देश

कनाडा और भारत आमने-सामने : कनाडा में ख़ालिस्तानियों की हत्या भारत सरकार लौरेंस बिश्नोई गैंग के साथ मिल कर करवा रहा है, अमित शाह और डोवाल का कनेक्शन क्या है : रिपोर्ट

 

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा। भारत के राजदूत और अन्य राजनयिकों का नाम बतौर ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट’ में लेने के बाद नई दिल्ली ने सख्त रुख अपनाया है। उसने भारत से छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। अब इस पूरे मामले पर विदेश नीति विशेषज्ञों ने भारत के आंतरिक मामलों में कनाडा के हस्तक्षेप की जांच की मांग की है। साथ ही उन्होंने खालिस्तानी तत्वों का समर्थन करने वाले कनाडाई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और दूतावासों की जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।

भारत को कनाडा के हस्तक्षेप की जांच करनी चाहिए: सरीन
विदेश नीति विशेषज्ञ और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो सुशांत सरीन ने कहा, ‘जिन अधिकारियों के बारे में कनाडाई लोगों ने कहा है कि उनके खिलाफ जांच की जा सकती है, उन्हें हम वापस बुला रहे हैं। अगर आप किसी अधिकारी के बारे में यह कहते हैं कि उनकी जांच की जाएगी, तो उनके लिए देश में रहना पूरी तरह से बेईमानी हो जाती है। अधिकारी वहां काम नहीं कर सकते।’

उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, लेकिन इसके साथ ही कुछ कार्रवाई भी होनी चाहिए। भारत में कनाडा के हस्तक्षेप की भी जांच होनी चाहिए, चाहे वह उनके एनजीओ हों या उनके दूतावास हों, ताकि उन्हें उजागर किया जा सके कि वे कैसे खालिस्तानियों को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत दूतावास खुला रख सकता है, मगर संबंध और बिगड़ते हैं तो अपने वाणिज्य दूतावास बंद कर सकते हैं।’]

‘कनाडा-भारत के संबंध काफी खराब’
सरीन ने दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘संबंध इतने खराब हो गए हैं कि भले ही ट्रूडो सत्ता में न हों, मुझे नहीं लगता कि रिश्ते जल्द सामान्य होंगे। ट्रूडो ने इस रिश्ते में जो जहर घोला है, उसे ठीक होने में बहुत समय लगेगा और यह रातोंरात नहीं होगा।’

चीन की परवाह, भारत से मतलब नहीं: विदेश नीति विशेषज्ञ
उन्होंने कहा, ‘हर देश की विदेश नीति में घरेलू राजनीति का एक पहलू होता है, लेकिन हर देश कोशिश करता है कि एक सीमा के बाद राजनीतिक पहलू आपकी कूटनीति को प्रभावित न करे। शायद कनाडा इसकी परवाह नहीं है। इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत कुछ नहीं कर सकता या फिर अगर हम भारत को नाराज भी कर दें, तो हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम चीन को नाराज नहीं कर सकते क्योंकि हम उनसे पैसा लेते हैं, लेकिन हम भारत के साथ ऐसा कर सकते हैं और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका भारत को संभालने के लिए है और यह हमारे लिए बेकार विकल्प है। अब देखना होगा कि मोदी सरकार क्या करती है।’

क्या बोले विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव?
इस बीच, विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने भी भारत द्वारा कनाडाई राजनयिकों के निष्कासन के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘कनाडा सरकार के रुख के बाद चीजें निश्चित रूप से इस तरह से आगे बढ़ रही थीं। कनाडा जैसी सरकार को यह समझने के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व होना चाहिए कि भारत की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया आएगी। दोनों देशों के बीच संबंध अभी ठंडे बस्ते में हैं। वहां राजनयिक उपस्थिति रखने का कोई मतलब नहीं है। कनाडा में हमारे राजनयिकों की जान और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।’

