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लोकसभा चुनाव_2024 का हुआ ऐलान : चुनाव सात चरणों में होंगे, मतों की गिनती 4 जून को होगी : रिपोर्ट

केंद्रीय चुनाव आयोग के एलान के साथ ही 18वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून, 2024 को पूरा हो रहा है.

चुनाव सात चरणों में होंगे और सभी सीटों के लिए मतों की गिनती 4 जून को होगी.

पहला चरण (21 राज्यों की 102 सीटों के लिए चुनाव होगा)

20 मार्च को गज़ेट नोटिफिकेशन जारी होगा.
19 अप्रैल को मतदान होगा.
दूसरा चरण (13 राज्यों की 89 सीटों के लिए चुनाव होगा)

28 मार्च को गज़ेट नोटिफिकेशन जारी होगा.

26 अप्रैल को मतदान होगा.

तीसरा चरण (12 राज्यों की 94 सीटों के लिए चुनाव होगा)

12 अप्रैल को गज़ेट नोटिफिकेशन जारी होगा.
07 मई को मतदान होगा.

चौथा चरण (10 राज्यों की 96 सीटों के लिए चुनाव होगा)

18 अप्रैल को गज़ेट नोटिफिकेशन जारी होगा.
13 मई को मतदान होगा.
पांचवा चरण (8 राज्यों की 49 सीटों के लिए चुनाव होगा)

26 अप्रैल को गज़ेट नोटिफिकेशन जारी होगा.
20 मई को मतदान होगा.
छठा चरण (7 राज्यों की 57 सीटों के लिए चुनाव होगा)

29 अप्रैल गज़ेट नोटिफिकेशन जारी होगा.
25 मई को मतदान होगा.
सातवां चरण (13 राज्यों की 57 सीटों के लिए चुनाव होगा)

07 मई को गज़ेट नोटिफिकेशन जारी होगा.
01 जून को मतदान होगा.


वोटरों की संख्या

कुल 96.8 करोड़ पंजीकृत वोटर.
इनमें 47.1 करोड़ महिलाएं और 49.7 करोड़ पुरुष वोटर हैं.
इनमें 1.89 करोड़ पहली बार वोटर्स हैं और 19.74 करोड़ युवा वोटर्स, जिनकी उम्र 20 से 29 साल की है.
इसके अलावा 01 जनवरी 2024 को जिनकी उम्र 18 साल नहीं हुई थी, उनका भी नाम जोड़ा गया है. इसमें 13.4 लाख ऐसे आवेदन है, जो 1 अप्रैल 2024 तक 18 साल के हो जाएंगे और वोट दे सकेंगे.
इसमें 88.4 लाख दिव्यांग, 82 लाख 85 साल से अधिक की उम्र के और 48 हज़ार ट्रांसजेंटर शामिल हैं.
85 साल से अधिक की उम्र के लोगों के लिए घर से वोट करने की सुविधा की गई है. इसके लिए मतदान कर्मी उनके घर पर जाकर उनका वोट रिकॉर्ड करेंगे.

चुनाव आयोग के सामने चार चुनौतियां

चुनाव आयोग ने कहा कि चुानव कराने वक्त आयोग के सामने चार बड़ी चुनौतियां होंगी.

मसल पावर

ताकत का इस्तेमाल, हिंसा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. इसके लिए ज़रूरी संख्या में वॉलन्टियर लगाए जाएं. अगल एक व्यक्ति की जगह कोई और वोट देने आए तो कार्रवाई हो.

जो हिंसा फैलाने की कोशिश करेगा उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होगी.

मनी पावर

वोटरों को लुभाने के लिए पैसों का इस्तेमाल न हो. कुछ राज्यों में धन का इस्तेमाल की आशंका ज़्यादा है जिसकी आयोग को जानकारी है.

अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, राज्यों की सीमाओं और अन्य रास्तों पर चौकसी बढ़ेगी.

डिजिटल वॉलेट से संदिग्ध ट्रांज़ैक्शन होने पर बैंक रिपोर्ट भेजेंगे.

आयकर विभाग सभी एयरपोर्ट पर नज़र रखेंगे. जहां हवाई पट्टियां और हैलीपैड हैं, वहां हेलिकॉप्टर के साथ आए सामान की जांच होगी.

रेलवे स्टेशनों पर जीआरपी, आरपीएफ नज़र रखेगी.

मिसइन्फ़ॉर्मेशन

वोटरों को प्रभावित करने के लिए किसी तरह की भ्रामक जानकारी फैलने से रोकना. भ्रामक जानकारी वाले सोशल मीडिया पोस्ट, पोस्टर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.

