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हमास-इस्राईल जंग के 71वे दिन की ख़बरें : इसराइल को पहुंचा गहरा सदमा, नेतन्याहू के आवास पर इस्राईली जनता ने की चढ़ाई : रिपोर्ट

 

ग़ज़ा पट्टी में दिन का सही-सलामत ख़त्म होना और रात में ज़िंदा बचे रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है.

ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने वाले संयुक्त राष्ट्र की मुख्य एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए के प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी ने लिखा है, “फ़लस्तीनी लोगों की सुरक्षा की गुहार के बीच न ख़त्म होने वाली और गहराती त्रासदी ने इसे ‘धरती पर नर्क’ बना दिया है.”

हमास ने जिन लोगों को बंधक बनाया है, उनके परिवारों के लिए भी यह उतना ही दर्दनाक होगा.

जंग एक क्रूर भट्टी है जिसमें इंसान भयानक यातना से गुजरता है. लेकिन इसका ताप एक ऐसा बदलाव पैदा कर सकता है, जो पहले असंभव-सा लग सकता था.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी यूरोप में ऐसा घटित हुआ. सदियों तक एक दूसरे की हत्या करने वाले दुश्मनों ने शांति का रास्ता चुना.

क्या ग़ज़ा की जंग से इसराइली और फ़लस्तीनी लोगों के बीच एक सदी पुराने संघर्ष का अंत होगा, जो कि जॉर्डन नदी और भूमध्य सागर के बीच की ज़मीन के लिए अभी तक जारी है?

मोहम्मद अबू शार की विधवा: जगह- रफ़ाह

मैं एक वीडियो देख रहा था जिसमें एक महिला अपने पति मोहम्मद अबू शार के सामने बैठी शोक मना रही थी.

इसराइल और मिस्र पत्रकारों को ग़ज़ा में घुसने नहीं दे रहे हैं, इसलिए मैं उनसे मिल नहीं सका. मुझे उनका नाम भी नहीं पता चल सका.

वीडियो में ऐसा लगता है कि उस महिला को उम्मीद है कि उनके शोक और दुख की ताक़त शायद उनके पति को वापस लौटा दे.

वो कहती हैं, “हमने साथ मरने का वादा किया था. तुम चले गए और मुझे अकेला छोड़ गये. अब हम क्या करें, या खुदा ? मोहम्मद, उठो! मेरे प्रिय, खुदा के लिए, मैं क़सम खाती हूं, मैं तुम्हें प्यार करती हूं. खुदा के लिए उठो. हमारे बच्चे नूर और अबूद यहां तुम्हारे साथ हैं. उठो.”

दोनों बच्चे अपने पिता के साथ थे, क्योंकि इसराइल ने उन तीनों को अभी अभी मार डाला था. रफ़ाह में जिस घर को वे सुरक्षित समझ रहे थे, वो हवाई हमले में ज़मींदोज़ हो गया.

योनातन ज़ीगेन: जगह- तेल अवीव

मैं तेल अवीव में योनातन ज़ीगेन के फ्लैट पर गया था. यह एक आरामदायक घर था, जिसमें बच्चों के खिलौने थे.

उनके पारिवारिक फ़ोटो में उनकी मां, विवियन सिल्वर, की तस्वीर को पहचान गया. वो फ़लस्तीनियों के साथ शांति स्थापित करने की मुहिम का प्रमुख चेहरा थीं.

सात अक्टूबर को हमास के हमले के दौरान विवियन किबुत्ज़ बेरी में अपने परिवार के घर पर थीं, जोकि ग़ज़ा से सटा हुआ है.

इस हमले के कई दिनों बाद जब मैं पहली बार योनातन से मिला तो उन्हें उम्मीद थी कि उनकी मां को बंधक बनाकर ग़ज़ा ले जाया गया था.

सात अक्टूबर को जब तेल अवीव में हवाई हमले के सायरन बजे तो उन्होंने फ़ोन किया और फिर व्हाट्सऐप पर लिखकर बात की. पहले लगा कि वो बच जाएंगी, जब उन्हें लगा कि कत्लेआम हो रहा है, उन्होंने लिखा, “वे घर के अंदर हैं, अब गुडबॉय कहने का समय आ गया है.”