‘वोट बैंक की राजनीति’ जिम्मेदार
सचदेव ने भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने के कनाडा के फैसले को ‘वोट बैंक की राजनीति’ के लिए जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा, ‘कनाडा ने जिस तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त दी उसके दो मुख्य कारण हैं। पहला, कनाडा में ट्रूडो सरकार की वोट बैंक की राजनीति है। वह बहुत कम बहुमत पर जीवित है और उसका समर्थन काफी हद तक भारतीय मूल के लोगों विशेष रूप से खालिस्तान के समर्थकों से आता है। दूसरा, वह चीनी शतरंज का खेल खेल रहा है। चीन द्वारा हस्तक्षेप करने के लिए वह कनाडा में बदनाम हैं। ऐसी खबरें हैं कि उनकी पार्टी के लगभग नौ सांसद अप्रत्यक्ष या किसी तरह से चीन के समर्थन से चुने गए थे। चीन चाहता था कि ट्रूडो जीतें। इसलिए वह अब भारत पर ध्यान केंद्रित करके उस बदनामी को दूर करने की कोशिश कर रहा है। कनाडा की सरकार अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अभूतपूर्व कदम उठा रही है। इसलिए उन्हें भारत की प्रतिक्रियाओं और जवाबी कदमों के लिए तैयार रहना चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी अभूतपूर्व होंगे।’

उन्होंने आगे कहा, ‘अपने राजनयिकों को वापस बुलाकर भारत ने कनाडा सरकार में अपने अविश्वास की घोषणा की है।’

पूर्व राजदूत बंबावाले ने राजनयिकों को वापस बुलाने की बताई वजह
भूटान, पाकिस्तान और चीन में भारत के पूर्व राजदूत गौतम बंबावाले ने कनाडा से उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने के फैसले का श्रेय भारत की बढ़ती चिंता को दिया कि कनाडा अब भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगला कदम बहुत स्पष्ट है कि हमेशा पारस्परिकता का सिद्धांत होता है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून में उपलब्ध है। इसलिए, यदि हम कनाडा से अपने कुछ लोगों को वापस ले रहे हैं, तो हम जोर दे सकते हैं कि कनाडाई भी अपने कुछ लोगों को वापस ले लें और हम निर्देश दे सकते हैं कि किसे वापस बुलाया जाना चाहिए। इसलिए, इस मामले में भारत सरकार को अब विश्वास नहीं है कि कनाडा सरकार हमारे राजनयिकों को सुरक्षित रख सकती है। यही कारण है कि वे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें भारत वापस बुला रहे हैं।

(सोर्स – अमर उजाला)

कनाडा ने मोदी सरकार पर सिखों के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने का आरोप लगाया

Canada alleges much wider campaign by Modi government against Sikhs

– www.washingtonpost

Canada on Monday ordered six Indian diplomats to leave the country, including India’s top diplomat in Ottawa, Sanjay Kumar Verma, officials said.

By Greg Miller and Gerry Shih

The killing of a Sikh separatist in Canada last year was part of a broader campaign of violence against Indian dissidents directed by a senior official in the Indian government and an operative in the country’s spy agency, according to Canadian officials who cited intercepted Indian communications and other newly acquired information.

Canadian authorities have also identified at least six Indian diplomats serving in Canada who were directly involved in gathering detailed intelligence on Sikh separatists who were then killed, attacked or threatened by India’s criminal proxies, Canadian officials said.

Canada ordered all six of those diplomats to leave the country in notices that were sent early Monday, the officials said. Among them were India’s top diplomat in the country, Sanjay Kumar Verma, and its top consular official in Toronto, the officials said.

India issued a conflicting statement saying it had withdrawn the diplomats over concerns for their safety. India later announced that it had expelled six Canadian diplomats, including Canada’s top diplomat in New Delhi.

The previously undisclosed details about India’s alleged involvement in the 2023 death of Hardeep Singh Nijjar and other attacks stem from an ongoing investigation that Canadian authorities said has uncovered extensive evidence linking a larger outbreak of violence in Canada to the administration of Indian Prime Minister Narendra Modi.

“We know they are involved in the Nijjar killing, in other murders and in ongoing violence — actual violence — in Canada,” said a senior Canadian official. The official said that since Nijjar’s death, the pace of threats has escalated to such an extent that authorities have warned a dozen individuals of Indian descent that there was credible information they could be targeted. The official and others spoke on the condition of anonymity to discuss the investigation, citing the sensitivity of allegations that have caused a rupture in relations between Delhi and Ottawa.

India has vehemently denied the accusations. A statement issued by the country’s Ministry of External Affairs on Monday said that Modi’s government “strongly rejects these preposterous imputations and ascribes them to the political agenda” of Canadian Prime Minister Justin Trudeau.

