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डोनल्ड ट्रम्प अमेरिकी सैन्य बलों को जर्मनी से हंगरी स्थानांतरित करने पर विचार कर रहे हैं” : ट्रम्प ने जर्मन्स को रुला दिया?

पार्सटुडे- ट्रम्प के सत्ता संभालने के बाद से जर्मनी और अमेरिका के बीच जिस चीज ने दरार पैदा कर दी है और जिसके कारण बर्लिन द्वारा वाशिंग्टन की आलोचना बढ़ रही है, वह सबसे महत्वपूर्ण यूरोपीय देश के रूप में जर्मनी के आंतरिक मामलों में ट्रम्प प्रशासन का हस्तक्षेपपूर्ण नज़रिया और देश की राजनीतिक प्रक्रियाओं को आकार देने का प्रयास है।

20 जनवरी, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के दोबारा चुने जाने के बाद से ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों द्वारा जर्मनी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। इससे जर्मन अधिकारियों की नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आईं और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।

पार्सटुडे के अनुसार इस संबंध में एयरबस के रक्षा विभाग के प्रमुख “माइकल शूलहॉर्न” ने भविष्य की जर्मन सरकार के रक्षा ख़र्च बढ़ाने की योजना का स्वागत करते हुए बर्लिन को अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने और इस संबंध में वाशिंगटन पर अधिक निर्भरता के बारे में चेतावनी दी है।

दूसरी ओर प्रसिद्ध जर्मन कंपनियों और संस्थानों के प्रबंधकों के एक ग्रुप ने एक संयुक्त बयान में नई भूराजनीतिक स्थिति के कारण सैन्य ख़र्चे में बढ़ोतरी का अनुरोध करते हुए अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमानों की खरीद रोकने की मांग की।

बयान में कहा गया है कि एफ़-35 लड़ाकू जेट जैसे इन हथियारों का उपयोग करने वाले संचालन के लिए नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट और अमेरिकी पक्ष द्वारा नियंत्रित रखरखाव की आवश्यकता होती है जिससे निरंतर निर्भरता होती है।

भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों के इस ग्रुप का अनुमान है कि 500 ​​अरब यूरो से अधिक का सैन्य बजट ज़रूरी है।

उनके मुताबिक, अमेरिकी विमानों को खरीदने पर पैसा खर्च करने के बजाय इस पैसे को ड्रोन और बाल्टिक सागर की सुरक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए।

इस बीच, अमेरिका और जर्मनी के बीच तनाव बढ़ने के साथ, ब्रिटिश अख़बार “टेलीग्राफ” ने लिखा कि डोनल्ड ट्रम्प हजारों अमेरिकी सैन्य बलों को जर्मनी से हंगरी स्थानांतरित करने पर विचार कर रहे हैं।

जर्मनी, अमेरिका का सबसे बड़ा यूरोपीय व्यापारिक भागीदार है। यूक्रेन और घरेलू क्षेत्र में युद्ध समाप्त करने के लिए अमेरिका की एकतरफा नीतियों, पदों और आंदोलनों, जर्मन चुनावों में अमेरिका के हस्तक्षेप और कट्टरपंथी दक्षिणपंथ के समर्थन ने जर्मनी और पूरे यूरोप के लिए चुनौतियां खड़ी कर रखी हैं।

ऐसे में जर्मनी की विदेशमंत्री “एनलना बेयरबॉक” ने इस देश के हालिया संसदीय चुनावों से पहले धमकी दी थी कि जर्मनी अमेरिका से संबंध तोड़ लेगा।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जर्मनी, अमेरिकियों पर यह समझने का दबाव बढ़ाएगा कि “अगर वे अब यूरोप के उदार लोकतंत्रों के साथ खड़े नहीं रहेंगे तो उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है।

