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करंज का पेड़ : करंज का तेल और उसके उपयोग

आयुर्वेद और पुष्प
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करंज का पेड़ सदा हरा रहने वाला पेड़ है.
करंज नाम सुन कर ही करंज की दातुन की याद आती है ग्रामीणजन इनकी दातुन की उपयोग बहुताय: करते है.. करंज का पेड़ लगभग 30 फिट तक ऊंचा होता है, इनकी शाखाएं लटकी हुई होती है, इनके पत्ते किनारे से फुले हुए होते है, करंज के फूल गुलाबी रंग के और कुछ नीलाभ श्वेतवर्ण के गुच्छ में लगते है….

इसके फूल से बने खाद भी खेतों के लिए उपयोगी होते हैं। यहां तक की करंज का उपयोग मच्छर भगाने में भी होता है। उसके पत्ते या लकड़ी का जलावन के रूप में प्रयोग होता है। … ।इनकी फल चुकनी एवं चपटी, कठोर 1-2 इंच लम्बी मिट्टी के जैसे गहरे रंग की होती है, हर फलीे में एक ही बीज पाया जाता है, बीजो से तेल निकाला जाता है..

करंज का तेल और उसके उपयोग
करंज के बीजों से तेल निकालने हेतु सर्वप्रथम बीजों को साफ कर सुखा लेते हैं। फिर बीजों को एक्सपेलर (कोल्हू) में पिरवा लिया जाता है। इसका तेल पीला नारंगी से भूरे रंग का होता है।

इस तरह करंज तेल का औषधीय गुण के साथ-साथ पारम्परिक और आध्यात्मिक महत्व भी है

औषधिय गुण
कुष्ठ_रोग

इसके पौधे की छाल का घिसकर लेप बना लें | इस लेप का कुष्ठ वाले स्थान एवं घाव आदि पर करने से अत्यंत फायदा मिलता है!

घाव

करंज तेल का इस्तेमाल करने से घाव में होने वाले इन्फेक्शन से बचा जा सकता है एवं साथ ही घाव में स्थित पुय या मवाद को ठीक करने में भी फायदेमंद साबित होताहै |

सुजन
यह वात एवं कफज सुजन में राहत पहुंचाती है एवं दर्द का भी अंत करती है | जोड़ों के दर्द या आमवात में करंज के पतों से स्वेदन करने एवं इसके तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है |

दांत
करंज की दातुन करने से मुखरोग एवं दांतों की समस्यों में भी लाभदायक रहती है |

मधुमेह_एवं_योनी_रोग :-

मधुमेह की समस्या में इसके फूलों को इक्कठा करके उनका फांट निकाल कर सेवन करने से तुरंत आराम मिलता है | योनी दोषों में करंज साधित घी का सेवन लाभदायक रहता है |