Trudeau said Monday that “the response of the Indian government has been to deny, to obfuscate, to attack me personally and the integrity of the government of Canada and its officials and its police agencies.”

Even so, the new allegations add to mounting concerns among Western security officials and human rights organizations that Modi’s government has become one of the world’s most aggressive practitioners of “transnational repression,” or the use of violence and other means to neutralize perceived homegrown adversaries who have sought refuge in other countries.

The Biden administration, which has cultivated closer ties with India, last year confronted Modi administration officials with intelligence that an officer in India’s Research and Analysis Wing, a spy service known as RAW, was behind an attempt to assassinate a Sikh separatist in New York — a failed plot with parallels to the Nijjar case in Canada. The Post identified the RAW officer as Vikram Yadav, though he was not named in a U.S. indictment accusing an alleged Indian drug trafficker of seeking to hire a hit man to carry out the killing.

Nijjar and Gurpatwant Singh Pannun, the target of the New York plot, were leaders of a movement that for decades has campaigned to carve out an independent Sikh state in northern India. The movement was marked by violent clashes in the 1980s, but has been relatively dormant since a crackdown led to a mass exodus of Sikhs to other countries.

Modi, who came to power as a champion of Hindu nationalism, has revived concerns about the supposed threat posed by Sikhs living abroad. Modi and other officials have frequently accused Canada, which has the world’s largest population of Sikhs outside India, of harboring terrorists.

Canadian officials said they only recently began to grasp the magnitude of the covert campaign of violence India has waged against Sikhs as new evidence emerged from an ongoing investigation of Nijjar’s killing that is led by the Royal Canadian Mounted Police but has involved other agencies, as well as intelligence provided by the United States and other allies.

Officials said the investigation has uncovered evidence of Indian government involvement in home invasions, drive-by shootings, arson and at least one additional killing.

Officials cited the death of Sukhdool Singh, who was shot in Winnipeg on Sept. 20, 2023, less than a day after he was featured in a wanted list of gangsters posted on X by India’s National Investigation Agency. The killing came two days after Trudeau publicly accused India of killing Nijjar.

Officials described an operational “chain” in which Indian diplomats in Canada collect intelligence on alleged Sikh separatists that is then used by RAW to identify targets for attacks carried out by a criminal syndicate led by Lawrence Bishnoi, whose organization, the officials said, has an extensive presence in Canada. Bishnoi is imprisoned in India and could not be reached for comment. His organization has previously asserted responsibility for violent attacks in Canada, officials said.

Officials said Indian diplomats have used violence as well as threatened to deny needed immigration documents to coerce Indians living in Canada to serve as informants against Sikh activists. Canadian officials said this scheme involves Indian officials at the country’s consulates in Vancouver and Toronto as well as its High Commission — the embassy equivalent — in Ottawa. Canadian officials said the collection operation was overseen by Verma, India’s high commissioner in Ottawa.

“The coercion goes far beyond threatening to deny visas, to include physical threats to them and their families in India,” said a senior Canadian official, who added that “the information is being sent to India at almost the highest level.”

Conversations and texts among Indian diplomats include references to “a senior official in India and a senior official in RAW” who have authorized the intelligence-gathering missions and attacks on Sikh separatists, the Canadian official said.

Canadian officials identified the senior official in India as Amit Shah, a member of Modi’s inner circle who serves as home affairs minister. Spokespeople in India’s Ministry for External Affairs and its Home Ministry, which oversees national security matters, did not respond to requests for comment about Shah’s alleged role.

Canadian officials shared details about the references to Shah and other evidence with India’s national security adviser, Ajit Doval, at a secret meeting in Singapore on Saturday. Canadians who took part in the meeting included Trudeau’s national security adviser, Nathalie Drouin, and Deputy Foreign Minister David Morrison, as well as a top RCMP official.

Canada had sought the meeting in an attempt to persuade Modi’s government to end an escalating campaign of violence in Canada, but also to warn that details exposing Indian involvement in attacks were likely to become public as prosecutors move forward next month with a planned trial of four suspects in Nijjar’s killing.

Instead, officials said Doval made clear that India “would deny any link to the Nijjar murder and any link to any other violence in Canada no matter what the evidence was,” a senior Canadian official said.