योनातन ज़ीगेन कहते हैं, “मैंने लिखा- आई लव यू मॉम. क्या कहूं, मैं तुम्हारे साथ हूं. उन्होंने जवाब दिया- मैं तुम्हें महसूस कर रही हूं. यह अंतिम मैसेज था.”

अगले दिन किबुत्ज़ में उनके घर गया, वो पूरी तरह जल गया था. विवियन सिल्वर के अवशेष पता लगाने में जांचकर्ताओं को हफ़्तों लगे. योनातन ने शांति की मुहिम चलाने के लिए अपना करियर छोड़ दिया था.

वो कहते हैं, “वे मेरे देश में आए और मेरी मां को मार डाला क्योंकि हमारे पास शांति नहीं थी. इसलिए मुझे लगता है कि हमें शांति की ज़रूरत है. मेरा मानना है कि यह एक बेहतर भविष्य की ओर जा सकता है.”

इसा आमरो: जगह- वेस्ट बैंक

इसा आमरो, वेस्ट बैंक के हेब्रों में एक फ़लस्तीनी एक्टिविस्ट हैं. यह शहर मुसलमानों के लिए पवित्र है और यहूदियों के लिए भी, जो मानते हैं कि पैगम्बर अब्राहम को यहीं दफ़नाया गया था.

यह दशकों से टकराव का कारण रहा है.

हेब्रों में इसा जाना पहचाना चेहरा हैं और इसराइली सैनिक उन्हें परेशानी पैदा करने वाला मानते हैं.

इसराइली सेना ने शहर के केंद्र में मौजूद यहूदी बस्तियों के पास रहने वाले फ़लस्तीनी इलाक़ों में कर्फ़्यू लगा रखा है.

इसा ने बताया कि सात अक्टूबर के हमले के बाद उन्होंने हिरासत में ले लिया गया और पीटा गया.

हालांकि शांति का रास्ता लंबा लग सकता है और इसके पहले बहुत से लोग मारे जाएंगे, लेकिन हर जंग की तरह यह दौर भी ख़त्म होगा.

2007 में जबसे हमास का ग़ज़ा पर नियंत्रण हुआ, हर युद्ध एक युद्ध विराम समझौते से ख़त्म हुआ.

हर समझौता ऐसे पेंच के साथ हुआ जिससे इसराइल और हमास के बीच अगले युद्ध का होना तय था. क्योंकि एक सदी पुराने संघर्ष को हमेशा के लिए ख़त्म करने के लिए कोई गंभीर कोशिश नहीं हुई.

कैसे होगा समझौता?

इस जंग में हत्या और विनाश का आलम ये है कि कोई ये नहीं मान सकता कि किसी तरह की शांति वापस आएगी. इस बार स्थिति भिन्न है. इस बात को तो फ़लस्तीनी और इसराइल के साथ साथ इस मुद्दे से जुड़ी शक्तियां भी मान चुकी हैं.

युद्धविराम के बाद क्या होगा, इस बात को लेकर, इसराइली सरकार अपने सबसे अहम सहयोगी अमेरिका से कूटनीतिक टकराव मोल ले रही है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ग़ज़ा पर ‘अंधाधुंध बमबारी’ के लिए इसराइल की आलोचना की है. फिर भी उनका इसराइल को समर्थन जारी है. वो उसे हथियारों और विस्फोटकों से भरे विमान भेज रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्ध विराम प्रस्ताव पर वीटो कर रहे हैं.

इसके बदले में जो बाइडन चाहते हैं कि इसराइल स्वतंत्र फ़लस्तीनी राज्य को लेकर वार्ता करने की बात मान जाए.

ओस्लो शांति प्रक्रिया का यही मकसद था, जोकि सालों तक चली वार्ता के बाद असफल हो चुका है.

हालांकि हमास पर जीत घोषित करने के बाद ग़ज़ा में कैसा शासन होगा, इस पर इसराइली पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू ने कुछ कहा नहीं है, लेकिन उन्होंने बाइडन की योजना को ख़ारिज कर दिया है.

