नई दिल्ली: देश को सबसे अधिक फौजी व शहीद जवान देने वाली झुंझुनूं जिले के मलसीसर उपखण्ड की ग्राम पंचायत जाबासर को फौजियों की खान कहा जाता है। जाबासर ग्राम पंचायत के गांव हमीर खां का बास के सैनिक आरिफ खान को मगंलवार को राष्टपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में शौर्य चक्र देकर सम्मानित किया गया। आरिफ खान को शौर्य चक्र मिलने पर पूरे शेखावाटी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। बहादुर बेटे की इस उपलब्धि पर गांव हमीर खां बास के लोगों ने आतिशबाजी एवं एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जताई।
#PresidentKovind presents Shaurya Chakra to Sepoy Arif Khan, the Grenadiers Regiment, 55th Battalion, Rashtriya Rifles. He displayed exemplary courage and presence of mind during the operation against militants, resulting in elimination of one hardcore militant in Pulwama (J&K) pic.twitter.com/bZPDjvyGSn
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 27, 2018
18 मार्च 2017 की अलसुबह श्रीनगर के पुलवामा में एक मकान में आतंकी छुपे होने की सूचना पर घेराबंदी की गई थी। 16 ग्रेनेडियर के जवान आरिफ खान मकान पर निगाहें जमाए हुए थे। इसी दौरान मकान की खिड़की से कूद कर दो आतंकी भागे। आरिफ पर फायरिंग शुरू कर दी। जान की परवाह किए बगैर सिपाही आरिफ ने जवाबी फायरिंग करते हुए एक आतंकी को मार गिराया, दूसरे को पकड़ लिया गया। उसकी बाद में मौत हो गई। इसी बहादुरी के लिए सेना ने इस जांबाज का नाम शौर्य चक्र सम्मान पाने वालों में शामिल किया।
23 की उम्र में हासिल किया शौर्य चक्र
उपखण्ड क्षेत्र के हमीर खां का बास के सैनिक आरिफ खान 23 वर्ष की उम्र में शौर्य चक्र प्राप्त करने वाले क्षेत्र पहले सैनिक हैं। आरिफ खान का जन्म हमीर खां का बास में बाबू खां के घर जून 1994 में हुआ। हमीर खां का बास एवं जाबासर में प्रारम्भिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद मात्र 18 वर्ष की आयु में ही भारतीय सेना में चयन हुआ था।
आतंकवादी को मार गिराया था
18 मार्च 2017 को जम्मु कश्मीर-श्रीनगर के पुलमावा इलाके में हुई आतंकवादियों से मुठभेड़ में सैनिक आरिफ खान ने आतंकवादियों का बहादुरी से सामना करते हुए एक आंतकवादी को मार गिराया था। आरिफ की इस बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने उनका नाम शौर्य चक्र सम्मान पाने वालों में शामिल किया गया। शेखावाटी के लोग गर्व कहते हैं अंचल का फौजी बेटा आरिफ खान आतंकवादियों के लिए मौत का दूसरा नाम है।
आरिफ के परिवार के 12 लोग सेना में
आरिफ के परिवार के 12 सदस्य फिलहाल सेना में है। दादा यासिन खान ने सेना में ड्यूटी के दौरान 1965 व 1971 की लड़ाई लड़ी थी। परदादा भी सेना में थे। तीन भाई बहनों में सबसे बड़ा आरिफ बचपन से ही अपने दादा की तरह सेना में भर्ती होकर देश सेवा की सोचने लगा था।
अक्टूबर 2012 में आर्मी में भर्ती
आरिफ खान का मात्र 18 वर्ष की आयु मे ही भारतीय सेना में पांच अक्टुबर 2012 को 55 आरआर, 16 ग्रनेडियर में चयन हुआ था। उनके दादा यासीन खान भी आर्मी में रहकर देश सेवा कर चूके है।
गांव में मनाया जश्न
गांव के लाडले का शौर्य चक्र सम्मान मिलने के बाद हमीर खां का बास में खुशी का माहौल है। सैनिक आरिफ खांन के गांव में मिठाई बांटकर एवं आतिशबाजी कर जश्न मनाया गया। इस दौरान सरपंच फरजाना बानो, आजाद नबी खान, बाबु खान, सूबेदार अब्दुल हमीद खां, कप्तान खान, मोहम्मद खां, कप्तान इलियास खान, ईमरान खान एवं फरमान खान सहित काफी लोग उपस्थित थे।
पड़ोस के गांवों में भी सेना में जाने का जुनून
आज भी सेना में भर्ती होने का जुनून शेखावाटी के युवकों में है। शेखावाटी में भी धनूरी, जाबासर, मलसीसर, अलसीसर, पीथुसर, हमीर खां का बास में रोजाना सुबह बहुत से युवक सेना में भर्ती की तैयारी के लिए दौड़ लगाते हैं। यहां के कई पूर्व सैनिक इन्हें तैयारी करवाते हैं। हर साल उपखण्ड के युवा सेना में भर्ती होकर शेखावाटी की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं।