लखनऊ: बेगुनाह और निर्दोष होने के बावजूद 8 महीने जेल की सलाखों के पीछे मुश्किलें झेलने वाले डॉक्टर कफ़ील अहमद को इलाहबाद हाईकोर्ट से अब ज़मानत मिल गई है जिसके बाद वो अब जेल से रिहा होगए हैं,कफ़ील अहमद पर BRD हॉस्पिटल गोरखपुर में बच्चों के इलाज में लापरवाही बरतने सहित कई गम्भीर आरोप लागये गए थे।
लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट कफ़ील अहमद को जमानत देदी है,जेल से रिहा होने के बाद कफ़ील अहमद जब अपने घर पर पहुँचे तो ये लम्हे बड़े ही जज्बाती थे, कफ़ील ने घर पहुंचने पर बूढ़ी माँ को गले लगाकर रोपड़े और जज्बाती होगए थे।डॉक्टर कफ़ील अहमद जब जेल से रिहा हुए और बाहर गेट पर अपनी पत्नी डॉ शबिस्ता खान और बच्ची को देखा तो रो पड़े।
डॉ. कफील खान को एसटीएफ ने 2 सितंबर 2017 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से डॉ कफील जेल में बंद थे। शनिवार को जेल रिहा होने के बाद डॉ कफील ने कहा, ‘10 अगस्त की रात को मैंने वही किया था, जो एक डॉक्टर, पिता और हिंदुस्तानी करता। मैंने बच्चों को बचाने की कोशिश की थी।’
जेल से रिहा होते ही डॉक्टर कफील खान ने कहा, ‘आठ महीने जेल में बिताने के बाद मैं मानसिक तौर पर परेशान हो चुका हूं और शारीरिक तौर पर बीमार महसूस कर रहा हूं। मैं केवल घर जाना चाहता हूं, मां को गले लगाना चाहता हूं और आराम से सोना चाहता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘इस दौरान मैंने अपने परिवार को मिस किया।’
डरावने थे जेल के आठ महीने
डॉ. कफील ने कहा, ‘जेल में आठ महीने मेरे लिए बहुत ही ज्यादा डरावने थे, मुझे बिना किसी कारण के खतरनाक अपराधियों के बीच रखा गया। ये बहुत ही बुरा था। मुझे नहीं पता मैंने क्या गलत किया था। मैंने उस रात जो किया एक पिता की तरह, एक डॉक्टर की और हिन्दुस्तानी की तरह कोशिशि की, मेरी जगह कोई भी करता। मैंने तो सिर्फ बच्चों की जान बचाने की कोशिश की थी।’ उन्होंने कहा, ‘मीडिया ने मुझे उस समय बच्चों को बचाने के लिए दौड़ते देखा था।’ कफील ने आग्रह किया, ‘मेरे नाम के आगे ऑक्सिजन कांड का आरोपी लिखना बंद कर दें।’
सरकार के पास नहीं है कोई सबूत डॉ. कफील ने कहा कि आठ महीने में सरकार ने उनके खिलाफ कोर्ट में कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई है क्योंकि वह पूरी तरह से बेगुनाह हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, जिसकी मुझे वजह से जेल में आठ महीने काटने पड़े।’ बता दें कि पिछले दिनों इलाज के लिए जेल से बाहर आए डॉ कफील ने जेल में अपनी जान को खतरा बताया था।