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तौहीद और शिर्क : सूरए साफ़्फ़ात आयतें 62-68 : पार्ट-33
सूरए साफ़्फ़ात आयतें 62-68 أَذَلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ (62) إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ (63) यह (स्वर्ग) आतिथ्य के लिए अच्छा है या ज़क़्क़ूम का पेड़? (37:62) निश्चय ही हमने उस (पेड़) को ज़ालिमों के लिए दंड व यातना बना दिया है। (37:63) पिछली आयतों में स्वर्ग वालों को मिलने वाली अनुकंपाओं और ऐश्वर्य […]
पैगम्बर मोहम्मद साहब ने हुक्म दिया है कि “मज़दूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मज़दूरी देदो”
@मुफ़्ती उसामा इदरीस नदवी इस्लाम एक आसान दीन का नाम है ,जिसमें इंसान को ज़िन्दगी गुज़ारने के लिये हर मोड़ पर रहनुमाई मौजूद है,इस्लाम ने पूँजीवाद को कभी बढ़ावा नही दिया है,बल्कि अपने मूलभूत सिद्धांतों में अमीर की तिजोरी से माल को गरीब के कटोरे में पहुंचाना एक धर्म और महापुण्य का नाम दिया है,ऐसे […]
तौहीद और शिर्क : सूरए साफ़्फ़ात आयतें 139-148 : पार्ट-43
सूरए साफ़्फ़ात आयतें 139-148 وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ (139) إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ (140) فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ (141) इन आयतों का अनुवाद हैः और निःसंदेह यूनुस भी रसूलो में से थे (37:139) याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकले, (37:140) फिर पर्ची डालने में शामिल हुए और उसमें मात खाई […]