अपने लंबे राजनीतिक करियर में नेतन्याहू ने स्वतंत्र फ़लस्तीनी राज्य का विरोध ही किया है.

नेतन्याहू का युद्ध के लिए ‘लक्ष्य’

इसराइल का लक्ष्य ‘संपूर्ण जीत’ और हमास के अंतिम जीवित व्यक्ति का सरेंडर है. नेतन्याहू का मानना है कि बंधकों को छुड़ाने का एकमात्र रास्ता हमास का सफाया है.

जब बाइडन ने आलोचना की, तो नेतन्याहू ने कहा, “मैं इसराइल को ओस्लो की ग़लती दुहराने नहीं दूंगा. हमारे नागरिकों और सैनिकों की महान कुर्बानी के बाद मैं ग़ज़ा में ऐसे किसी को घुसने नहीं दूंगा जो आतंकवाद की शिक्षा देता हो, उसे समर्थन करता हो और उसे आर्थिक मदद देता हो. ग़ज़ा न तो हमास्तान होगा न फ़तहस्तान होगा.”

फ़तहस्तान, फ़लस्तीनी प्राधिकरण का एक अपमानजनक संदर्भ है. फ़तह हमास का प्रतिद्वंद्वी है और इसराइल को मान्यता देता है और उसकी सेना के साथ सहयोग करता है.

इसराइल की घरेलू राजनीति भी नेतन्याहू के आकलन पर निर्भर है. ओपिनियन पोल में दिखता है कि हमास के हमले में ख़ुफ़िया और सुरक्षा असफलता के लिए अधिकांश इसराइली नेतन्याहू को दोषी मानते हैं.

फ़लस्तीनी ‘आत्मनिर्णय’ का घोर विरोध करके नेतन्याहू अपनी सरकार में मौजूद दक्षिणपंथी यहूदी राष्ट्रवादियों का भरोसा फिर से जीतने की कोशिश कर रहे हैं.

योनातन ज़ीगेन का कहना है कि उनकी शांति कार्यकर्ता मां ‘विवियन सिल्वर इस जंग को देख कर दुखी होतीं क्योंकि युद्ध और युद्ध को पैदा करते हैं. ‘

“उन्होंने कहा होता, प्लीज़ मेरे नाम पर जंग नहीं…लेकिन लगता है कि यह युद्ध अपने आप में कारण है, एक बदला है.”

इसराइली राजनीति में शांति का एजेंडा

योनातन को लगता है कि इसराइल के राजनीतिक एजेंडे में शांति के लिए एक नया मौका हो सकता है.

जब 2000 में ओस्लो शांति प्रक्रिया ठप हो गई उसके बाद फ़लस्तीनी हथियारबंद उभार के बाद शांति मुहिम चलाने वालों की साख जाती रही.

उसके बाद इसराइली राजनीति से फ़लस्तीन के साथ शांति का मुद्दा ग़ायब हो गया.

योनातन कहते हैं, “यह सही है कि आप इस बारे में एक शब्द नहीं बोल सकते थे. अब लोग इस बारे में बातें कर रहे हैं.”

इसा आमरो का कहना है कि सात अक्तूबर के बाद फ़लस्तीनी लोगों की ज़िंदगी और कठिन हो गई है.

वो कहते हैं, “यह बहुत बदतर हो गया है. दस गुना बदतर. अधिक से अधिक पाबंदियां, अधिक हिंसा, अधिक धमकी. लोग में असुरक्षा भर गई है. लोगों के पास खाना नहीं है. कोई सामाजिक ज़िंदगी नहीं बची है. न स्कूल, न किंडरगार्डेन और न कोई काम. पूरे इलाके में यह एक सामूहिक सज़ा है.”

जब हेब्रॉन में हम पैदल चल रहे थे, इसा और इसराइली सैनिकों के बीच कहासुनी हो गई. उनमें से एक नकाब पहने हुए था, उसकी सिर्फ आंखें दिख रही थीं, उसकी हाथ में राइफ़ल और बगल में पिस्टल थी. इसा कह रहे थे कि इस टकराव का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता. वो सैनिक बातचीत में शामिल हुआ लेकिन उ,ने अपना नाम नहीं बताया.

