सभी पक्षों को वार्ता की मेज़ पर लाने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए।”

सैंडर्स की चेतावनी और अमेरिका-इज़रायल की सांठगांठ

बर्नी सैंडर्स अमेरिका को इज़रायल-ईरान युद्ध से दूर रहने की चेतावनी दे रहे हैं, जबकि वाशिंगटन के समर्थन से तेल अवीव ने ईरान पर हमला किया। इसी संदर्भ में, अमेरिकी राजनीतिक विश्लेषक फिओरेला इसाबेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा: “क़तर के अल-उदैद एयरबेस से अमेरिकी ईंधन भरने वाले विमानों ने उड़ान भरी और इज़रायली विमानों को ईंधन की आपूर्ति की।”

अमेरिका-इज़रायल की साझा दुश्मनी

इज़राइल और अमेरिका की नीतियाँ ईरान के खिलाफ खुली शत्रुता में एक हैं। इज़राइल में तैनात अमेरिकी राजदूत माइक हकाबी ने भी स्पष्ट कर दिया है। हाल के इज़राइली अपराधों को नज़रअंदाज़ करते हुए उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया: कि अतिग्रहित फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में रहने वाले लाखों अमेरिकियों के कारण, ईरान का इज़रायल पर हमला अमेरिका पर हमला माना जाएगा।

इसी बीच रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने याद दिलाया:

आईएईए की बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा हालिया ईरान-विरोधी प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद, इज़रायल ने ईरान पर हमला किया। यह स्पष्ट करता है कि तेल अवीव स्वयं को दंड से मुक्त समझता है और इस प्रस्ताव को पश्चिम के समर्थन के रूप में देखता है।

उन्होंने जोर देकर कहा: “ऐसी कार्रवाइयाँ केवल अमेरिका द्वारा ही नहीं, बल्कि यूरोपीय शक्तियों के समर्थन के बिना संभव नहीं हो पाई हैं।

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