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50 साल की उम्र के बाद जब आप अकेले होते हैं, तब…

सुहागरात को पत्नी के साथ सम्भोग का सुख प्राप्त करने की जितनी इच्छा लड़के की होती है उतनी ही लड़की की भी मेरी शादी सर्दियों के मौसम में, 4 जनवरी को हुई थी।उस समय ठंड इतनी कड़ाके की थी कि शादी का खाना भी जमकर पत्थर जैसा हो गया था। बिहार के रीति-रिवाज के अनुसार, हमारे यहां शादी के तुरंत बाद सुहागरात का प्रचलन नहीं होता। पहले कंगन छुड़ाई और बाकी रस्में पूरी की जाती हैं।

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शादी के सभी कार्यक्रम समाप्त होने के बाद, मेरे मायके से भेजा गया बेड और शानदार Dunlop का गद्दा हमारे कमरे में बिछाया गया। बेड पर फूलों से सजी सेज तैयार थी। वह घड़ी आ चुकी थी, जब मैं अपने पति के साथ अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने वाली थी।

रात के करीब 10 बजे का वक्त था। पूरा घर शांत था, मानो सुई गिरने की आवाज भी सुनाई दे। जैसे ही हम दोनों कमरे में आए और मैं अपने पति के करीब पहुंची, अचानक “चीबड़-चीबड़” जैसी अजीब आवाजें आने लगीं। पहले तो समझ नहीं आया कि यह क्या हो रहा है। जब ध्यान दिया तो पता चला कि गद्दे पर से पन्नी हटाई ही नहीं गई थी!

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इस आवाज ने हमें असहज कर दिया। हमारे मन में यही ख्याल था कि अगर यह आवाज बाहर तक सुनाई दी, तो लोग क्या सोचेंगे? पूरी रात हम बस लेटे रहे। न कुछ कह पा रहे थे, न कुछ कर पा रहे थे।
रात के करीब 3 बजे लगा कि अब सभी घरवाले गहरी नींद में होंगे। हमने सोचा, यह सही वक्त है। जैसे ही हमने शुरुआत करने की कोशिश की, दरवाजे के बाहर से भाभी की आवाज आई, “सो जाइए, पूरी जिंदगी पड़ी है। बाहर तक सब सुनाई दे रहा है।”

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मैं शर्म से लाल हो गई। पति की ओर देखा और चुपचाप अपनी जगह पर लेट गई। हमारी पहली रात गद्दे की पन्नी और भाभी की दखलअंदाजी की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो गई।
सुबह जब दरवाजा खोला, तो भाभी बाहर खड़ी मुस्कुरा रही थीं। उनकी मुस्कान साफ बता रही थी कि वे सब समझ चुकी हैं। मैं झेंपते हुए मुस्कुराई, लेकिन मन में यही सोच रही थी कि “जिसके लिए ये मुस्कुरा रही हैं, वो तो कुछ हुआ ही नहीं।”

इस तरह, मेरी पहली रात एक मजेदार और यादगार किस्सा बन गई। आज भी जब इस घटना को याद करती हूं, तो हंसी रोक पाना मुश्किल हो जाता है। 😄

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लड़की के शहर में जब जवानी उफान मारती है, तो उसके अनादर तीव्र संभोग की इच्छा जागृत होती है, और हर वो लड़का या मर्द जो इसकी इस ज़रूरत को पूरा कर सकता है, लड़की उसकी तरह आकर्षित होती है, मेरे साथ भी ऐसा ही था, मेरा जीवन हमेशा से आसान नहीं रहा। बचपन में ही माता-पिता का साया सिर से उठ गया था। अनाथालय में पली-बढ़ी, मैंने जल्दी ही समझ लिया कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुझे खुद पर निर्भर रहना होगा। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने मुंबई के एक बड़े ऑफिस में नौकरी शुरू की। यहीं मेरी मुलाकात मानव से हुई।

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शुरुआत में हम केवल सहकर्मी थे। उसकी हंसी-मजाक और मदद करने की आदत मुझे भाने लगी। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहराने लगी। उसके साथ समय बिताना और उसकी बातों में खो जाना मेरी आदत बन गया। पता ही नहीं चला कि यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई।

कुछ समय बाद हमने शादी का फैसला कर लिया। मेरे पास कोई परिवार नहीं था, लेकिन मानव का परिवार मेरे लिए एक नई दुनिया जैसा था। मानव के बड़े भाई सोहम और उनकी पत्नी आरती घर की जिम्मेदारी संभालते थे। उनकी छोटी बहन राखी भी, जो शादीशुदा थी, समय-समय पर घर आती रहती थी।

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हमारी शादी बड़े धूमधाम से हुई। भैया-भाभी ने हर चीज इतनी अच्छे से संभाली कि मुझे अपने माता-पिता की कमी बिल्कुल महसूस नहीं हुई। शादी के बाद, जब मैंने इस घर में कदम रखा, तो मुझे लगा जैसे मैं किसी सपने में जी रही हूँ।

