दुनिया

हिरोशिमा की छाया : “Shadows of Hiroshima”

पार्सटुडे- जापान ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा टोक्यो पर बमबारी की 80वीं वर्षगांठ मनाई, जिसमें केवल एक रात में लगभग 1लाख लोग मारे गए थे।

पिछले सप्ताह, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा टोक्यो पर बमबारी की 80वीं वर्षगांठ का स्मरणोत्सव जापानी सम्राट के परिवार के दो सदस्यों, टोक्यो के गवर्नर और इस घटना में बचे कुछ लोगों की उपस्थिति में टोक्यो के सुमिदा वार्ड इलाक़े में जिसमें इस हवाई बमबारी में मारे गये कई लोगों के शव मौजूद हैं, आयोजित किया गया था।

पार्सटुडे के अनुसार, 10 मार्च, 1945 की सुबह के समय, अमेरिकी बी-29 बमबार विमानों ने टोक्यो शहर और उसके सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र में एसे बम गिराए जिनसे आग लग जाती थी।

इस अमेरिकी हमले में लगभग 2 लाख 70 हज़ार घरों में आग लग गई और कम से कम 1 लाख लोग मारे गए, लेकिन इस बर्बर हमले के पीड़ितों की सटीक संख्या अभी तक पता नहीं चल सकी है।

बेशक, टोक्यो पर बमबारी अमेरिका द्वारा जापान पर की गई एकमात्र बमबारी नहीं थी और हिरोशिमा और नागासाकी शहर भी अमेरिका के हमलों का निशाना बने थे।

इस रिपोर्ट में जापान में अमेरिकी अपराधों से पैदा होने वाली 3 दर्दनाक घटनाओं का उल्लेख किया गया है:

1- एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से में, कुछ मिलियन डिग्री की गर्मी ने सब कुछ भाप में बदलकर रख दिया

हिरोशिमा पर अमेरिकी हमले में, एक सेकंड के पहले मिलियनवें हिस्से में, पूरे वातावरण में थर्मल एनर्जी फैल गयी जो डेढ़ किलोमीटर के दायरे वाले क्षेत्र में आग के गोले में बदल गई और हिरोशिमा के ऊपर कुछ सेकंड के लिए कई मिलियन डिग्री के बराबर गर्मी ने आसमान में आग लगा दी।

जब हीट का यह गोला ज़मीन पर आया, तो तापमान कई हज़ार डिग्री सेल्सियस बढ़ गया। डेढ़ किलोमीटर के दायरे में सब कुछ अचानक भाप बनकर राख में तब्दील हो गया। 4 किलोमीटर के दायरे वाले इलाके में अचानक इमारतों और लोगों को आग ने अपनी चपेट में ले लिया।

गर्मी के बाद ब्लास्ट वेव की अपना विनाशकारी प्रभाव दिखाने की बारी थी, बहुत गर्म गैसों के निकलने के कारण 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ब्लास्ट वेव हवा की एक ठोस दीवार के समान थी जिसने 2 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ जलाकर राख कर दिया।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 70 हजार लोग एक ही पल में पिघल कर मर गये और दसियों हजार लोग गंभीर रूप से घायल हुए और जल गये और बहुत दुख दर्द सहने के बाद अगले दिनों और यहां तक कि वर्षों बाद तबाही के बाद मर गये।

2- जेनेटिक तब्दीलियां और असामान्यताएं

परमाणु बमबारी के बाद हिरोशिमा और नागासाकी में 70 हजार बच्चों की जांच की गई। नागासाकी में 500 से 800 बच्चों की उनके ही घरों में जांच की गई।

उस समय, जेनेटिक नुक़सान का कोई सबूत नहीं मिला था, लेकिन 2008 में, जीवित बचे लोगों और उनके बच्चों पर नए अध्ययन किए गए, जिसमें डीएनए और जेनेटिक तब्दिलियां और असामान्यताओं की पुष्टि हुई।

इस अध्ययन में डीएनए का पता लगाने के लिए नए तरीकों का प्रयोग किया गया।

3- हिरोशिमा की छाया

हिरोशिमा में विस्फोट के बाद, लोगों, सड़कों पर खड़ी साइकिलों और चीज़ों की भयानक परछाइयां सड़कों पर बन गईं जिन्हें अब “Shadows of Hiroshima” के नाम से जाना जाता है।

कुछ लोगों का मानना ​​है कि बम की ताक़त ने परछाइयों को जमीन पर ही जलाकर राख कर दिया।

हालांकि, साइंस से पता चलता है कि यह सब चीज़ें बमबारी से पहले सड़कों पर मौजूद थीं और शक्तिशाली बमों ने आसपास के क्षेत्रों को बदरंग कर दिया और भयभीत लोगों की परछाइयां जैसी कुछ चीज़ें बना दीं।

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