Officials provided other details about the five-hour encounter with Doval, 79, a former spymaster who is seen as one of Modi’s closest confidants and has served as national security adviser for a decade.

Doval “did admit that India did use its diplomats to follow people, take pictures, et cetera, but denied any links to threats or violence,” an official said.

When Canadian officials outlined evidence that India had enlisted Bishnoi’s gang networks in Canada to carry out the Nijjar killing and other attacks, Doval initially “pretended not to have any idea who the guy was,” a Canadian official said. Later, however, Doval began rattling off “facts, figures and anecdotes” about Bishnoi, acknowledging that he “was capable of orchestrating violence from wherever he is incarcerated” and “was known to be up to no good from his jail cell.”

Bishnoi, 31, is one of India’s most notorious mob bosses, officials said, but has also been accused on social media of collaborating with the government while in prison. Bishnoi’s gang asserted responsibility for Singh’s killing in September last year after Trudeau’s public statement linking India to Nijjar’s death.

In a news conference Monday — Canada’s Thanksgiving holiday — RCMP officials said that violence orchestrated by India had become a “significant threat to public safety,” and that at least eight people have been arrested and charged in connection with homicide cases and nearly two dozen in connection with extortion investigations.

Canadian requests to interview Indian diplomats implicated in attacks were rebuffed by Modi’s government, officials said.

Doval ended the Saturday meeting by asking his counterparts to treat the discussion as if it “never took place” — meaning they should refrain from issuing any public statement or acknowledgment of the gathering.

By the time Drouin and Morrison had made it back to Ottawa, however, pro-Modi media reports had surfaced in India describing how Indian officials had taken a “strong stance” and lectured Canada that “it cannot make unsubstantiated charges.”

भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों के बीच क्या है आगे की राह?

आनंद के. सहाय
पदनाम,वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए

बीते साल जून में कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद जस्टिन ट्रूडो ने भारत की ओर उंगली उठाई थी. भारत ने उन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया था. और उसके बाद दोनों देशों ने एक दूसरे के डिप्लोमैट्स को देश छोड़ने को कहा था.

इसके बाद दोनों देशों के बीच तल्ख़ भाषा में बयानबाज़ी हुई थी. मौजूदा वक़्त में दोनों देशों के बीच संबंध अपने सबसे ख़राब दौर से गुज़र रहे हैं. दोनों के बीच रिश्तों के सामान्य होने की संभावना कम दिख रही है.

भारत का मानना है कि कुछ कनाडाई सिख भारत के भीतर एक अलग सिख देश बनाने के उद्देश्य से हिंसक ख़ालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा दे रहे हैं. यही तकरार का अहम बिंदु है.

करीब 40 साल पहले पंजाब में हिंसा के सबसे भयंकर दौर में भारतीय सेना ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर विवादास्पद हमला किया था और फिर अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी.

इस पृष्ठभूमि में भारत कनाडा से ऐसे कुछ लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करता रहा जिन पर भारत ख़ालिस्तानी समर्थक होने का आरोप लगाता रहा है. कनाडा ने भारत के ऐसे निवेदनों को अब तक अनसुना किया है.

भारत हरदीप सिंह निज्जर को ‘ख़ालिस्तानी आतंकवादी’ करार देता रहा है. लेकिन कनाडा का कहना है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतता और व्यक्तिगत आज़ादी का हिमायती है और कनाडा किसी को अपनी राय रखने से नहीं रोक सकता.

भारत ने सार्वजनिक तौर पर ये कहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो वहां के ‘सिख वोट बैंक’ को रिझा रहे हैं और इसी कारण उनकी सरकार ख़ालिस्तानी समर्थकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की भारत की मांग की नज़रअंदाज़ करती रही है.

अपने-अपने देश की आबादी के अनुपात में, कनाडा में भारत की तुलना में अधिक सिख हैं.

किसी भी पश्चिमी देश के साथ इतने ख़राब रिश्ते नहीं

भारत-कनाडा में लगातार ख़राब होते जा रहे रिश्तों में खटास हैरान करने वाली है.

सोवियत यूनियन के विघटन के बाद किसी भी पश्चिमी देश के साथ भारत के संबंध इतने ख़राब नहीं रहे हैं.

