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भारत के विदेशमंत्री ने अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों के साथ अपमानजनक व्यवहार पर संसद में कहा-डिपोर्टेशन में हथकड़ी और बेड़ियां सामान्य है!

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों के साथ कथित अपमानजनक व्यवहार पर भारत के विदेश मंत्री ने संसद में सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि डिपोर्टेशन के दौरान इसी तरह भेजे जाते हैं लोग.

अमेरिका से 104 भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत अवैध प्रवासन को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्वासित नागरिकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए.

जयशंकर ने संसद में कहा कि “अवैध प्रवासन और आव्रजन” ना केवल लोगों को “अमानवीय परिस्थितियों” में डालता है, बल्कि उन्हें दूसरे अपराधों का भी शिकार बनाता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत प्रत्येक देश की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने अवैध रूप से रह रहे नागरिकों को वापस ले, बशर्ते उनकी राष्ट्रीयता की स्पष्ट रूप से पुष्टि हो जाए.

जयशंकर ने कहा, “वैध आवाजाही को प्रोत्साहित करना और अवैध प्रवासन को हतोत्साहित करना हमारे सामूहिक हित में है. असल में, अवैध प्रवासन और गैर-कानूनी रूप से यात्रा करने से अन्य कई प्रकार की अवैध गतिविधियां भी जुड़ी होती हैं. इसके अलावा, जो नागरिक इस तरह की अवैध गतिविधियों में फंस जाते हैं, वे खुद भी अन्य अपराधों के शिकार हो जाते हैं.”

बुधवार को अमेरिका से 104 भारतीयों को लेकर एक विमान अमृतसर उतरा था. उस विमान में वे लोग थे जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे. लौटने के बाद उन्होंने बताया कि उन्हें हथकड़ियों और बेड़ियों में बांध कर लाया गया. इस बात पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की थी.

“सामान्य है हथकड़ी लगाना”
विदेश मंत्री ने सफाई दी कि अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने की यह प्रक्रिया पुरानी और सामान्य है. उन्होंने कहा, “अमेरिका में निर्वासन की प्रक्रिया इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) एजेंसी संचालित करती है. आईसीई की 2012 से लागू निर्वासन की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, निर्वासित व्यक्तियों को हथकड़ी आदि में रखा जाता है. मैं फिर दोहराता हूं, यह प्रक्रिया 2012 से लागू है.”

जयशंकर ने कहा कि आईसीई ने भारत को बताया है कि महिलाओं और बच्चों को बंधनों में नहीं रखा जाता. उन्होंने कहा, ”इसके अलावा, निर्वासित व्यक्तियों की यात्रा के दौरान भोजन, दूसरी आवश्यक चीजों और चिकित्सा जैसी उनकी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है. टॉयलेट ब्रेक के दौरान, अगर जरूरी हो, तो अस्थायी रूप से हथकड़ियों को खोला भी जाता है.”

उन्होंने कहा कि यह नियम ना केवल चार्टर्ड नागरिक विमानों बल्कि सैन्य विमानों पर भी लागू होता है और “5 फरवरी 2025 को अमेरिकी उड़ान के लिए इस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है, मैं दोहराता हूं, कोई बदलाव नहीं किया गया है.”

विदेश मंत्री ने 2009 से अब तक अमेरिका से भारतीय नागरिकों के निर्वासन का साल-दर-साल आंकड़ा पेश किया. आंकड़ों के अनुसार, निर्वासन की संख्या वर्षों में घटती-बढ़ती रही है, जो 2019 में 2,042 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. 2025 में अब तक 104 भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजा जा चुका है. इन आंकड़ों के मुताबिक 2009 से अब तक 15,668 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है. पिछले साल 1,368 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया. पिछले सालों में अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाले भारतीयों की संख्या पांच गुना बढ़ी है.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने पिछले महीने खबर दी थी कि अमेरिका ने लगभग 20 हजार ऐसे भारतीयों की पहचान की है, जो वहां अवैध रूप से रह रहे हैं. हालांकि इन आंकड़ों के बारे में सरकार ने कुछ नहीं कहा है. डॉनल्ड ट्रंप की नीति के अनुसार अमेरिका सभी अवैध आप्रवासियों को उनके देशों को डिपोर्ट कर रहा है और उसी के तहत आने वाले महीनों में और भारतीय भी स्वदेश लौटाए जाएंगे.

