धर्म

कठिनाइयों का मुक़ाबला कैसे करें? पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों की सिफ़ारिशें

पार्सटुडे- कठिनाइयां इंसानों की ज़िन्दगी का भाग हैं और वह तूफ़ान की भांति हैं जिनसे भागना असंभव है। पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों ने इस संबंध में सब्र व धैर्य से काम लेने की बहुत सिफ़ारिश की है।

कठिनाइयां इंसानों को धार देने वाली या शुद्ध करने वाली होती हैं जो मानवता के निर्माण का कारण बनती हैं। पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों ने कठिनाइयों से मुक़ाबला करने के लिए बहुत सी चीज़ों की सिफ़ारिशें की है जिनमें से हम यहां पर कुछ का उल्लेख कर रहे हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हज़रत अली फ़रमाते हैं” सख्तियों व कठिनाइयों का सबसे शक्तिशाली दुश्मन सब्र है।

इमाम हुसैन के सुपुत्र और चौथे इमाम, इमाम सज्जाद फ़रमाते हैं हे मेरे बेटे, हक़ के रास्ते में सब्र व धैर्य से काम लो यद्यपि हक़ के मार्ग में धैर्य कड़वा ही क्यों न हो।

हज़रत अली फ़रमाते हैं उस मुसीबत पर धैर्य करना सब्र है जो हक़ के रास्ते में इंसान पर आती हैं और अपने क्रोध को पी जाये।

इमाम रज़ा फ़रमाते हैं

कोई बंदा अपने ईमान की वास्तविकता को परिपूर्ण नहीं कर सकता मगर यह कि उसके अंदर तीन सिफ़तें व विशेषतायें हैं धर्म की पहचान, जीवन में अच्छा विवेक और मुसीबतों पर धैर्य व सब्र

इमाम अली फ़रमाते हैं

बेशक मोमिन मुसीबत में सब्र करता है और मुनाफ़िक़ मुसीबत में बेताबी व बेसब्री करता है।

इमाम हसन फ़रमाते हैं

नेकी वह है जिसमें कोई बुराई न हो, नेअमत पर शुक्र और मुसीबत पर सब्र नागवार है।

इमाम अली फ़रमाते हैं

कितनी मुश्किलें हैं जो धैर्य करने से हल हो जाती हैं।

इमाम अली फ़रमाते हैं

धैर्य व सब्र, आफ़तों व मुसीबतों के मार्ग की रुकावट है।