भारत ने कोल्ड वॉर के बाद अमेरिका की अगुवाई वाले पश्चिमी देशों के साथ रिश्ते सुधारे हैं और धीरे-धीरे एक मुकम्मल मार्केट इकोनमी बनने की दिशा में आगे बढ़ता रहा है.

भारत ने जी7 और नेटो देशों के साथ आर्थिक, व्यापार और राजनीतिक रिश्ते सुधारने की कोशिश की है.

कनाडा इन दोनों समूहों का हिस्सा है और अमेरिका के साथ उसके बेहद क़रीबी सैन्य संबंध हैं जो नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफ़ेंस कमांड यानी नोराड के ज़रिए प्रतिबिंबित होते हैं. दोनों के देशों की अर्थव्यवस्था भी एक दूसरे से करीबी रूप से जुड़ी हुई है.

ये दिलचस्प है कि अमेरिका के किसी नज़दीकी सहयोगी के साथ भारत के रिश्तों में इतनी खटास आ गई हो. भारत बीते तीन दशकों से ख़ुद अमेरिका के साथ आर्थिक और सामरिक दिशा में बेहतर संबंध बनाने में प्रयासरत रहा है.

दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्तों के बीच सोमवार को भारत ने कहा कि वो कनाडा में अपने हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा और कुछ अन्य राजनयिकों को वापस बुला रहा है.

लेकिन कनाडा ने कहा कि दरअसल उसने संजय कुमार वर्मा समेत छह भारतीय राजनयिकों और कंसुलर अधिकारियों को निष्कासित कर दिया है क्योंकि भारत ने इन्हें मिली डिप्लोमेटिक और कंसुलर इम्युनिटी हटाने और कनाडा के साथ जांच में सहयोग करने से मना कर दिया था.

भारतीय राजनयिकों और अधिकारियों को निकालने के बाद नई दिल्ली ने छह कनाडाई राजनयिकों को निकालने की घोषणा की. इनमें कार्यकारी उच्चायुक्त स्टुअर्ट रॉस व्हीलर भी शामिल थे.

क्या है ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’

एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया है.

कनाडा में ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ उसे कहा जाता है जिसको लेकर जांचकर्ता मानते हैं कि उस शख़्स को किसी अपराध की महत्वपूर्ण जानकारी है.

सितंबर 2023 में निज्जर की हत्या के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश की संसद में बयान दिया था कि कनाडा के पास इस अपराध में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने के ‘ठोस सबूत’ हैं.

भारत ने इस दावे को सिरे से ख़ारिज करते हुए कनाडा से सबूत की मांग की थी.

सोमवार को कनाडा के उच्चायुक्त को देश से निकालने की घोषणा के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि ट्रूडो सरकार ने भारतीय अधिकारियों के ख़िलाफ़ अपने आरोपों के समर्थन में भारत को ‘सबूत का एक टुकड़ा’ तक नहीं दिखाया था.

विदेश मंत्रालय ने कनाडा को लेकर ये भी कहा था कि वो ‘राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम कर रहा है.’

दिलचस्प रूप से कनाडा के कार्यकारी उच्चायुक्त जिन्हें अब निकाल दिया गया है, उन्होंने इसका जवाब दिया था.

उन्होंने कहा था कि कनाडा ने भारत सरकार की सभी मांगों को पूरा किया और भारत सरकार को भारतीय एजेंटों और उनके निज्जर हत्या मामले से जुड़े होने के सबूत दिए गए थे. उन्होंने आगे कहा था कि अब ये भारत के ऊपर था कि वो अगला क़दम उठाता.

कैसे सबूत भारत को दिए गए?

कनाडा ने भारत को किस गुणवत्ता का सबूत देने का दावा किया है उसे आज नहीं तो कल ज़रूर तौला जाएगा लेकिन ये साफ़ नहीं है कि कनाडा ने ये सबूत कब दिए थे. इस स्तर पर किसी भी हालत में संबंधों को सुधारने की प्रक्रिया की शुरुआत होने की संभावना नहीं है. नकारात्मक दिशा में बहुत कुछ बहुत तेज़ी से हुआ है.

प्रधानमंत्री ट्रूडो और प्रधानमंत्री मोदी के बीच इस साल जून में इटली में जी-7 से इतर द्विपक्षीय मुलाक़ात हुई थी. वहीं आसियान सम्मेलन से बीते शुक्रवार को भी दोनों नेता मिल चुके थे लेकिन इससे ये ज़रा भी संकेत नहीं मिल सकता था कि संबंध इस स्तर पर पहुंच जाएंगे.