वास्तव में, ट्रम्प के सत्ता संभालने के बाद से जर्मनी और अमेरिका के बीच जिस बात ने दरार पैदा की और अमेरिका की उनकी बढ़ती आलोचना का कारण बना, वह सबसे महत्वपूर्ण यूरोपीय देश के रूप में जर्मनी के आंतरिक मामलों में ट्रम्प प्रशासन का हस्तक्षेपपूर्ण दृष्टिकोण और देश की राजनीतिक प्रक्रियाओं को आकार देने का प्रयास है।

यह चिंता साफ़ तौर पर क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी के रूढ़िवादी नेता और जर्मन संसदीय चुनावों के विजेता और इस देश के भावी प्रधानमंत्री फ्रेडरिक मर्टेस के पहले बयानों में नज़र आती है। मर्टेस ने कहा कि उनकी मुख्य प्राथमिकता अमेरिकी या रूसी उकसावों का मुकाबला करने के लिए यूरोप को एकजुट करने का प्रयास करना है।

यह स्थिति ट्रम्प के वरिष्ठ सलाहकार और उनके प्रशासन के एफ़िशेन्सी मिनिस्टर एलन मस्क की हस्तक्षेपपूर्ण कार्रवाइयों पर तीखी प्रतिक्रिया है।

मस्क ने अमेरिका के चुनाव अभियान के दौरान बार-बार धुर दक्षिणपंथी पार्टी “जर्मनी के लिए वैकल्पिक” एएफडी के लिए अपने समर्थन का एलान किया और वर्तमान जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्त्स की तीखी आलोचना की और उनके इस्तीफे की मांग की।

अब जर्मन्स को चिंता है कि ट्रम्प प्रशासन राजनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक, सैन्य और सुरक्षा क्षेत्रों में जर्मनी पर अपनी मांगें थोपने की कोशिश करेगा और इस देश की स्वतंत्रता और स्वाधीनता को कमज़ोर करेगा।

जैसा कि म्यूनिख सेक्युरिटी कांफ़्रेंस के प्रमुख “क्रिस्टोफ़ हॉसगेन” यूरोपीय नेताओं की उदासी और हताशा के बीच, अपनी भीगी आंखों से कहते हैं: “हमारी वैल्यु अब अमेरिका के समान नहीं है और अमेरिका ने इस महाद्वीप के पुराने और क्लासिक दुश्मनों के पक्ष में यूरोप को छोड़ दिया है।”

अब ट्रम्प और उनके डिप्टी “जेडी वेंस” के मुंह से फासीवाद की आवाज सुनाई दे रही है। यूरोप में वेंस के हालिया भाषणों के अनुसार, उन्हें अब यूरोपीय राजनीतिक हलकों में “मुसोलिनी सेकेन्डI” के रूप में जाना जाता है और यूरोप में कट्टर दक्षिणपंथी पार्टियां राजनीतिक शक्ति हासिल करने और सत्ता पर नियंत्रण पाने के लिए ट्रम्प और एलोन मस्क सहित उनकी टीम के राजनीतिक और वित्तीय समर्थन की उम्मीद कर रही हैं।

डोनल्ड ट्रम्प के साथ काफी बौद्धिक समानता रखने वाले एलन मस्क का अंतिम लक्ष्य चरम दक्षिणपंथी आंदोलनों और अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी पार्टी जैसी पार्टियों का समर्थन करके यूरोपीय राजनीतिक क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन करना है।

मस्क और ट्रम्प के दृष्टिकोण से, जर्मनी सहित यूरोपीय देशों में चरम दक्षिणपंथी दलों की शक्ति में वृद्धि से अटलांटिक के दोनों किनारों पर अधिक बौद्धिक और वैचारिक समरूपता आएगी और हमेशा यूरोपीय देशों में वाशिंगटन के प्रभाव को बढ़ाने और अमेरिका के लक्ष्यों के अनुरूप उनकी नीतियों को आकार देने का मार्ग प्रशस्त होगा।

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