नई दिल्ली:जनवरी में आठ साल की बच्ची से रेप के बाद मर्डर केस में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। पीड़िता को कठुआ जिले के एक मंदिर के कमरे में नशे की दवाओं के सहारे बंदी बनाकर रख घटना को अंजाम देने की बात सामने आई थी। उसके बाद से आरोपियों को पकड़ने की मांग को लेकर काफी प्रदर्शन हो रहे हैं।
नाबालिग का शव 17 जनवरी को कठुआ के रसाना जंगलों से बरामद हुआ था। वह एक सप्ताह से लापता थी। पीड़ित बच्ची खानाबदोश मुस्लिम समुदाय से थी और बताया गया है कि उसके कुनबे को हटाने के लिए यह साजिश रची गई थी। इसके लिए आरोपियों को काम पर लगाया गया था। बकरवाल समुदाय के लोगों में डर पैदा करने के लिए बच्ची के साथ जघन्य अपराध किया गया।
घटना के मुख्य आरोपी सनज रामठे, उसके बेटे विशाल, सब इंपेक्टर आनंद दत्ता और दो स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स दीपक खजूरिया और सुरेंदर वर्मा, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और परवेश कुमार पर हत्या, रेप और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया है।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए देश के मशहूर पूर्व आईपीएस ऑफिसर संजीव भट्ट ने ट्वीट करके कहा है कि “ज़रा सोचिए अगर एक हिन्दू लड़की का अपहरण करके किसी मस्जिद में रखा जाता और उसके साथ बदतमीज़ी की जाती और उसका बलात्कार किया जाता और उसको कुछ मुसलमान मार देते तो भरतीय मीडिया और जनता की इस पर प्रतिक्रिया किया होती ?और तमाम हिन्दू जो इस भयानक अपराध पर खामोश हैं वो तमाम इस जुर्म में अपराधी के सहयोगी हैं”
Just imagine how Indian media and public would have reacted to a Hindu girl being abducted, abused, raped and killed by several Muslim men while being hidden inside a mosque?
All Hindus who are silent about this ghastly crime that has been committed in their name are complicit.
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) April 11, 2018
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई दिन तक बंदी बनाए रखने के दौरान घायल बच्ची से कई बार रेप किया गया। यही नहीं, आरोप है कि मामले की जांच कर रहे विशेष पुलिस अधिकारी खजूरिया ने बच्ची की हत्या किए जाने से इसलिए रोका क्योंकि वह भी पहले रेप करना चाहता था। रेप के बाद शव क्षत-विक्षत कर फेंक दिया।
वहीं, चार्जशीट दाखिल करने पहुंची क्राइम ब्रांच टीम को वकीलों के समूह ने रोकने की कोशिश की। हालांकि, चार्जशीट फाइल कर दी गई और बाद में वकीलों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई। वकील मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे। उनका आरोप है कि जांच को सांप्रदायिक आधार पर पक्षपात के साथ किया गया है। आरोपियों के समर्थन में बंद भी बुलाया गया है।
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