विदेश मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि क्या सरकार जानती है कि 7 लाख 25 हजार भारतीय अमेरिका में हैं, जिन्हें इसी तरह से भेजने की तैयारी है. सुरजेवाला ने पूछा, “इसमें कितने भारतीय हैं जिनको अमेरिका ने डिटेंशन सेंटर में बंद कर रखा है और क्या आपने उनको काउंसलर एक्सेस दिया है? अबकी बार ट्रंप सरकार पर सौ करोड़ खर्च करने वाली सरकार इनके बारे में क्या सोचती है? कोलंबिया जैसा छोटा देश अपने नागरिकों को बेइज्जत करने के मामले में लाल आंख दिखा सकता है तो आप क्यों नहीं?”

इससे पहले विदेश मंत्री ने संसद में कहा, “हम निश्चित रूप से अमेरिकी सरकार के साथ संपर्क में हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वासित भारतीय नागरिकों के साथ उड़ान के दौरान किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार ना हो.”

“40 घंटे तक हथकड़ी में रखा गया”
हालांकि भारत सरकार ने अमेरिका के साथ बातचीत कर यह सुनिश्चित करने की बात कही है कि निर्वासित भारतीयों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए, लेकिन कुछ प्रवासियों ने अपने दर्दनाक अनुभव साझा किए हैं.

पंजाब के होशियारपुर जिले के 40 वर्षीय हरविंदर सिंह बुधवार को लौटे 104 लोगों में शामिल थे. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया, “40 घंटे तक हमें हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां पहनाकर सीट से हिलने नहीं दिया गया. कई अनुरोधों के बाद, हमें वॉशरूम जाने की अनुमति मिली. क्रू मेंबर्स दरवाजा खोलते और हमें अंदर धकेल देते.”

हरविंदर ने इस सफर को “नरक से भी बदतर” बताया. उन्होंने कहा कि इस दौरान ठीक से खाने तक का मौका नहीं मिला. उन्होंने कहा, “हमें हथकड़ी पहने हुए ही जबरन खाना दिया गया. जब हमने सुरक्षा कर्मियों से कुछ देर के लिए हथकड़ी खोलने की गुजारिश की, तो उन्होंने हमारी बात अनसुनी कर दी. यह सफर ना केवल शारीरिक रूप से दर्दनाक था बल्कि मानसिक रूप से भी बेहद तनावपूर्ण था.”

लुधियाना की रहने वाली 21 वर्षीय मुस्कान लंदन के एक कॉलेज में बिजनेस मैनेजमेंट की छात्रा रही हैं. अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 लोगों में वह भी शामिल हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनका अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने का कोई इरादा नहीं था.

उन्होंने कहा, “हम कानूनी रूप से मेक्सिको गए थे. हम दीवार कूदकर या किसी दूसरे अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश नहीं कर रहे थे. हम टिजुआना सीमा पर थे, जब पुलिस ने हमें रोका और कहा कि अमेरिकी अधिकारी हमें जल्द ही ले जाएंगे. फिर हमें एक बस में बिठाकर डिटेंशन सेंटर ले जाया गया, जहां हमें 10 दिन तक रखा गया.”

अमेरिकी अधिकारी की चेतावनी
इस बीच, अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल के प्रमुख माइकल डब्ल्यू बैंक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 24-सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें निर्वासित भारतीयों को सैन्य विमान से भेजते हुए दिखाया गया.

उन्होंने कहा, “हमने भारत में अवैध रूप से रहने वालों को सफलतापूर्वक वापस भेजा, जो अब तक की सबसे लंबी दूरी की निर्वासन उड़ान थी. यह मिशन हमारी आप्रवासन नीतियों को लागू करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.”

इस पोस्ट के साथ एक सख्त चेतावनी भी दी गई थी,”अगर आप अवैध रूप से सीमा पार करेंगे, तो आपको वापस भेज दिया जाएगा.”

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हमें अवैध प्रवास को रोकने और वैध यात्रियों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा, “जो लोग भारत लौटे हैं, उन्होंने एजेंटों और दलालों के बारे में जानकारी दी है. इस आधार पर हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियां आवश्यक और कठोर कार्रवाई करेंगी.”

भारत सरकार अब इन एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बना रही है, जो लोगों को अवैध रूप से अमेरिका भेजने में शामिल हैं. दुनिया में इसे मानव तस्करी के रूप में देखा जाता है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्दी हीडॉनल्ड ट्रंप से मिलने अमेरिका जाएंगे. उस मुलाकात में भी इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है.

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विवेक कुमार

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