समाचार एजेंसी एएनआई ने भारतीय अधिकारियों के हवाले से बताया था कि लाओस की बैठक छोटी और अनाधिकारिक थी, इससे ‘कुछ भी ठोस बाहर नहीं आया था.’

सूत्रों के हवाले से कहा गया, “भारत विरोधी तत्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गारंटी के बग़ैर संबंधों में सुधार मुश्किल होगा.” ये कोई आधिकारिक बयान नहीं था लेकिन इससे इस मामले पर भारत की सोच का पता चलता है.

ये एक टेढ़ी खीर लगता है. सीबीसी न्यूज़ ने ट्रूडो के हवाले से कहा था, “मैंने ज़ोर देकर कहा था कि हमें काम करने की ज़रूरत है…इसमें मेरा फ़ोकस कनाडा के लोगों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था का पालन है.”

विएंटाइन में दोनों देशों के नेताओं के बीच मुलाक़ात से पहले हिंदुस्तान टाइम्स ने कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली के हवाले से कहा था कि भारत के साथ संबंध तनावपूर्ण और बहुत मुश्किल हैं. उन्होंने डर जताया था कि कनाडा की ज़मीन पर ‘निज्जर जैसे क़त्ल’ आगे भी हो सकते हैं.

क्या सुधरेंगे दोनों देशों के रिश्ते?

ये साफ़ है कि कनाडा फ़िलहाल इस मसले को गर्म रखना चाहता है. और जैसे कि देखा जा रहा है भारत भी इस समस्या के हल के लिए किसी किस्म की गंभीर डिप्लोमेसी का रास्ता अपनाने के प्रति इच्छुक नहीं दिख रहा है.

भारत में एक विचार ये है कि अक्तूबर 2025 में कनाडा में होने वाले आम चुनावों में ट्रूडो हार जाएंगे और जब दोनों देशों के बीच संबंधों में नई शुरूआत का अवसर मिलेगा. लेकिन कनाडा की संसद के भीतर भारत के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों से पार पाना आसान नहीं होगा.

दिलचस्प ये है कि इस सारे बखेड़े में एक अमेरिकी एंगल भी है. सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत पर आरोप लगाए थे. इसके कुछ हफ़्ते बाद अमेरिकी संघीय अदालत ने निखिल गुप्ता नाम के भारतीय नागरिक को अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश में नामित किया था. पन्नू ख़ालिस्तान की हिमायत करने वाले अमेरिकी वकील हैं.

सवाल ये है कि क्या अमेरिका ने कनाडा के साथ मिलकर निखिल गुप्ता वाले केस की टाइमिंग तय की थी?

क्या ट्रूडो का संसद में बयान अमेरिका को कंसल्ट करने के बाद दिया गया था?

भारत से ऐसे ही सवाल पूछे जा रहे हैं.

भारत के लिए आगे का क्या है रास्ता?

हाल ही में पन्नू ने कुछ भारतीय अधिकारियों के ख़िलाफ़ दीवानी मुकदमें दर्ज किए हैं. इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का नाम भी शामिल है. यही कारण था कि संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक सम्मेलन में परंपरा के ख़िलाफ़ जाते हुए भारतीय प्रधानमंत्री के साथ भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नहीं गए थे.

इससे भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में एक दिलचस्प आयाम पर भी विचार सामने आता है. अमेरिका ने निस्संदेह भारत के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक विकसित किया है, लेकिन यह उसके अंतरराष्ट्रीय आचरण की प्रकृति में है कि जब भी मौका मिले एक अच्छे दोस्तों को भी थोड़ा दूर रखा जाए – ताकि बाद में किसी समय अच्छा सौदा किया जा सके.

इसमें एक एंगल और है. जहां तक भारत के वैश्विक मुद्दों पर आचरण का सवाल है, पीएम मोदी के नेतृत्व में कुछ बड़ा करने का हामी है.

निज्जर के मामले में भारत के आक्रामक रुख़ को समझने के लिए इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है.

और इससे निज्जर मामले पर कनाडा से निपटने में भारत के आक्रामक रुख़ को समझने में मदद मिल सकती है. इस आक्रामकता में किसी अन्य देश की धरती पर हत्या को अंजाम देने का संदेह भी शामिल है.

