विशेष

100-200 साल बाद न सड़कें होंगी, न रेल पटरी और न रन वे…..कितने राफ़ेल बचे हैं ?

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
कितने राफेल बचे हैं ?
€1 मिलियन की दलाली पाने वाला दलाल कौन है?
✨✨✨✨✨
राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी dasault ने भारत के राफेल की गिनती के लिए अपनी आधिकारिक टीम भेजी है जिसे मोदी सरकार से अनुमति नहीं मिल रही है , समझदारों के लिए इशारा काफी है ।

राफेल सौदा: एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह

2016 में भारत और फ्रांस के बीच हुआ राफेल सौदा—36 लड़ाकू विमानों के लिए €7.87 बिलियन (लगभग ₹59,000 करोड़) का करार—राष्ट्रीय सुरक्षा का ढाल बनने के बजाय भ्रष्टाचार, पक्षपात, और पारदर्शिता की कमी के आरोपों में फंस गया।

Image

फ्रांस में जांच और भारत की चुप्पी

फ्रांस में जून 2021 से राफेल सौदे की जांच चल रही है। फ्रांसीसी राष्ट्रीय वित्तीय अभियोजक कार्यालय (PNF) भ्रष्टाचार, प्रभाव डालने, और धन शोधन के आरोपों की पड़ताल कर रहा है। मीडियापार्ट की खोजी रिपोर्ट्स बताती हैं कि दस्सो एविएशन ने मध्यस्थ सुशेन गुप्ता, जो अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में पहले से जांच के दायरे में हैं, को लाखों यूरो की “गुप्त कमीशन” दी। गुप्ता की कंपनी डेफसिस सॉल्यूशंस को 50 राफेल मॉडल बनाने के लिए €1 मिलियन का “उपहार” मिला, लेकिन फ्रांस की भ्रष्टाचार-निरोधी एजेंसी (AFA) को इन मॉडल्स का कोई सबूत नहीं मिला।

भारत सरकार ने नवंबर 2022 में फ्रांसीसी जजों के सहयोग के अनुरोध को ठुकरा दिया। आठ महीने तक जवाब टाला, फिर संचार बंद। फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लेनैन ने जुलाई 2023 में कहा कि भारत आपराधिक मामलों में “लंबी देरी” और “अधूरी प्रतिक्रिया” देता है।

Image

रिलायंस-डेफसिस-डसॉ ट्रायएंगल: अनुभवहीनता और पक्षपात

रिलायंस डिफेंस, जिसका वैमानिकी में कोई अनुभव नहीं था, को HAL की जगह ₹30,000 करोड़ का ऑफसेट सौदा मिला। फ्रांस ने रिलायंस की एक फ्रांसीसी फर्म को €143.7 मिलियन की संदिग्ध कर छूट दी।

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि भारत सरकार ने रिलायंस को पार्टनर के रूप में थोपा। दस्सो ने रिलायंस के साथ संयुक्त उद्यम बनाया और ₹30,000 करोड़ का अनुबंध दिया।

मनोहर पर्रिकर की भूमिका: असहमति और चुप्पी

पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कथित तौर पर सौदे की प्रक्रिया और रिलायंस की भूमिका पर आपत्तियां उठाई थीं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी असहमति के कारण 2017 में उन्हें गोवा का मुख्यमंत्री बनाकर हटा दिया गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पर्रिकर के पास राफेल सौदे से जुड़े “गुप्त दस्तावेज़” थे, जो उन्होंने अपने “बेडरूम में रखे” थे। हालांकि पर्रिकर ने इन दावों को खारिज किया।

न्यायपालिका की भूमिका: गोपनीयता और निष्पक्षता पर सवाल

दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया, क्योंकि सरकार ने सौदे की जानकारी “बंद लिफाफों” में दी थी। 2019 में सरकार ने स्वीकारा कि हलफनामे में “प्रक्रिया की जानकारी” गलत थी। इसे “लिपिकीय त्रुटि” बताया गया, और कोर्ट ने मान लिया।


Image

निष्कर्ष: पारदर्शिता की आवश्यकता

राफेल सौदा भारत की रक्षा के लिए जरूरी था, लेकिन इसकी प्रक्रिया पारदर्शिता से कोसों दूर रही। फ्रांस में असहयोग, गलत हलफनामा, अधूरी CAG रिपोर्ट, कीमतों पर अस्पष्टता, पर्रिकर की विदाई, रिलायंस को अनुचित लाभ, और सुप्रीम कोर्ट के बंद लिफाफों व जजों के लाभ का मुद्दा—ये सारे सरकार की जवाबदेही को कटघरे में खड़ा करते हैं।

अगर सरकार “न खाऊंगा, न खाने दूंगा” के वादे पर खरी थी, तो उसे फ्रांसीसी जांच में सहयोग करना चाहिए था, जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए थी, और पक्षपातपूर्ण निर्णयों से बचना चाहिए था। बंद लिफाफों और जजों के लिए पोस्ट-रिटायरमेंट लाभ की छाया ने न केवल सौदे, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी संदिग्ध बना दिया।

[संदर्भ]

The Franco-Indian Rafale Affair – Corruption Tracker

Manohar Parrikar quit as defence minister over Rafale deal: Sharad Pawar – The Economic Times

Dassault Paid 1 Million Euros as ‘Gift’ to Indian Middleman in Rafale Deal – NewsClick

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
100-200 साल बाद
*****
न सड़कें होंगी, न रेल पटरी और न रन वे – बिना ड्राइवर की उड़न कारें, बिना ड्राइवर कंडक्टर की पहियाविहीन रेलें और बिना पायलट के हेलीकॉप्टर की तरह हेलीपैड से उड़नेवाले हवाई जहाज