सोशल मीडिया में किसी भी आलोचना करने की पूरी आज़ादी है मगर आप फेक न्यूज़ नहीं फैला सकते क्योंकि इससे अव्यवस्था पैदा हो सकती है.

आईटी एक्ट की धाराओं के तहत प्रशासन आपत्तिजनK पोस्ट हटाने को कह सकता है. चुनाव आयोग तथ्यों की जांच करेगा, वेबसाइट पर भ्रामक बनाम वास्तविकता बताएंगे.

आचार संहिता का उल्लंघन

चुनाव मुद्दे पर आधारित होने चाहिए, न कि विभाजन पैदा करने वाला, निजी जीवन पर हमले न हों, धार्मिक और नफ़रत वाले भाषण नहीं देने चाहिए.

समाचार की तरह पेश किए गए विज्ञापन नहीं चलेंगे.

बच्चों का इस्तेमाल चुनावों में न किया जाए. विकलांग लोगों के प्रति अपशब्द न बोलें.

 

मुख्य लड़ाई एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच

सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा 80 सीटें हैं, जबकि महाराष्ट्र में 48, पश्चिम बंगाल में 42, बिहार में 40 और तमिलनाडु में 39 सीटें हैं.

इस चुनाव में छह राष्ट्रीय पार्टियाँ- भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, सीपीएम, बहुजन समाज पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (उत्तर पूर्व में पीए संगमा की बनाई पार्टी, जो राष्ट्रीय पार्टी का स्टेटस हासिल करने वाली उत्तर पूर्व की पहली पार्टी है) और आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में हैं.

लेकिन यह चुनाव मुख्य तौर पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ ब्लॉक गठबंधन के बीच है.

एनडीए गठबंधन नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ तीसरी बार चुनाव मैदान में होगी, जबकि इंडिया ब्लॉक की ओर से किसी चेहरे पर अब तक सहमति नहीं बनी है.

राष्ट्रीय पार्टियों में बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर सभी दल किसी ना किसी गठबंधन का हिस्सा हैं.

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए में पीए संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड, चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, अजित पवार की एनसीपी, जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल और एचडी देवगौड़ा के जनता दल (एस) सहित कई छोटे बड़े दल शामिल हैं.

जबकि इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के अलावा वामपंथी दल, लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, स्टालिन की डीएमके, हेमंत सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना, शरद पवार गुट की एनसीपी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सहित क़रीब दो दर्जन पार्टियां शामिल हैं.

हालाँकि, स्पष्ट तौर पर अब तक ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के किसी गठबंधन में शामिल होने की घोषणा नहीं हुई है.

 

 

17वीं लोकसभा में जो कुछ हुआ था

17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में क़रीब 90 करोड़ लोग मतदाता सूची में शामिल थे. 2014 के आम चुनाव की तुलना में आठ करोड़ 43 लाख नए मतदाताओं को मताधिकार का इस्तेमाल करने का मौक़ा मिला था.

हालाँकि चुनावी प्रक्रिया में क़रीब 69.40 करोड़ मतदाताओं ने हिस्सा लिया था, जिनमें 45 प्रतिशत वोट एनडीए गठबंधन को हासिल हुए थे और क़रीब 26 प्रतिशत वोट कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन को हासिल हुआ थे.

पिछले चुनाव में 10 लाख पोलिंग बूथों पर मतदान हुआ था और पहली बार हर पोलिंग बूथ पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था.

इतना ही नहीं, पहली बार 1950 टोल फ़्री नंबर पर वोटिंग लिस्ट से जुड़ी जानकारी लेने की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी.

17वीं लोकसभा की सबसे ख़ास बात यह थी कि 78 महिलाएँ लोकसभा में पहुँचने में कामयाब रही थीं, यह आज़ादी के बाद किसी लोकसभा में महिला सदस्यों की सबसे बड़ी संख्या थी.

इसके अलावा 2019 में, 267 सदस्य पहली बार लोकसभा सदस्य बने थे.

475 सांसदों की संपत्ति एक करोड़ रुपये से ज़्यादा थी. वहीं, 17वीं लोकसभा के सांसदों की औसत संपत्ति 20 करोड़ रुपए से ज़्यादा आंकी गई थी.

17वीं लोकसभा के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के ओम बिड़ला थे. हालाँकि, इस लोकसभा के दौरान संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहुत ज़्यादा बहस देखने को नहीं मिली.