जब अमेरिका ने भारतीय अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई की धमकियां दी थीं तो भारत ने कुछ समीकरण बिठाने की कोशिश की थी लेकिन कनाडा के मुद्दे पर वो टोन ही गायब रही है. चीन इसे ‘वुल्फ़ वॉरियर डिप्लोमेसी’ की संज्ञा देता है. लेकिन भारत और चीन के दुनिया पर प्रभाव में आर्थिक और सैन्य हिसाब से बहुत बड़ा अंतर है.

लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि कनाडा के मुद्दे से बचा नहीं जा सकता. कम टकराव वाली कूटनीति में कोई प्रतिष्ठा नहीं खोती है. इसी पुराने भारतीय तरीके से एक ज़माने में उसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान हासिल करने में मदद मिली थी.

ट्रूडो ने दोहराए आरोप, अब तक क्या-क्या हुआ और किस दिशा में बढ़ रहे हैं रिश्ते

सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत और कनाडा के संबंध बद से बदतर होते जा रहे हैं.

सोमवार को भारत ने कहा था कि उसने कनाडा से भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा समेत अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है. इसके साथ ही भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया था.

लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने राजधानी ओटावा में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके दावा किया है कि उसकी सरकार ने छह भारतीय राजनयिकों को देश से निष्कासित किया है.

प्रधानमंत्री ट्रूडो ने इसके लिए हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत सरकार के सहयोग न करने को दोषी ठहराया है. साथ ही ट्रूडो ने कड़े लहजे में भारत से कहा है कि वो जांच में शामिल होकर भ्रामक बयानबाज़ियों पर रोक लगाए.

ट्रूडो ने क्या दावे किए हैं?

कनाडाई प्रधानमंत्री का कहना है कि नई दिल्ली ने भारत सरकार के एजेंटों के हिंसा से जुड़ी गतिविधियों में कथित तौर पर शामिल होने की आपराधिक जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया था.

उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने यह सोचकर बुनियादी ग़लती की कि वो कनाडा की ज़मीन पर कनाडाई लोगों के ख़िलाफ़ आपराधिक गतिविधियों का समर्थन करने में शामिल हो सकता है.”

जस्टिन ट्रूडो ने ये प्रेस कॉन्फ़्रेंस कनाडाई पुलिस रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) के प्रमुख के दावों के बाद की है.

आरसीएमपी के प्रमुख माइक डुहेम ने सोमवार को आरोप लगाया था कि भारत सरकार ने कनाडा में ‘बड़े पैमाने पर हिंसा’ में भूमिका निभाई है, इनमें हत्याएं भी शामिल हैं साथ ही ये सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर ख़तरा खड़ा करता है.

कनाडाई सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में बीते साल कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि इस हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के सुबूत हैं.

इन आरोपों को भारत ने ख़ारिज किया था. इसके बाद से दोनों देशों के संबंध ख़राब होते चले गए.

लेकिन कल कनाडा ने बड़े पैमाने पर आपराधिक अभियान का आरोप लगाया था.

कनाडा ने अब तक क्या कहा?