आरती भाभी मेरे लिए केवल जिठानी नहीं, बड़ी बहन जैसी थीं। उन्होंने मुझे हर छोटी-बड़ी बात सिखाई और हर मुश्किल वक्त में मेरे साथ खड़ी रहीं। सोहम भैया एक आदर्श बड़े भाई थे, जो हमेशा समझदारी और प्यार से सबकुछ संभालते थे।

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शादी के कुछ महीनों बाद आरती भाभी गर्भवती हुईं। मैंने उनका पूरा ध्यान रखा और हर संभव मदद की। जब उन्होंने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया, तो पूरे घर में खुशियों का माहौल छा गया। हमने उसका नाम ‘आदि’ रखा।

कुछ समय बाद, मुझे भी यह खुशी मिली कि मैं मां बनने वाली हूँ। मानव खुशी से फूला नहीं समा रहा था। लेकिन मेरे मन में मायके की कमी का दर्द था। डिलीवरी के बाद, जब मेरी बेटी का जन्म हुआ, तो सब बेहद खुश थे, लेकिन मुझे मायके की कमी खल रही थी।

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एक दिन मेरी उदासी देखकर आरती भाभी ने पूछा, “क्या हुआ रिचा? तुम बेटी होने से दुखी हो क्या?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं भाभी, मुझे तो बेटी ही चाहिए थी। पर आज मायके की कमी महसूस हो रही है। मेरा तो कोई मायका नहीं है।”

तभी दरवाजे से आवाज आई, “यह तुमने कैसे कह दिया?” मैंने पलटकर देखा, तो आरती की मम्मी ढेर सारे सामान और उपहारों के साथ खड़ी थीं। उन्होंने वह सब मेरे लिए भी लाया था, जो उन्होंने आरती के लिए किया था।

मेरी आँखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने मुझे गले लगाते हुए कहा, “मेरे लिए जैसे आरती है, वैसे ही तुम। खबरदार, अगर अब कभी कहा कि तुम्हारा कोई मायका नहीं है। यह घर हमेशा तुम्हारा मायका रहेगा।”

उस दिन मैंने समझा कि परिवार खून के रिश्तों से नहीं, बल्कि प्यार और अपनापन से बनता है। अब मेरी बेटी के साथ-साथ मुझे भी वह मायका मिल गया, जिसकी मुझे हमेशा से कमी थी।

यह कहानी सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है, जो अपने जीवन में सच्चे रिश्तों और प्यार की तलाश में हैं।

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Viral99

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पति की ज़रूरत सिर्फ़ संभोग सुख प्राप्त करने के लिए ही है, लेकिन आज के समय में उसके लिए भी उपाय बाज़ार में उपलब्ध है, यह वाक्य सुनते ही मेरे माता-पिता चिंतित हो जाते थे। मैं एक पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर महिला हूं, जिसे लगता है कि जीवन जीने के लिए किसी पति की ज़रूरत नहीं। लेकिन मेरे माता-पिता बार-बार मुझे समझाते थे कि शादी एक ज़रूरी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारी है। आखिरकार, मैंने अपने मनोचिकित्सक से इस विषय पर सलाह ली।

जब मैंने उनसे कहा, **”मुझे शादी नहीं करनी,”** तो उन्होंने हंसते हुए कहा, **”तुम जीवन में बहुत कुछ करोगी। लेकिन एक समय ऐसा भी आएगा, जब चीजें तुम्हारे मुताबिक़ नहीं होंगी। तुम्हें असफलता का सामना करना पड़ेगा, और तुम्हारी इच्छाएँ अधूरी रह जाएंगी। तब तुम किसे दोष दोगी? क्या तुम खुद को जिम्मेदार ठहराओगी?”**

मैंने तुरंत जवाब दिया, **”नहीं, कभी नहीं!”**

मनोचिकित्सक मुस्कुराए और बोले, **”इसीलिए तुम्हें एक पति की ज़रूरत है, ताकि तुम उसे दोष देकर खुद को अच्छा महसूस कर सको।”**

यह जवाब सुनकर मुझे हंसी भी आई और सोचने पर भी मजबूर कर दिया। उनकी मज़ाक भरी बात में गहराई छुपी थी। शादी और पति का जीवन में महत्व केवल दोष देने तक सीमित नहीं है। यह रिश्ता जीवनभर का साथ, सुरक्षा और एक स्थिरता प्रदान करता है।

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मुझे एहसास हुआ कि जवानी में भले ही शरीर आकर्षक हो, लोग आपके नखरे उठाते हों, और आपको “स्वतंत्र” महसूस होता हो। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ, जब शरीर की ऊर्जा और सुंदरता कम होने लगती है, तब जीवनसाथी और परिवार का महत्व समझ में आता है। 50 साल की उम्र के बाद, जब आप अकेले होते हैं, तब वह जीवनसाथी ही होता है, जो हर स्थिति में आपका साथ देता है।

पति-पत्नी का रिश्ता सिर्फ सामाजिक नियम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा बंधन है, जिसमें दोनों एक-दूसरे की ताकत और कमजोरी बनते हैं। यह रिश्ता जीवन की अनिश्चितताओं के बीच स्थिरता का एहसास देता है। पति न केवल आपकी रक्षा करता है बल्कि हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा रहता है।

