गुजरात के नरोदा पाटिया में 2002 में हुए जनसंहार मामले में तत्कालानी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में शामिल रहीं माया कोडनानी को गुजरात हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दे दिया है. माया कोडनानी के खिलाफ कोर्ट में 11 चश्मदीदों ने गवाही दी थी. इन 11 चश्मदीदों का कहना है कि उन्होंने दंगों के दौरान माया कोडनानी को नरोदा पाटिया में देखा था.
लेकिन हाईकोर्ट ने मामले की जांच कर रही पुलिस की गवाही को सच माना. पुलिस का कहना है कि दंगों के दौरान माया कोडनानी के इलाके में रहने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं. गौरतलब है कि मौजूदा BJP अध्यक्ष अमित शाह भी कोडनानी के पक्ष में गवाह दे चुके हैं।
Breaking | Maya Kodnani acquitted by Gujarat HC in Naroda Patiya case
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— The Indian Express (@IndianExpress) April 20, 2018
अमित शाह ने कोर्ट को दिए अपने बयान में कहा था कि दंगों के दौरान माया कोडनानी गुजरात विधानसभा भवन में मौजूद थीं. वहीं हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगों के लिए बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया है. आपको बता दें कि बाबू बजरंगी को जिंदगी की आखिरी सांस तक कारावास की सजा सुनाई गई थी. बाबू बजरंगी के अलावा हरेश छारा, सुरेश लंगड़ा को भी दोषी करार दिया गया है।
हरेशा छारा के खिलाफ कोर्ट के सामने 13 चश्मदीदों ने बयान दिए. कोर्ट ने इनमें से 5 चश्मदीदों के बयानों को सही पाया. इन 5 चश्मीदीदों के मुताबिक, 28 फरवरी, 2002 को सुबह 11 बजे के करीब दंगों के दौरान छारा नरोदा पाटिया में मौजूद था और उसने घरों को आग लगाई।
16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा जनसंहार हुआ था. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज जब गुजरात में दंगे की लपटें उठीं तो नरोदा पाटिया सबसे बुरी तरह जला था. आपको बता दें कि नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें 33 लोग जख्मी भी हुए थे।