उसने कहा, “आप नहीं जानते कि इस तरह के पड़ोसी के साथ इसराइल में बड़ा होना कैसा है. समलैंगिक अधिकारों पर वे महिलाओं को पीटते हैं, मैंने अपनी आंखों से देखा है. अगर किसी से अफ़ेयर हो जाए तो वे अपनी बेटियों को मार डालते हैं. वे (फ़लस्तीनी) हिंसक हैं. मैं उन्हें जानता हूं, मैं उनके साथ रहता हूं. वे शांति नहीं चाहते. वे मुझसे नफ़रत करते हैं. मैं महसूस कर सकता हूं. वे क्या बात करते हैं, मैं जानता हूं. मैं उनसे बात नहीं करता.”

फ़लस्तीन की स्वतंत्रता अहम मुद्दा

सुरक्षित इसराइल के साथ स्वतंत्र फ़लस्तीनी राज्य के रूप में शांतिपूर्ण भविष्य का ख़्वाब बिना सतत कूटनीति, राजनीतिक इच्छा शक्ति और राजनीतिक दृढ़ता के संभव नहीं होगा, जिसकी वकालत अमेरिकी और ब्रिटिश भी करते हैं.

फ़लस्तीनियों और इसराइल के बीच अमेरिका ने ओस्लो संधि कराई थी, जो अब असफल हो चुकी है.

एक वरिष्ठ पश्चिमी राजयनिक के अनुसार, अगर दोबारा ऐसा मौका आता है तो पश्चिम एशिया में एक व्यापक बदलाव के पैकेज में फ़लस्तीन की स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा.

फ़लस्तीनी स्वतंत्रता के बदले सऊदी अरब इसराइल को मान्यता दे सकता है. जॉर्डन और मिस्र महत्वपूर्ण देश हैं, जिन्होंने इसराइल के साथ शांति बनाए रखी है. इसके बाद खाड़ी के सबसे धनी देश क़तर और यूएई आते हैं. सऊदी की तरह वे भी पश्चिम एशिया में शांति चाहते हैं.

इसका ख़ाका पहले से बना हुआ है. 20 साल पहले सऊदी अरब ने एक शांति योजना की पेशकश की थी जिसमें कहा गया था कि ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में स्वतंत्र फ़लस्तीनी राज्य, जिसकी राजधानी पूर्वी यरूशलम में होगी, के बदले अरब देश इसराइल को मान्यता देंगे.

अमेरिका मध्यस्थता कर सकता है लेकिन…

इसराइल और कुछ अरब देशों के बीच मौजूदा अब्राहम संधि को विस्तारित करते हुए इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ा जा सकता है.

यह महत्वाकांक्षी विचार है, लेकिन यह तभी होगा जब फ़लस्तीन और इसराइल में इस योजना को मानने वाला नया नेतृत्व नहीं होगा.

अमेरिकी मध्यस्थता कर सकते हैं, लेकिन अभी उन्हें संतुलित रुख़ अपनाना होगा, जोकि पहले उन्होंने कभी नहीं किया.

दोनों पक्षों को तकलीफ़देह समझौते करने पड़ेंगे, ख़ासकर इलाक़ों को लेकर.

1995 में यहूदी चरमपंथियों ने इसराइली प्रधानमंत्री यित्ज़ाक रॉबिन की हत्या कर दी थी क्योंकि उन्होंने फ़लस्तीनियों के साथ शांति की कोशिश की थी.

एक इस्लामी चरमपंथी ने मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या कर दी क्योंकि उन्होंने इसराइल के साथ शांति समझौता किया था.

ग़ज़ा में जंग को जल्द से जल्द ख़त्म होना ही होगा. अगर यह जंग फैली तो भयावह स्थिति पैदा होगी जिसमें फ़लस्तीनी जनता मिस्र की सीमा में घुस सकती है क्योंकि इसराइली टैंक क़रीब हैं और इसराइल और हिज़्बुल्ला के बीच बड़े पैमाने पर जंग छिड़ जाएगी.

शांति का मौका पैदा करने के लिए बहुत किए जाने की ज़रूरत है. और ऐसा बहुत कुछ ग़लत पहले से हो चुका है जिससे शांति असंभव भी हो सकती है.