ट्रूडो ने कनाडाई ज़मीन पर हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि चाहे ये हत्या हो, जबरन वसूली हो या कोई दूसरी हिंसक गतिविधि, यह बिल्कुल स्वीकार नहीं की जाएगी.
उन्होंने कहा, “कोई भी देश, विशेषकर कोई लोकतंत्र जो क़ानून के शासन को कायम रखता हो, अपनी संप्रभुता के इस मौलिक उल्लंघन को स्वीकार नहीं कर सकता.”
जस्टिन ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “आरसीएमपी ने आज बाहर आकर और भारतीय राजनयिकों के कनाडाई नागरिकों की जानकारियां इकट्ठा करने के पैटर्न को रोकने का फ़ैसला किया.”
उन्होंने दावा किया कि ये जानकारी आपराधिक संगठनों को दी गई जिससे ‘हिंसक गतिविधियां की गईं जिनमें फ़िरौती से लेकर हत्या शामिल हैं.’
हालांकि ट्रूडो ने किसी भी राजनयिक और उच्चायोग स्टाफ़ की कथित भूमिका के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है और कहा है कि ये मामले न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है.
उन्होंने ये ज़रूर कहा है कि जब क़ानूनी मामले ख़त्म होंगे तो अधिक जानकारियां पता लगेंगी.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के अलावा अपने दफ़्तर से एक बयान भी जारी किया है.
उन्होंने अपने बयान में कहा है कि ‘आरसीएमपी और राष्ट्रीय सुरक्षा के अधिकारियों ने भारत सरकार और भारतीय क़ानूनी एजेंसियों के साथ काम करने के लिए काफ़ी कोशिशें कीं लेकिन वो लगातार इनकार करते रहे. इसी वजह से इस हफ़्ते कनाडाई अधिकारियों ने एक अभूतपूर्व क़दम उठाया.”
“वे भारतीय अधिकारियों से आरसीएमपी के सुबूत साझा करने के लिए मिले जिसमें भारत सरकार के छह एजेंटों के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की बात है. भारत सरकार से लगातार अनुरोधों के बावजूद उन्होंने सहयोग न करने का फ़ैसला किया. यह देखते हुए कि भारत सरकार अभी भी सहयोग करने से इनकार कर रही है तो मेरी सहयोगी विदेश मामलों की मंत्री मेलेनी जोली के पास सिर्फ़ एक विकल्प था.”
“आज (सोमवार) इन छह लोगों को देश से बाहर निकालने का नोटिस जारी किया गया है. इनको कनाडा छोड़ना होगा. वे अब कनाडा में राजनयिकों के रूप में काम नहीं कर पाएंगे न ही वो कनाडा में दोबारा दाख़िल हो पाएंगे चाहे जो भी कारण हो. मैं ये साफ़ कर देना चाहता हूं कि आरसीएमपी ने जो सुबूत दिए उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.”
कनाडाई प्रधानमंत्री ने साथ ही भारत सरकार से फिर अपील की है कि वो उसकी जांच में सहयोग करे.
ट्रूडो ने कड़े लहजे में अपने बयान में कहा है कि भारत सरकार जांच में शामिल होकर अपनी निष्क्रियता और भ्रामक बयानबाज़ियों को ख़त्म करे.

Aditya Singh
@Beingadiisingh
#Breaking 🚨

As per the Washington Post , India is using Lawrence Bishnoi gang to carry out the killing of Sikh separatists inside Canada.

Canadian officials even informed this to NSA Doval during recent secret meeting in Singapore.

Image

Image

Saket Gokhale MP
@SaketGokhale
𝐓𝐡𝐞 𝐫𝐨𝐥𝐞 𝐨𝐟 𝐋𝐚𝐰𝐫𝐞𝐧𝐜𝐞 𝐁𝐢𝐬𝐡𝐧𝐨𝐢 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚-𝐂𝐚𝐧𝐚𝐝𝐚 𝐬𝐭𝐚𝐧𝐝𝐨𝐟𝐟 𝐡𝐚𝐬 𝐠𝐨𝐭𝐭𝐞𝐧 𝐦𝐮𝐫𝐤𝐢𝐞𝐫 𝐬𝐢𝐧𝐜𝐞 𝐥𝐚𝐬𝐭 𝐧𝐢𝐠𝐡𝐭.

According to Washington Post, Canadian officials met NSA Ajit Doval in Singapore last week & gave documents that claim gangster Lawrence Bishnoi is alleged to be carrying out assassinations & extortion on orders from above.

I don’t want to get into the Canadian claims. But the pressing questions are:

– How is Lawrence Bishnoi so powerful despite being inside a Gujarat jail?

– Why is the Modi Govt opposing EVERY attempt at taking Lawrence Bishnoi to other jails out of Gujarat for investigations in other cases?

– How is Bishnoi able to allegedly carry out murders & extortion in India & abroad while being in jail?

– WHO is protecting Lawrence Bishnoi & on whose orders is he working?

Govt of India is best equipped to answer on the Canadian claims. But the killing of Sidhu Moosewala, Baba Siddique, a gym owner in Delhi & several others have been attributed to Bishnoi.

Is Lawrence Bishnoi a jailed criminal or is he being actively used by Modi Govt? Is a gangster being given a free hand intentionally?

What Canada claims doesn’t matter.

However, the role & status of Lawrence Bishnoi is something that the Modi Govt MUST come clean on.

Image