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एक समय पर मैंने भी सोचा था कि मुझे शादी की जरूरत नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे समझ में आया कि प्यार और शादी का रिश्ता आत्मिक और भावनात्मक संतोष का जरिया बनता है। एक घर में एक साथ रहना, एक-दूसरे के साथ समय बिताना और एक बिस्तर पर सोना—इन अनुभवों से जो प्यार पनपता है, वह किसी और रिश्ते में नहीं मिलता।

मेरी कई दोस्त, जिन्होंने मेरी तरह शादी से बचने की कोशिश की थी, बाहर से खुश और आज़ाद दिखती थीं। लेकिन उनके अंदर का अकेलापन और असंतोष मैंने महसूस किया। समय के साथ, उन्होंने खुद माना कि शादी जीवन में एक स्थिरता और खुशी लेकर आती है।

इसलिए, मैंने अपने जीवन में शादी के महत्व को समझा और एक सही साथी के साथ अपना जीवन शुरू किया। शादी न केवल दो लोगों का मिलन है, बल्कि यह एक ऐसा रिश्ता है जो जीवनभर साथ चलता है। समय रहते शादी करना न केवल आपकी खुशी के लिए बल्कि जीवन के लंबे सफर को खूबसूरत बनाने के लिए भी जरूरी है।

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Pooja Sharma
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शारीरिक संबंध के दौरान फोरप्ले व आफ्टर प्ले से आप भी है अनजान
खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए कपल के बीच सेक्सुअल एक्टिविटी आवश्यक होती है सेक्स को कुछ लोग प्यार और प्रेम इजहार करने का तरीका मानते हैं, तो कुछ कहना है, यह बच्चे पैदा करने का साधन है. बहरहाल आप भी सेक्स की बुनियादी बातों से अनजान है,

तो नीचे पूरा लेख पढ़िये

अधिकतर महिलाओं की ये शिकायत होती है कि सेक्स के बाद पति उनकी तरफ ध्यान नहीं देते, जिससे उन्हें बहुत बुरा लगता है. उन्हें लगता है कि पति सिर्फ अपनी सेक्स संतुष्टि के बारे में सोचते हैं. दरअसल, इसमें पुरुषों की गलती नहीं होती. सेक्स को स्त्री और पुरुष दोनों अलग तरह से महसूस करते हैं. पुरुष के लिए सेक्स में शारीरिक भागीदारी ज्यादा मायने रखती है, जबकि स्त्री के लिए ये मन से जुड़ा रिश्ता होता है.

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पुरुष बिना प्यार के अपनी इच्छा से सेक्स कर सकता है, लेकिन स्त्री जब तक किसी पुरुष को मन से नहीं चाहेगी, वो सेक्स के लिए तैयार नहीं होगी. पुरुष सेक्स को तन से जोड़कर देखते हैं, लेकिन स्त्री के लिए मानसिक जुड़ाव ज्यादा जरूरी है, इसीलिए महिलाओं को सेक्स से पहले फोरप्ले और सेक्स के बाद आफ्टर प्ले की जरूरत होती है.

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सेक्स से पहले पति-पत्नी जब फोरप्ले करते हैं, एक दूसरे के बॉडी पार्ट्स को छूते हैं, किस करते हैं, तो इससे उनमें उत्तेजना बढ़ती है और वे शारीरिक संबंध को एंजॉय करते हैं. इसी तरह सेक्स के बाद स्त्री की इच्छा होती है कि पति कुछ पल उसके पास रहे, उसे छूए, प्यार करे. ऐसा करने से स्त्री को संतुष्टि मिलती है.

कई पुरुष अपनी बीवी से प्यार बहुत करते हैं, लेकिन उसकी शारीरिक जरूरतों को समझ नहीं पाते, जिसके कारण बिना गलती के पत्नी उन्हें दोषी मान लेती है. सेक्स को लेकर महिलाओं की क्या इच्छाएं और जरूरतें हैं, इसके बारे में उन्हें पति से बात जरूर करनी चाहिए. इससे पति आपके मन की बात समझ पाएंगे और आपकी सेक्स लाइफ और हेल्दी हो जाएगी.
यह एक सामान्य जानकारी है अगर आप किसी भी बीमारी से ग्रसित हैं या कोई भी परेशानी, कारण या लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो इन लक्षणों को नजर अंदाज न करें या इससे रीलेटेड कोई भी समस्या हो रहा है तो आपको हमसे से सलाह लेना चाहिए!

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Pooja Sharma
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पानी निकालने से कुछ नहीं होता औरत की जब तक सिसकियां ना निकले वो दर्द से बेचैन न हो जाए वो बार बार कहे कि दर्द हो रहा है धीरे-धीरे झटके दो, तब तक संभोग का मजा नहीं आता औरत की सिसकियां ही मर्द का जोश बढाती है और पानी तो तब निकलना चाहिए जब औरत को चरमसुख मिल जाये।