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जेरेमी बोवेन
पदनाम,बीबीसी इंटरनेशनल एडिटर, यरूशलम

ग़ज़ा में जारी तबाही, इसराइल में क्या माहौल और हमास का कितना ख़ौफ़?

इसराइल में छुट्टियां चल रही हैं. स्कूल बंद हैं और जंग के मैदान से दूर के इलाकों में शॉपिंग सेंटर भरे हुए हैं. केक की दुकानें डोनट सजी हुई हैं, जिसे यहूदी इस समय चल रहे धार्मिक उत्सव हानुका के दौरान खाना बेहद पसंद करते हैं.

लेकिन जैसे ही आप उस इलाके की ओर बढ़ेंगे जिस ओर जंग चल रही है, मंज़र बदलने लगता है.

ग़ज़ा से सटी सीमा के इलाक़े, जिसे इसराइली “एनवलप” कहते हैं, वहां टैंकों और सैनिकों की गहमागहमी है, यहां नागरिक न के बराबर दिखते हैं और यह बिल्कुल जंग के मैदान सा लगता है.

उत्तर में लेबनान से लगती सीमा के पास बसाहटों से लोगों को खाली करा लिया गया है और सेना ईरान के सबसे मजबूत सहयोगी हिज़्बुल्लाह के साथ गोलीबारी में व्यस्त है.

लेकिन अचानक पहुंचे लोगों को ये गल़तफ़हमी हो सकती है कि इसराइल के मध्य यरूशलम से तेल अवीव तक के विस्तृत इलाक़े में ज़िंदगी किसी तरह ‘पटरी पर’ लौट आई है.

जब मैं तेल अवीव की ओर रवाना हुआ तो मुझे लगा कि ये धारणा बनाना कितना ग़लत होगा.

उस इलाक़े की जद में पहुंचते ही हवाई हमले के सायरन सुनाई देने लगे और हर इसराइली के फ़ोन में मौजूद रेड अलर्ट ऐप से चेतावनी आ गई. कारें इमरजेंसी लेन में तेज़ी से रुक गईं ताकि लोग ‘कवर’ ले सकें.

कई कार चालकों ने इस इलाक़े से जल्द से जल्द बाहर निकलने के लिए अपनी रफ़्तार को बढ़ा दिया.

इसी कन्फ़्यूज़न में तीन कारें एक दूसरे से भिड़ गईं.

महिलाओं का एक ग्रुप कार से निकला और उन्होंने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया, वे डरी हुई दिख रही थीं. हमने अपनी कार रोक ली.

आसमान में ग़ज़ा से आने वाले रॉकेट को मार गिराने के लिये एंटी मिसाइल सिस्टम ‘ऑयरन डोम’ के रॉकेट आसमान में धुएं की लकीर बना रहे थे. गहरे नीले आसमान में चारों ओर धमाके हो रहे थे, अधिकांश रॉकेट को मार गिराया गया था.

हाईवे से कुछ ही दूरी पर होलोन में एक आदमी घायल हो गया था.

इसराइल का गहरा सदमा
ये तथ्य कि हमास अभी भी इसराइल पर हमला कर सकता है, इस बात का सबूत है कि उसे अभी हराया नहीं गया है.

कार सवारों की प्रतिक्रिया से वो गहरा सदमा साफ़ दिखता है जो इसराइल पर हमास के हमले से पैदा हुआ था. यह बिना शक हमास के नेताओं के लिए एक बढ़िया ख़बर है, जो ग़ज़ा के नीचे किसी सुरंग में हैं, ऐसा इसराइल का मानना है.

तेल अवीव में एक रिटायर्ड मेजर जनरल एमोस याल्दिन, जो इसराइल के रक्षा मंत्रालय में काम करते हैं, उन्होंने साक्षात्कार से पहले कहा था, “सबसे पहले तो, सात अक्टूबर के पहले के इसराइल के बारे में जो कुछ आप जानते थे, वो सब भूल जाइए.”

याल्दिन एक वेटरन फ़ाइटर पायलट थे, जो इसराइली मिलिटरी इंटेलिजेंस के प्रमुख के तौर पर रिटायर हुए.

