धर्म

रोज़ेदार तौबा और इस्तेग़फार के ज़रिए अल्लाह की रहमत का फ़ायदा उठा सकते हैं और अपने आप को गुनाहों के बोझ से मुक्त कर सकते हैं!

पार्स टुडे- जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि रमज़ान का महीना क़ुरान और इलाही शिक्षाओं पर विशेष ध्यान देने की सलाह देता है, तो हमें यह एहसास होता है कि रमज़ान जीवन के मार्ग की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन करने का एक अच्छा समय है।

रमज़ान और रोज़े का महीना न केवल शारीरिक शुद्धता का सबब बनता है, बल्कि यह रूह की शुद्धि और संयम आदत डालने के लिए भी एक अवसर प्रदान करता है। इसलिए, यह महीना आत्मा और मन को सांसारिक अशुद्धियों से मुक्त करने और इंसान और उसके परवरदिगार के बीच के संबंध को मज़बूत करने का सबसे अच्छा अवसर माना जाता है।

पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, तस्नीम ने इस महीने की विशेषताओं के बारे में लिखा: इस महीने में मोमिन इबादतों पर ध्यान केंद्रित करता है और सांसारिक इच्छाओं से दूर रहकर अपने अंदर की शुद्धता और पवित्रता प्राप्त करने की कोशिश करता है। जब हम इस बात को ध्यान में रखते हैं कि यह महीना क़ुरान और इलाही शिक्षाओं पर विशेष ध्यान देने की सलाह देता है, तो हमें यह एहसास होता है कि रमज़ान जीवन के मार्ग की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन करने का एक उपयुक्त मौक़ा है।

इस पवित्र महीने में लोग अपनी नैतिक शिक्षा पर अधिक ध्यान देते हैं और उन कार्यों से बचने की कोशिश करते हैं जो दूसरों या ख़ुद को नुक़सान पहुंचाते हैं। ज़बान और गुस्से पर नियंत्रण रखना, ग़ीबत से बचना, और अच्छे कर्मों और दूसरों की मदद करने का महत्व जैसे कार्य न केवल व्यक्ति के विकास में मददगार होते हैं, बल्कि यह एक संतुलित और नैतिक समाज के निर्माण का साधन भी बनते हैं। इस तरह, रमज़ान समाज में सामाजिक संबंधों और मानवीय रिश्तों की बहाली के लिए एक अवसर के रूप में काम करता है और आत्मा को एकता और सकारात्मक संवाद की ओर निर्देशित करता है।

अगर हम रमज़ान की नेमत को एक और दृष्टिकोण से देखें, तो इसमें गहरा आध्यात्मिक प्रभाव है जो अल्लाह ने इस महीने को प्रदान किया है और जो लोगों के आध्यात्मिक सफ़र को आसान बनाता है। इस तरह, लोग अल्लाह की ओर अधिक ध्यान देते हैं, पापों और ग़लतियों से दूर रहते हैं, और अपने ऊपर अधिक नियंत्रण रखते हैं। इस नज़रिए से, रमज़ान एक स्वर्णिम अवसर माना जाता है। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेहि व सल्लम) ने फरमाया: “रमज़ान का महीना अल्लाह का महीना है और यह वह महीना है जिसमें अल्लाह नेकियों को बढ़ाता है और गुनाहों को मिटाता है। यह बरकतों का महीना है।” (बिहारुल अनवार, जिल्द 96, पृष्ठ 340, हदीस 5)

रमज़ान में नेकियों और अच्छे कर्मों का सवाब (पुण्य) कई गुना बढ़ जाता है, जिसका मतलब है कि इस महीने में किए गए हर अच्छे काम का पुण्य अन्य समय की तुलना में कहीं अधिक होता है। यह विशेषता रमज़ान को अल्लाह के करीब आने और पुण्य कमाने का एक अद्वितीय अवसर बनाती है। नमाज़, रोज़ा, क़ुरान की तिलावत, दान और दूसरों की मदद जैसे कार्य इस महीने में विशेष महत्व रखते हैं।

इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति दृढ़ निश्चय और तौबा के साथ अल्लाह की ओर लौटता है, तो अल्लाह उसके गुनाहों को माफ़ कर देता है और उन्हें मिटा देता है। यह विशेषता रमज़ान को आत्मा और मन की शुद्धि के लिए एक विशेष अवसर बनाती है। रोज़ेदार तौबा और इस्तेग़फार (माफी मांगने) के ज़रिए अल्लाह की रहमत का फायदा उठा सकते हैं और अपने आप को गुनाहों के बोझ से मुक्त कर सकते हैं।

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस हदीस में रमज़ान को “बरकतों का महीना” कहा गया है। बरकत का मतलब है जीवन में अच्छाई और नेकी की वृद्धि। इस महीने में समय, कर्म और यहां तक कि इंसान की रोज़ी (आजीविका) में भी बरकत होती है। यह बरकत केवल भौतिक चीज़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आध्यात्मिक बरकत, मानसिक शांति और ईमान की मज़बूती भी शामिल है। रमज़ान आध्यात्मिक विकास, जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और अल्लाह की नेमतों का फ़ायदा उठाने का एक अवसर है।

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