17वीं लोकसभा के दौरान केवल 16 प्रतिशत विधेयकों को संसदीय समिति के पास रेफ़र किया गया जबकि आधे से ज़्यादा विधेयकों को दो घंटे से कम चर्चा में पास कर दिया गया.

ग़ैर सरकारी संगठन पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक़ 17वीं लोकसभा के दौरान प्रत्येक साल औसतन 55 दिन ही संसद चली.

मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर कई सांसदों को निलंबित किए जाने के अलावा 12 दिसंबर, 2023 को संसद की सुरक्षा में चूक का मामला भी सामने आया था, जब दो लोग विज़िटर गैलरी से चैंबर के भीतर कूद कर पहुँच गए थे.

2019 में कितने चरण में हुआ था चुनाव

इससे पहले 17वीं लोकसभा के गठन के लिए भारत में 11 अप्रैल, 2019 से 19 मई, 2019 के बीच सात चरणों में मतदान कराए गए थे.

इस चुनाव में तीन बड़े राज्यों, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में सभी सात चरणों में मतदान कराए गए थे.

2019 में चुनावी नतीजे 23 मई को घोषित किए गए थे, जिनमें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने कुल 353 सीटें हासिल की थीं.

भारतीय जनता पार्टी ने अकेले ही 303 सीटें हासिल की थीं, जबकि कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं. कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन को 92 सीटें हासिल हुई थीं.

 

लोकसभा की कितनी सीटों पर चुनाव

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 83 के मुताबिक़ लोकसभा का चुनाव प्रत्येक पाँच साल में होना चाहिए.

संविधान के मुताबिक़ लोकसभा सीटों की अधिकतम संख्या 552 हो सकती है.

फ़िलहाल लोकसभा सीटों की संख्या 545 है, जिनमें से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 543 सीटों के लिए आम चुनाव होते हैं.

इनके अलावा अगर राष्ट्रपति को लगता है कि एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों का लोकसभा में प्रतिनिधित्व काफ़ी नहीं है तो वह दो लोगों को नामांकित भी कर सकते हैं.

कुल सीटों में से 131 लोकसभा सीटें रिज़र्व होती हैं. इन 131 में अनुसूचित जाति के लिए 84 और अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें रिज़र्व हैं.

यानी इन सीटों पर कोई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं.

किस पार्टी की बनती है सरकार

किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए कम से कम 272 सीटें चाहिए होती हैं. अगर बहुमत से कुछ सीटें कम भी पड़ जाएं तो दूसरे दलों के साथ गठबंधन करके भी सरकार बनाई जा सकती है. राजनीतिक दलों का गठबंधन चुनाव से पहले भी हो सकता है और नतीजों के बाद भी.

लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद लेने के लिए विपक्षी पार्टी के पास कम से कम कुल सीटों की 10 फ़ीसदी संख्या होनी चाहिए यानी 55 सीटें. 2014 के आम चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को सिर्फ़ 44 सीटें ही मिल पाई थीं. 2019 में भी कांग्रेस 55 सीटें हासिल नहीं कर सकी थीं. लेकिन उसका प्रदर्शन 2014 की तुलना में बेहतर रहा था.

भारतीय चुनाव प्रक्रिया किस मॉडल पर आधारित है

भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ब्रितानी वेस्टमिन्स्टर मॉडल पर आधारित है.

ब्रिटेन में आम चुनाव के लिए एक ही दिन मतदान होता है, शाम होते-होते एग्ज़िट पोल आ जाते हैं और रातों-रात मतगणना करके अगली सुबह तक लोगों को चुनाव नतीजे भी मिल जाते हैं.

लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता है.

मतदान के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए इतने बड़े देश में कई चरणों में मतदान कराए जाते हैं. हर चरण के मतदान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम को मतगणना तक सुरक्षित रखा जाता है.

चुनाव आयोग के निर्देशानुसार अंतिम चरण का मतदान समाप्त होने के बाद एग्ज़िट पोल प्रसारित हो सकते हैं.

उसके भी कुछ दिन बाद मतगणना सुबह से शुरू होती है.

पहले जब मतपत्रों से चुनाव होते थे तब रुझान आने में शाम हो जाती थी और नतीजे साफ़ होते-होते काफ़ी वक़्त लगता था, लेकिन अब ईवीएम के चलते दोपहर तक रुझान स्पष्ट हो जाते हैं और शाम तक नतीजे पता चल जाते हैं.