हमने उनका साक्षात्कार लेने का फैसला किया ताकि इसराइल की युद्ध की रणनीति के बारे में एक तस्वीर मिल सके.

अंत में उन्होंने जो कुछ कहा था, वो उतना ही दिलचस्प था, जितना इसराइल की मनोदशा के बारे में कहा गया था.

द्वितीय विश्व युद्ध से तुलना…

याल्दिन ने हमास के ख़िलाफ़ इसराइल के युद्ध की तुलना बार बार द्वितीय विश्व युद्ध से की.

वो ग़ज़ा पट्टी में इसराइल द्वारा बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी नागरिकों की हत्याओं को सही ठहरा रहे थे और तर्क दे रहे थे कि इसराइल के वजूद के लिए हमास का ख़ात्मा ज़रूरी है.

1945 में रॉयल एयर फ़ोर्स द्वारा जर्मनी के ड्रेस्डेन की तबाही का ज़िक्र करते हुए याल्दिन ने कहा, “आपने ड्रेस्डेन पर बमबारी की जिसमें एक लाख 20,000 लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे थे. हम इस दुहरे नुकसान से बचने की कोशिश कर रहे हैं. हम उन्हें जाने को कहते हैं. हम उन्हें ग़ज़ा के दक्षिणी हिस्से की ओर जाने को कहते हैं.”

मैंने उन्हें याद दिलाया कि इसराल उन इलाकों पर बम बरसा रहा है जिसके बारे में उसने कहा था कि वहां फ़लस्तीनी सुरक्षित रहेंगे.

याल्दिन ने ज़ोर देकर कहा कि इसराइल हमास पर बमबारी कर रहा है, नागरिकों पर नहीं.

“नहीं, हमने उन पर बमबारी नहीं की. हमने हमास के ठिकानों पर बमबारी की. केवल हमास निशाना बनाता है और हमास उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करता है.”

उन्होंने अमेरिका में बाइडेन प्रशासन की उस आलोचना को ख़ारिज़ कर दिया जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि इसराइल ने ‘बहुत अधिक’ फ़लस्तीनी नागरिकों को मारा है.

उन्होंने कहा कि इसराइल नागरिक क्षति को कम करने को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन से अधिक सतर्क रहा है, जब उन्होंने सीरिया और इराक़ में जिहादी ग्रुपों पर बमबारी की थी.

इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान की जंग में शामिल रहे पूर्व जनरलों की ओर से उनकी इस व्याख्या की पुष्टि नहीं की गई है.

एक वरिष्ठ ब्रितानी अफ़सर ने मुझे बताया कि नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करने के जंग के नियमों के प्रति इसराइल के तिरस्कार से वो बहुत दुखी थे.

उन्होंने कहा कि ब्रिटिश आर्मी में इसकी इजाज़त नहीं होगी.

इसराइल को अभी और वक़्त चाहिए…
एमोस याल्दिन इसराइली सेना में अपने उत्तराधिकारियों को अभी भी सलाह देते हैं. याल्दिन का मानना है कि ग़ज़ा में अपने महत्वाकांक्षी मकसद को हासिल करने के लिए इसराइल को और अधिक समय की ज़रूरत है.

इसराइल अपने बंधकों को छुड़ाना चाहता है, हमास के नेताओं को मारना चाहता है और इसराइलियों के लिए ख़तरा पैदा करने वाले एक सैन्य संगठन के रूप में हमास का सफ़ाया करना चाहता है और शासन करने की उसकी क्षमता नष्ट कर देना चाहता है.

मैंने कहा कि हाल ही में युद्ध विराम के प्रस्ताव को हालांकि अमेरिका ने वीटो कर दिया है, तो क्या यह संकेत है कि इसराइल जो चाहता था उसे पूरा करने के लिए महीनों न सही, कुछ हफ़्ते बचे हैं.

याल्दिन ने कहा, “लक्ष्य हासिल करने के लिए ये पर्याप्त नहीं है. बाकी बचे बंधकों की वापसी के बिना अगर युद्ध विराम होता है तो, कोई युद्ध विराम नहीं होगा.”

