video : अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का स्रोत है : चेचनिया के राष्ट्रपति रमज़ान कदीरोफ़
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चेचनिया के राष्ट्रपति रमज़ान कदीरोफ ने कहा है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का स्रोत है। उन्होंने अमेरिका की ओर से रूस को आतंकवाद का समर्थक बताने हेतु किये जाने वाले प्रयास के प्रति वाशिंग्टन को चेतावनी दी है।
उन्होंने टेलीग्राम पर लिखा है कि अमेरिका न केवल आतंकवादी और दूसरे देशों पर हमला करने वाला देश है बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का स्रोत व जनक है। इसी प्रकार उन्होंने लिखा कि अमेरिका विवादों में परमाणु हथियारों का प्रयोग करता है वह भी न केवल यमनी सेना के खिलाफ बल्कि दूसरे देशों के आम नागरिकों के खिलाफ।
इसी प्रकार चेचनिया के राष्ट्रपति रमज़ान कदीरोफ ने कहा कि विश्व के 80 देशों में अमेरिका की 750 छावनियां हैं और इस समय विश्व के 159 देशों में उसके एक लाख 73 हज़ार सैनिक हैं जो मुख्यरूप से गैर कानूनी कार्यवाहियां करते और दूसरे देशों के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं।
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि अर्जटाइना, ब्राजील और मैक्सिकों ने यूक्रेन में होने वाले युद्ध की अभी तक भर्त्सना नहीं की जबकि इसके विपरीत हाइटी, ग्वाटेमाला, डोमिनकन गणराज्य, कनाडा, कोलंबिया, पैराग्वे, एकवाडोर और अमेरिका ने यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्यवाही की कड़ी भर्त्सना की है।
जानकार हल्कों का मानना है कि जो भी देश अमेरिका की वर्चस्वादी नीतियों के खिलाफ हो जाता है वाशिंग्टन किसी न किसी बहाने उस पर मानवाधिकार के हनन और आतंकवाद के समर्थन का आरोप मढ़ देता है। अभी कुछ समय पहले तक रूस आतंकवाद का समर्थक नहीं था पर जब से उसने यूक्रेन पर हमला कर दिया है तब से मास्को के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में वृद्धि हो गयी है और वाशिंग्टन उस पर दबाव डालने के लिए कोई न कोई षडयंत्र रचता रहता है।
रोचक बात यह है कि यह कार्य वह देश कर रहा है जिसका मानवाधिकारों के हनन और आतंकवादियों को बनाने और उनके समर्थन में उसका लंबा इतिहास है। खुद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इस देश की पूर्व विदेशमंत्री हिलैरी क्लिंटन कह चुकी हैं कि अलकायदा को उन्होंने बनाया है। कितनी विचित्र बात है कि जिस देश का पूर्व राष्ट्रपति और विदेशमंत्री यह स्वीकार करे कि उसने अलकायदा को बनाया है उसके बावजूद वही देश दूसरे देशों पर आतंकवाद के समर्थन का आरोप लगाये तो कितना हास्यास्पद है।
आज वह अमेरिका आतंकवादी गुटों और दाइश से मुकाबले की बात कर रहा है जिसने अलकायदा को बनाया है और उसने आतंकवादी गुटों का व्यापक समर्थन किया और कर रहा है। अगर आतंकवादी गुटों के प्रति अमेरिका का व्यापक समर्थन न होता तो सीरिया और इराक जैसे देशों से आतंकवादी गुटों का कब का अंत हो चुका होता। इस संबंध में बहुत से जानकार हल्कों का मानना है कि अगर आतंकवादी गुटों को अमेरिकी समर्थन और उसका आर्शीवाद प्राप्त न होता तो सीरिया और इराक जैसे देशों का संकट ही अस्तित्व में न आता।
इसी प्रकार इन हल्कों का मानना है कि यह अमेरिकी समर्थन का परिणाम है जो इस्राईल 73 से अधिक वर्षों से फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों के खिलाफ सरकारी आतंकवादी जारी रखे हुए है और कभी भी अमेरिका जायोनी शासन की आतंकवादी कार्यवाहियों की भर्त्सना तक नहीं करता और पूरी दुनिया में स्वंय को मानवाधिका का सबसे बड़ा रक्षक भी कहता फिरता है।
बहरहाल अमेरिका की इस प्रकार की कार्यवाहियों का लक्ष्य वास्तविकताथओं से आम जनमत के ध्यान को भटकाना है परंतु अमेरिकी नेताओं को शायद यह बात ज्ञात नहीं है कि अब विश्व जनमत पहले जैसा नहीं है और जो विश्व जनमत को मूर्ख बनाने की कोशिश करता है वास्तव में वह केवल खुद को मूर्ख बनाता है।
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