दिल्ली में शनिवार से जी20 शिखर सम्मेलन का आरंभ हो चुका है। यह सम्मेलन रविवार को समाप्त हो जाएगा। वहीं इस भव्य सम्मेलन में शामिल हो रहे विश्व भर के 19 देशों के नेताओं और अधिकारियों के शानदार स्वागत के लिए दिल्ली को बहुत ही सुंदरता से सजाया गया है। भारत के लिए यह लम्हा ऐतिहासिक है जब दुनिया के अमीर और विकासशील देशों के नेताओं का एक साथ जमावड़ा हो रहा है।
इस समय भारत में मौजूद विश्व भर के दिग्गज नेताओं की सूची बहुत लंबी है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रां और यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन जैसे नेता यूरोपीय संघ का प्रतिनिधितत्व करेंगे। चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, रूस से राष्ट्रपति पुतीन की जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव इस सम्मेलन में उपस्थित हैं। वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी इस शिखर सम्मेलन में अपना जलवा बिखेर रहे हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र से इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक-योल और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी भी जी-20 की बैठख में मौजूद हैं। जबकि तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोग़ान भी अपनी पत्नी के साथ इसम समय दिल्ली में मौजूद हैं। इसके अलावा भी इस संगठन के सदस्य देशों के नेता इस समय भारत के मेहमान हैं। वहीं भारत की अध्यक्षता में हो रही इस जी20 की बैठक के लिए मिस्र, मॉरिशस, ओमान, सिंगापुर, संयुक्त अरब इमारात और नीदरलैंड्स को विशेष निमंत्रण दिया गया है।
इतनी लंबी चौड़ी सूची के उल्लेख करने का उद्देश्य यह है कि आप समझ सकें कि इस समय भारत इस बैठक के आयोजन पर कितना भारी-भरकम पैसा ख़र्च कर रहा है। वैसे जब मेहमान ऐसे होंगे तो इतनी मोटी रक़म का ख़र्च होना भी स्वभाविक है। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि आख़िर इतने भव्यशाली आयोजन के बाद विश्व मंच पर भारत की स्थिति मज़बूत होगी? जानकारों का मानना है कि भारत इस आयोजन के साथ वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मज़बूत करने का इरादा रखता है और यह जताने की कोशिश कर रहा है कि विश्व की राजनीति में उसकी हैसियत हाल के वर्षों में बढ़ी है। दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और अपने लिए विश्व मंच पर चमकने के अवसर को खोना नहीं चाहते हैं। एक तथ्य यह भी है कि भारत दुनिया में तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और चीन के मुक़ाबले के लिए पश्चिमी देश भारत को एक मज़बूत साथी के तौर पर देखते हैं। वहीं भारत ने जी20 अध्यक्षता का विषय “वसुधैव कुटुम्बकम” या “एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य” दिया है। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन के साथ जारी भारत के तनाव की छाया के बीच हो रहे शिखर सम्मेलन में विश्व के अहम मुद्दों पर वार्ता के आगे बढ़ने की संभावना कम हो गई है। शी जिनपिंग का बिना कारण बताए नहीं आना दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
वहीं ग़रीबी, मंहगाई और बेरोज़गारी से जूझ रहे भारत पर इस आयोजन पर इतनी लागत लगाए जाने को लेकर कई अन्य प्रश्न भी किए जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस आयोजन से भारत को कोई फ़ायदा हो या न हो लेकिन मोदी की राजनीति ज़रूर चमकेगी। एक राजनीतिक टीकाकार का कहना है कि जी-20 का भव्य आयोजन भारत की प्रोफाइल को ऊपर उठाता है और जटिल वैश्विक मुद्दों के साथ भारत के बौद्धिक और राजनीतिक जुड़ाव की अनुमति देता है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यक्रम का इस्तेमाल तीसरी बार चुने जाने के लिए अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए भी करेंगे।” 2023-24 के बजट के मुताबिक़ सरकार ने जी20 की अध्यक्षता के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। वित्त मंत्री ने बजट के दौरान कहा था कि अध्यक्ष पद ने भारत को विश्व आर्थिक व्यवस्था में अपनी भूमिका मज़बूत करने का एक अनूठा अवसर दिया है।
जहां अध्यक्ष पद से संबंधित प्रत्यक्ष खर्चों के लिए बजट पेश किया गया है, वहीं सरकार ने भव्य शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली की तैयारी पर भी पैसा ख़र्च किया है। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा X पर पोस्ट किए गए एक दस्तावेज़ के मुताबिक जी20 शिख़र सम्मेलन के लिए दिल्ली में 4,100 करोड़ रुपये से अधिक ख़र्च किए गए। दस्तावेज़ के अनुसार यह राशि दिल्ली और केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा ख़र्च की गई है। वहीं जी20 के मौक़े पर प्रधानमंत्री मोदी का एक लेख भारत के प्रमुख अख़बारों में छपा। मोदी ने इस लेख में लिखा, “भारत के लिए जी20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी और मॉडल ऑफ डाइवर्सिटी के रूप में हमने इस अनुभव के दरवाज़े दुनिया के लिए खोल दिए हैं। आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है। जी20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है। यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है।”