इसराइल के पास बहुत ताक़तवर सेना है और अमेरिका का समर्थन भी हासिल है.

वो गहरे विश्वास के साथ मान रहा है कि हमास के सफ़ाए के लिए ग़ज़ा को तबाह करने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है.

लेकिन जिस तरह उसने 18,000 से अधिक फ़लस्तीनियों को मार डाला, जिसमें शायद आधे बच्चे हैं, उसके सहयोगी और आलोचक हैरान हैं.

इसराइल को ये भी पता चल गया है कि जैसा अमेरिका और बाकियों ने भी चेताया था, एक ख़ास इलाक़े में दृढ़ प्रतिज्ञ और तैयार दुश्मन से लड़ना कठिन सैन्य कार्रवाईयों में से एक है.

हालांकि एमोस याल्दिन ने संकेत दिया कि आलोचनाओं के बीच इसराइली अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगे बढ़ते रहेंगे.

इसके बाद ग़ज़ा के पुनर्निर्माण और शासन का पेचीदा मुद्दा आता है.

याल्दिन ने कहा, “ग़ज़ा में इसराइल बहुत लंबे समय तक कब्जा नहीं रखेगा, लेकिन अगर निकट भविष्य में भी ग़ज़ा पट्टी को नियंत्रित करने का मौजूदा नेतृत्व का संकल्प नहीं बदलता है, तो कब्ज़ा तय दिखता है.”

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जेरेमी बोवेन
पदनाम,बीबीसी इंटरनेशनल एडिटर, यरूशलम

Jackson Hinkle 🇺🇸
@jacksonhinklle

🚨🇮🇱 The ISRAELI hostages that the ISRAELI military shot and killed were shirtless and waving a white flag the moment they were fired upon!

The Jerusalem Post
@Jerusalem_Post

BREAKING: Israel’s war cabinet is set to convene on Saturday evening to discuss a reported deal to rescue more hostages from Gaza captivity.

@Misra_Amaresh
@misra_amaresh
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1. 5-12-2023 को #Hamas/resistance ने #KhanYunis मे 3 Merkava टैंक उड़ाये, #IDF troop carrier पर हमला कर सैनिकों को मारा और उनके हथियार जप्त किये।
गिनते जाईये: पहले video मे 3 #Israeli tank उड़ाये!

#Yemen HITS #Israel DIRECTLY!

Yemeni Armed Forces, carried out a military operation against #Israeli targets in the Umm Al-Rashrash area (Eilat), South Israel.

Significant material damage is reported.


कैसे #Israel अपने ही लोगों को मारता है!

प्रारंभिक #IDF जांच से पता चला है कि कल शुजैया में IDF द्वारा मारे गए 3 #Israeli जब उस इमारत के पास पहुंचे, जहां सेना तैनात थी, तो उन्होंने सफेद झंडे लहराए। पर IDF जवानों ने उन्हें शत्रु समझा और गोलीबारी की। जिसके परिणामस्वरूप 2 लोग तत्काल घायल हो गए।

तीसरा, घायल होकर, इमारत में भाग गया, फिर Hebrew में चिल्लाते हुए वापस आया, “हमें बचाओ।” IDF ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे वह मारा गया।

@netanyahu
द्वारा किये जा रहे नरसंहार के प्रति हमे अभी तक आदी होना जा चाहिए था। लेकिन 12 नवजात बच्चे #Gaza, कमल अदवान अस्पताल के अंदर फंसे हुए हैं। #इजरायली सैनिक भोजन, पानी या दवाइयाँ उन तक नही पहुंचने दे रहे। मै फिर से shocked हूं।

@KKhanabadosh
“I lost my hand, my father was injured, my grandfather, grandmother, and Beso were martyred. I wish to have an artificial hand.

Alaa (7), has been injured twice, once in northern of #Gaza by #Israeli shelling that targeted her home and once again in #Al_Nuseirat camp. Two members of her family were killed in the first attack in Al-Nuseirat camp. Her hand has been amputated, and she suffers from other injuries.

Her father, Ahmed, is also at risk of having his hand amputated. Her family urgently appeals to the world to help her to travel abroad with her father for treatment.