प्रजनन क्षमता की कमी, भूख से और चिकित्सा खर्च वहन न कर सकने के कारण मौतों से जनसंख्या आज की केवल 5% : तमाम देशों में जनसंख्या तेजी से कम हो रही है

फैक्ट्रियों की संख्या बहुत-ही कम और काम के लिए केवल रोबोट, मज़दूरों की जरूरत नहीं – यहाँ तक कि रोबोट बनाने के लिए भी रोबोट : अभी यह हालत है कि रेस्टोरेंट में केवल रोबोट होने लगे हैं हर काम के लिए

किसानों की जरूरत नहीं, सारा काम मशीनों और रोबोट से – सारी जमीन कार्पोरेट की : अभी से अधिग्रहण चालू हो गया है

गांवों, कस्बों का अंत, सिकुड़े हुए शहर : पर केवल कुछ विशाल आरामदायक आधुनिक विला मनोरम लोकेशंस पर
—–
क्या सोचते हैं आप?
– आपकी पीढ़ियां 5 किलो चावल से बाहर आएंगी?
– लाखों का चिकित्सा खर्च और हजारों की दवाइयों का खर्च उठा पाएंगी?
– करोड़ों के मूल्य का एक कमरे का फ्लैट किसी चाली में ले पाएंगी?
– हजारों रुपए किलो का आटा दाल ले पाएंगी?
– कहीं कोई नौकरी मिलेगी स्वचालन और रोबोटिक्स के कारण?

Image

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
गुप्ता जी की गुप्त कहानी – कौन हैं ये गुप्ता?
✨✨✨✨✨
👉स्विस बैंक में कालेधन की सूची आई और किसी एक महिला का नाम सार्वजनिक हुआ – कुसुम गुप्ता या कुछ ऐसा ही था पर थी गुप्ता
👉राफेल में €1.1 मिलियन की दलाली की पोल खुली और किसी एक गुप्ता का नाम सार्वजनिक हुआ – मुकेश गुप्ता या ऐसा ही कुछ पर था गुप्ता

क्या रहस्य है गुप्ता का?👇
कौन गुप्त होकर गुप्ता के नाम से स्विस बैंक में दलाली का कालाधन जमा कर रहा है?

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
मत भूलिए
अंतिम और एकमात्र लक्ष्य है – गोलवरकर का हिन्दू-राष्ट्र

1. कैसे बनेगा?
संविधान निरस्त कर के

2. संविधान निरस्त कैसे होगा?
लोकसभा और राज्यसभा, दोनों, में 3/4 बहुमत होने पर

3. 3/4 बहुमत कैसे होगा लोकसभा में?
ईवीएम से

4. 3/4 बहुमत कैसे होगा राज्यसभा मेें?
जिन राज्यों मेें राज्यसभा चुनाव बाकी हैं लोकसभा से पहले उनमें विधानसभा चुनाव जीत कर

5. कितने राज्यों मेें विधानसभा और साथ-ही राज्यसभा चुनाव बाकी हैं
एक भी नहीें

तो भाड़ मेें जाए विधानसभा चुनाव, हारना ही बेहतर है 2024 लोकसभा चुनाव में ईवीएम जस्टीफाई करने के लिए

6. तो फिर राज्यसभा में 3/4 चौथाई वोट कैसे आएंगे?
कांग्रेस, एएपी, सपा, बसपा, अन्ना द्रमुक, बीजेडी हैं न, वोटिंग का बहिष्कार कर हंगामा कर बिल पारित कराने मेें मदद करने के लिए

जय सिड़ीराम

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
ध्यान रखिए:
1. संघ का एकमात्र लक्ष्य हिन्दू-राष्ट्र है
2. हिन्दू-राष्ट्र के लिए संविधान का भंग होना आवश्यक है
3. संघ राज्यसभा खत्म करने की हिमायत करता रहा है

संविधान भंग कैसे हो?
– जब राज्यसभा में 3 चौथाई बहुमत हो

बहुमत कैसे हो?
– जब तमाम बड़े राज्यों में 3 चौथाई बहुमत से अधिक की सरकारें हों

3 चौथाई बहुमत की सरकारें कैसे हों?
– जब ईवीएम सेटिंग हो

तो दिक्कत क्या है?
– राज्यसभा खत्म नहीं कर पा रहा, यह अंतिम उपाय के लिए बचा रखा है

Jairam Ramesh
@Jairam_Ramesh
भारत अपने सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री का स्वागत करता है, जो शायद अगली विदेश यात्रा से पहले तीन हफ्तों के लिए देश में रहेंगे।

अब जब वे देश में हैं, तो शायद उन्हें मणिपुर जाने का समय मिल जाए ,जहां लोग दो साल से अधिक समय से उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे यह भी समीक्षा कर सकते हैं कि पहलगाम में हुए आतंकी हमलों के दोषियों को अब तक न्याय के कठघरे में क्यों नहीं लाया गया, अपने गृह राज्य में लगातार गिरते-ढहते ,नाकाम होते बुनियादी ढांचे पर ध्यान दे सकते हैं, और और बाढ़ से तबाह हिमाचल प्रदेश के लिए सहायता राशि मंजूर कर सकते हैं।

वे चाहें तो GST में व्यापक सुधार पर भी ध्यान दे सकते हैं, जिससे आम उपभोग को प्रोत्साहन मिल सके, और कुछ खास बड़े कॉरपोरेट समूहों के अलावा बाकी निजी कंपनियों को भी निवेश के लिए प्रेरित किया जा सके।

बदलाव के तौर पर, वे मानसून सत्र के लिए एजेंडा तय करने के उद्देश्य से सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता भी कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, लेख X पर वॉयरल हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *